Hindi, asked by mt0429546, 1 year ago

essay in hindi on aao bharat swaare

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Answered by naman551559
9

Answer:

सँवारे

भारत को एक सँवारने के लिए हमें अच्छे नेता होने के साथ एक अच्छा नागरिक की जरूरत है |

भारत से हमें पहले धर्म, वर्ग, जाति, लिंग , भ्रष्टाचार सब खत्म करना होगा | सब को ईमानदारी के रास्ते पर चलना होगा |

उसके लिए हर व्यक्ति समान हो और जनता के प्रति जवाब देने वाला हो। वह नेता ना हो बल्कि जनता का प्रतिनिधि बनाना होगा | जो सब को साथ ले कर चले और किसी प्रकार का भेद-भाव न करें | अमीरी और गरीबी को मिटने का प्रयास करें | भारत को में नई सोच नए काम चलाने वाले लोगों की जरूरत है | आज के युवा पीढ़ी की जरूरत है जो सब में सकारात्मक का विकास करें | जब हम साथ मिलकर चलेंगे तभी भारत को एक नई दिशा मिलेगी | सब में देशभक्ति की भावना निहित होनी चाहिए।

HOPE IT WILL HELP YOUUU..

PLEASE MARK ME AS BRAINLIST

Answered by vanshrajput040
8

Answer:

Explanation:

मेरे सपनों का भारत पर निबंध | Essay on India of My Dreams in Hindi!

अपने देश के प्रति सभी समझदार नागरिकों का अपना एक अलग दृष्टिकोण होता है । वह अपने देश के विषय में चर्चाएँ करता है और चिंतन करता है ।

यहाँ किस प्रकार की व्यवस्था होनी चाहिए, समाज का स्वरूप कैसा हो, लोगों को किस हद् तक अपनी परंपराओं एवं प्राचीन विश्वासों का सम्मान करना चाहिए, आधुनिक समस्याओं का देश किस प्रकार निदान करे आदि सैकड़ों बातें हमें उद्‌वेलित करती रहती हैं ।

अपना देश जिन्हें प्यारा होता है और जितना प्यारा होता है, उसी अनुपात में लोगों के निजी हित गौण होते जाते हैं और राष्ट्रहित सर्वोपरि होता जाता है । जब राष्ट्रहित निजी हित से ऊपर हो जाता है तब राष्ट्र के निर्माण, उसका भविष्य सँवारने के स्वप्नों का सृजन भी आरंभ हो जाता है । मैंने भी अपने राष्ट्र को लेकर कुछ सपने बुने हैं, कुछ निजी विचारों का बीजारोपण किया है ।

हालाँकि राष्ट्र निर्माण एक जटिल प्रक्रिया है, लेकिन इसमें असंभव जैसा कुछ भी नहीं है । अधिकांश यूरोपीय देशों की संपन्नता तथा जापान जैसे एक छोटे से देश का विश्व आर्थिक क्षितिज पर शक्तिशाली होकर उभरना यह सिद्‌ध करता है कि यदि देश के सभी लोग किसी लक्ष्य के प्रति समर्पित होकर कार्य करें तो उस देश का वर्तमान और भविष्य दोनों सुधर सकता है ।

समस्याग्रस्त तो सभी हैं पर उन समस्याओं को देखने तथा उन्हें सुलझाने का नजरिया सबों का भिन्न-भिन्न है । भारत की सबसे बड़ी समस्या लोगों की कर्महीनता है । हम दूसरों को उपदेश देने में प्रवीण हैं, पर स्वयं उसके विपरीत आचरण कर रहे हैं ।

भारत की आत्मा अभी भी जीवंत है लेकिन लोग अधमरे से हैं । मेरे सपनों का भारत उद्‌यमशील होना चाहिए, अकर्मण्य लोगों को यहाँ कम सम्मान मिलना चाहिए । मगर हम उन लोगों के भाग्य को सराहते हैं जो बिना हाथ-पाँव डुलाए, मुफ्त की रोटी तोड़ रहे होते हैं ।

आजादी के आंदोलन के दौरान गाँधीजी ने लोगों के समक्ष यह बात बारंबार दुहराई थी कि श्रम का सम्मान किए बिना भारत सही मायनों में आजाद नहीं हो सकता । फिर भी ‘पर उपदेश कुशल बहुतेरे’ वाली हमारी आदत गई नहीं ।

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