Essay in HIndi on For me, the most unforgettable event of the Indian freedom movement is__________ because…
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अगर अभी तक कुछ भी ना भूल ने वाली बात आज़ादी के बारे मे तो सिर्फ़ ये ही बात है की हम सेनानियो का योगदान कभी भी नही भूलेंगे .उनका सारा जीवन आज़ादी दिलाने मे ही गया .आज से 4 दिन बाद हम देश की आज़ादी का 70 वा जश्न मनाने जायेगे. आज़ाद भारत की धरती पर रहते हुए इस मुल्क को 70 साल हो जाएँगे .लेकिन जब हम पलट कर देखते है तो सिर्फ़ एक ही बात मन मे आती है की हमे ये आज़ादी मिली कैसे और क्या हम सही मायनो मै .ये आज़ादी पाने के हकदार थे .
तब ये बात ही सम्झ आती है 70 साल पहले ना जाने कितने लोगो ने अपना बालिदान दे कर हुमे अंग्रेज़ो को गुलामी से आज़ादी दिलाई . अगर हम एक एक वीर्ट और सवतंत्रता सेनानी को याद क्रे तो सूची बहुत लंबी है . अनगिनत बेटे बेटियो ने अपने अल्पायु के जीवन मे ही घर बार छोड कर वीरता के इस यगया मे कूद पड़े . सब ने पूरा भारत भ्रमण किया . सब को एकजुट किया अंग्रेज़ो के दामन के खिलाफ . सब को आज़ादी का मुल्य समझाया .
फिर चाहे महात्मा गाँधी जी हो या शहीद -ए- आज़म भगत . सिह हो . सबका योगदान अतुलनीया और कल्पना से परे है .
आज जब हम इस आज़ाद और तकलीफो से मुक्त देश मे रह रहे हो तो ये सोचने की बात है की ये आज़ादी हमे
रातो रत नही मिली है . वर्षो के अनेक प्रयासो और अनगिनत बलिदान
से मिली है .इसीलये कहा जाता है की सवत्रन्तरता सेनानियो का योगदान अमर है और सदा सदेव सबके दिलो मे रहेगा.
बिरिटिश हुकूमत के 100 सालो के दामन को मिटाने मे जो सब से अहम योगदान था वो 1857 की क्रांति का था .मंगल पांडे
, रानी लक्ष्मी बाई , तांतीय टोपे, ननभाई , बहादुर शाह ज़फ़र जैसे कई लोगो ने नेतृतव किया और आज़ादी की सब से बड़ी नीव रखी .
1857की क्रांति सही मायनो मे आज़ादी की पहली जंग थी अंग्रेज़ो के दामन और कूशाशण के खिलाफ .
इसी परम्परा को आगे बढ़ते हुए सुरेन्द्रा नाथ बेनर्जी जी ने भारतीयकॉंग्रेस का आधार रखा . जिसे इंक (इंडियन नॅशनल कॉंग्रेस) भी कहने लगे थे.1876 मई गठित इस कॉंग्रेस मे मध्यम भारतीय वर्ग की उमीदो को अंगेज़ोके खिलाफ रखा गया . तब के जाने माने नेता , लाल , बाल , पल और चितरंजन दस , दादा भाई नौरजी ने भी कॉंग्रेस का साथ दिया और हमे आज़ादी के और करीब पहुचेया .
1920 मे महात्मा गाँधीजी के कॉंग्रेस समर्थित असहयोग आंदोलन ने ब्रिटिशसरकार की जड़े हिला के रख दी थी और उन्हे अब ये लगने लग गया था की अब उनके और जायदा दिन नही है भारत की सरज़मी पर .
एक तरफ गाँधीजी जी अहिंसा की विचारधारा और दूसरी तरफ कुछ युवा सेनानी जिनको आज़ादी हर कीमत पर चाहिए जैसी बात ने विदेशियो को भागने पर विवश कर दिया था.
आज़ादी के त्रिदेव ..जिनने जनता आज भी पूजती है लाला लाज़पत , सुभाषचंद्रा बोस ,चंद्रा सेखर आज़ाद किसी भी पल पीछे नही हटे अपने आज़ादी के लक्ष्या से . खुदी राम बोस ,असफ़ाक़, सहदेव
राजगुरु जैसे ना जाने कितने बहुत ही जवान लोगो ने अपनी जवानी देश के नाम लिख दी .
अंत मे करो या मरो के नारे के साथ अंतिम उद्घोस 15 अगस्त 1947 को ही ख़तम हुआ . पर तब तक ना जाने तब तक कितनी जाने जा चुकी थी और मा की गोद सुनी हो चुकी थी .
सबका योगदान अतुलनात्मक और अमर है . हम आने वाली पीढ़ियो को आज़ादी की सच्ची कहानी और सच्चे महत्व बताने चाहिए . ये बहुत ही ज़रूर है की ये आज़ादी हम कभी भी हरगिज़ ना खोए और सहज के रखे . भारत माता की जय
जो भरा नही जो भाव से , बहती जिसमे रस धार नही
वो ह्रदया नही वो पथार है जिसमे देश के लिए प्यार ना
Answer:
भारत को आजाद हुए 72 साल हो चुके हैं. परन्तु क्या आप जानते हैं कि ऐसे कौन से सबसे महत्वपूर्ण घटनाएं हैं जिनके कारण भारत को आजादी मिली.
इन महत्वपूर्ण घटनाओं से पहले आपको बता दें कि ब्रिटिश, भारत में राजनीतिक सत्ता 1757 में पलासी के युद्ध के बाद जीत गए. यही वो समय था जब अंग्रेज भारत आए और करीब 200 साल तक राज किया.