essay in Hindi on nari par badhte Atyachar
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क्या आज हम अपने आधुनिक समाज में केवल पुरुषों को ही रखना चाहते है यदि नही तो फिर महिलाओं के साथ अत्याचार क्यों. क्या वो इस देश की नागरिक नहीं अथवा वे सिर्फ नारी है इसलिए उनके साथ ऐसा व्यवहार किया जाए. यदि ऐसा है तो फिर हमारी माँ, बहिन, पत्नी, बहिन, भाभी वो भी तो एक महिला हैं.
आए दिन नारी अत्याचार की घटनाओं में वृद्धि हो रही हैं. दुष्कर्म, बलात्कार, एसिड डालकर चेहरा जला देने, दहेज़ उत्पीड़न और तलाक जैसे अपराध आज भी हमारी सोच पर प्रश्नचिह्न खड़ा करते हैं.
दिल्ली के निर्भया कांड ने न सिर्फ देश में बल्कि दुनियां भर में इस दरीन्दगी के स्वरूप को जगजाहिर किया हैं. हालांकि मानवता को शर्मसार कर देने वाली इस घटना से पूरे देश को शर्मिदा किया, मगर जो इसके बाद हुआ वो भारतीय समाज की असली पहचान थी.
दोषियों को तुरंत पकड़ने तथा उन पर कठोर कार्यवाही करने के लिए देशभर में आंदोलन एवं सोशल मिडिया पर जो जन आक्रोश देखा गया, उसी आक्रोश को हम अपने दिल में जिन्दा रखे तो संभव हैं हमारे समाज में इस तरह की घटना को अंजाम देने की कोई दरीन्दा नहीं सोचेगा.
निबंध : नारी पर बढ़ते अत्याचार
दिन - प्रतिदिन स्त्री पर अत्याचार बढ़ते ही जा
रहा है । हर कोई स्त्री को अबला , दुर्बल
समझने लगा है । इस वजह से वह स्त्रियों पर
आए दिन अत्याचार कर रहे है । यह वह है
कौन ? यह वह है हमारा पुरुष प्रधान समाज ।
पुरुष प्रधान समाज होने के कारण , पुरुष अपने
आप को बलवान समझने लगे है और सरे - आम
स्त्रियों पर अत्याचार कर रहे है ।
ज़रा अख़बार पढ़ कर देखिए , आए दिन रेप
की घटनाएं समाज में घटित हो रही है । छोटी से
छोटी बच्चियों तक को भी यह हैवान नहीं छोड़ते ।
ऊपर से लोगो को लगता है कि इसका ज़िम्मेदार
लड़की का कपड़ा है । क्या उनको यह याद
दिलाना होगा कि बुर्क़ा पहने युवतियों का रेप नहीं
होता ?
रेप के आलावा दहेज़ प्रथा भी हमारे समाज में
अभी भी व्याप्त है। न जाने कितने लड़की के
परिवार को इसका शिकार होना पड़ा । परन्तु , हमें
लगता है कि नहीं , आजकल आधुनिक युग का
जवाना है , आजकल दहेज़ कौन मांगता है ? परन्तु
यही हम गलत है । आज भी ऐसे घटनाएं समाज में
व्याप्त है। हमें इन सब का विरोध करना चाहिए
और अपने बेटों को लड़कियों की इज्जत करने का
सीख देना चाहिएं ।