History, asked by gurleenkhehra, 10 months ago

essay in Hindi on Pradushan ki samasya AVN samadhan ​

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Answered by RDPTHEKINGHELPER
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जिस प्रकार मनुष्य मनुष्य का और राष्ट्र राष्ट्र का शोषण करते रहे हैं, उसी प्रकार मनुष्य प्रकृति का भी शोषण करता रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रकृति में कोई गंदगी नहीं है।

प्रकृति में सब जीव-जन्तु, प्राणी तथा वनस्पति जगत परस्पर मिलकर संतुलन बनाए रहते हैं। प्रत्येक का अपना विशिष्ट कार्य है। प्रकृति में ब्रहमा, विष्णु और महेश का काम अपने स्वाभाविक रूप से बराबर चलता रहता है। जब तक मनुष्य का हस्तक्षेप नहीं होता, तब तक न गंदगी होती है और न रोग ही।

जब मनुष्य प्रकृति के कार्य में हस्तक्षेप करता है, तब प्रकृति का समतोल बिगड़ता है। इससे सारी सृष्टि का स्वास्थ्य बिगड़ा जाता है।

आज का युग वैज्ञानिक और औद्योगिक युग है। औद्योगीकरण के फलस्वरूप वायु प्रदूषण बहुत तेजी से बढ़ रहा है। ऊर्जा तथा उष्णता पैदा करने वाले संयंत्रों से गरमी निकलती है। यह उद्योग जितने बड़े होगें और जितना बढ़ेंगे, उतनी ज्यादा गरमी फैलाएंगे।

इसके अतिरिक्त ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए जो ईंधन प्रयोग में लाया जाता है, यह प्राय पूरी तरह नहीं जल पाता। इसका दुष्परिणाम यह होता है कि धुएँ में कार्बन मोनोक्साइड काफी मात्रा में निकलती है। आज मोटर वाहनों का यातायात तेजी से बढ़ रहा है। 960 किलोमीटर की यात्रा में एक मोटर वाहन उतनी आक्सीजन का उपयोग करता है, जितनी एक आदमी को एक वर्ष में चाहिए।

दुनिया के हर अंचल में मोटर वाहनों का प्रदूषण फैलता जा रहा है। रेल का यातायात भी आशातीत रूप से बढ़ रहा है। हवाई जहाजों का चलन भी सभी देशों में हो चुका है। तेल-शोधन, चीनी मिट्टी की मिलें, चमड़ा, कागज, रबर आदि के कारखाने तेजी से बढ़ रहे हैं। रंग बार्निष, प्लास्टिक, कुम्हारी चीनी के कारखाने बढ़ते जा रहे हैं।

Answered by Anonymous
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Explanation:

Hey mate here ur answer

परिश्रम का महत्व : परिश्रम का बहुत अधिक महत्व होता है। जब मनुष्य के जीवन में परिश्रम खत्म हो जाता है तो उसके जीवन की गाड़ी रुक जाती है। अगर हम परिश्रम न करें तो हमारा खुद का खाना-पीना, उठना-बैठना भी संभव भी नहीं हो पायेगा। अगर मनुष्य परिश्रम न करे तो उन्नति और विकास की कभी कल्पना ही नहीं की जा सकती थी।

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