essay in hindi on sarv siksha abhiyan...... Sanket bindu:- Siksha k mehtav, vartaman me sarv siksha, siksha - vikas ka sadhan, pracheen bharat me siksha, sarv siksha abhiyan ki avshyakta kyo hai, yuvo ki bhumika
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सर्व शिक्षा अभियान
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मध्य प्रदेश के गांव में एक प्राथमिक स्कूल.
सर्व शिक्षा अभियान भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसकी शुरूआत (2001-02) मे अटल बिहारी बाजपेयी द्वारा एक निश्चित समयावधि के तरीके से प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण को प्राप्त करने के लिए किया गया, जैसा कि भारतीय संविधान के 86वें संशोधन द्वारा निर्देशित किया गया है जिसके तहत 6-14 साल के बच्चों (2001 में 205 मिलियन अनुमानित) की मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के प्रावधान को मौलिक अधिकार बनाया गया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य 2010 तक संतोषजनक गुणवत्ता वाली प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण को प्राप्त करना है। एसएसए (SSA) में 8 मुख्य कार्यक्रम हैं। इसमें आईसीडीएस (ICDS) और आंगनवाड़ी आदि शामिल हैं। इसमें केजीबीवीवाई (KGBVY) भी शामिल है। कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना की शुरूआत 2004 में हुई जिसमें सारी लड़कियों को प्राथमिक शिक्षा देने का सपना देखा गया, बाद में यह योजना एसएसए के साथ विलय हो गई।
अनुक्रम
1 उद्देश्य
2 पृष्ठभूमि
3 लक्ष्य
4 हस्तक्षेप
5 गतिविधियां
6 उपलब्धियाँ
7 बाहरी कड़ियाँ
उद्देश्य
2003 तक सभी स्कूल में हों.
2007 तक प्राथमिक शिक्षा का 5 साल पूरा करना और 2010 तक स्कूली शिक्षा का 8 साल पूरा करना।
संतोषजनक गुणवत्ता और जीवन के लिए शिक्षा पर बल देना.
2007 तक प्राथमिक स्तर पर और 2010 तक प्रारंभिक स्तर पर सभी लैंगिक और सामाजिक अंतर को समाप्त करना।
वर्ष 2010 तक सार्वभौमिक प्रतिधारण.सर्व शिक्षा अभियान
कार्यक्रम के अनुसार उन बस्तियों में नए स्कूल बनाने का प्रयास किया जाता है जहां स्कूली शिक्षा की सुविधा नहीं है और अतिरिक्त कक्षा, शौचालय, पीने का पानी, रखरखाव अनुदान और स्कूल सुधार अनुदान के माध्यम से मौजूदा स्कूलों की बुनियादी ढांचे में विकास करना है। जिन मौजूदा स्कूलों में अपर्याप्त शिक्षक हैं उनमें अतिरिक्त शिक्षक मुहैया कराना है, जबकि मौजूदा शिक्षकों की क्षमता को व्यापक प्रशिक्षण, विकासशील शिक्षण अधिगम सामग्री अनुदान और ब्लॉक और जिला स्तर पर एक क्लस्टर पर अकादमिक सहायता संरचना को मजबूत बनाने के लिए अनुदान से सुदृढ़ बनाया जा रहा है। सर्व शिक्षा अभियान, जीवन कौशल सहित गुणवत्ता युक्त प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करता है। सर्व शिक्षा अभियान द्वारा लड़कियों और विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चों पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया जाता है। सर्व शिक्षा अभियान, डिजिटल अंतराल को ख़त्म करने के लिए कंप्यूटर शिक्षा भी प्रदान करने का प्रयास करता है। बच्चों की उपस्थिति कम होने के चलते मध्याह्न भोजन की शुरूआत की गई थी।
अच्छे परिणामों के लिए, सर्व शिक्षा अभियान के परिव्यय को 2005-06 में 7156 करोड़ रुपये से 2006-07 में 10,004 करोड़ रुपये तक कर दिया गया है। साथ ही 500,000 अतिरिक्त क्लास रूम का निर्माण और 1,50,000 अतिरिक्त शिक्षकों की नियुक्ति करना लक्ष्य है। वर्ष 2006-07 के दौरान शिक्षा उपकर के माध्यम से राजस्व से प्रारम्भिक शिक्षा कोष के लिए 8746 करोड़ हस्तांतरण करने का फैसला किया गया।
स्त्रियों, प्रौढ़जनों व अन्य अशिक्षित जनों को शिक्षा प्रदान करना हम सब का नैतिक कर्तव्य है । यह निस्संदेह देश के विकास के लिए एक उपयोगी कदम है । देश भर में चलाया गया सर्वशिक्षा अभियान इसी दिशा में उठाया गया एक सार्थक कदम है । सर्वशिक्षा अभियान का उद्देश्य राष्ट्रीय विकास के लिए जन-जन तक शिक्षा को पहुँचाना है ताकि रूढ़िवादी परंपराओं के अंधकार से निकलकर मनुष्य ज्ञान के प्रकाश की ओर उम्मुख हो सके ।
इस अभियान के अंतर्गत सभी को, विशेषकर उन व्यक्तियों को जो किसी कारणवश स्वयं शिक्षा ग्रहण नहीं कर सके, उनमें पढ़ने की रुचि पैदा की जाती है । साथ ही उन्हें शिक्षा के महत्व को समझाया जाता है ताकि आने वाली पीढ़ियों को निरक्षर बने रहने से रोका जा सके ।
साक्षरता अथवा सर्वशिक्षा अभियान का प्रारंभ सन् 1937 ई॰ में राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में हुआ जिसके अंतर्गत प्रौढ़ शिक्षा केंद्र व रात्रि पाठशालाएँ खोली गईं । देशभर में नए पुस्तकालयों एवं वाचनालयों की स्थापना हुई परंतु सर्वशिक्षा अभियान के कार्यक्रमों को व्यापकता स्वतंत्रता के बाद ही मिली । शिक्षा के स्वरूप पर पुनर्विचार हुआ जिससे शिक्षा का लाभ ग्रामीण अंचलों को भी पूर्ण रूप से मिल सके ।
इस अभियान का उद्देश्य ऐसे सभी युवक-युवतियों को सामाजिक, राजनीतिक, वैज्ञानिक व तकनीकी शिक्षा प्रदान करना रहा है जो किसी कारणवश स्कूली शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाए हैं । प्रौढ़ शिक्षा केंद्र तथा सांध्यकालीन कक्षाओं की व्यवस्था इसी कमी की पूर्ति हेतु की गई है।
आज आवश्यकता इसकी अधिक है कि सभी बच्चों को अनिवार्य रूप से प्राथमिक शिक्षा मिल सके । बच्चों को शिक्षित कर हम राष्ट्र का भविष्य सँवार सकते हैं । यदि हम बच्चों को शिक्षा देने के लक्ष्य से दूर हैं तो सर्वशिक्षा अभियान की बात ही बेमानी हो जाती है । शिक्षा चूँकि राज्य सरकारों का भी विषय है, अत: अलग-अलग सरकारें शिक्षा-व्यवस्था के प्रति भिन्न नजरिया रखती हैं ।
सत्तर के दशक तक हमारी संपूर्ण जनसंख्या का केवल एक चौथाई हिस्सा ही शिक्षित वर्ग में आता था । किसी भी लोकतांत्रिक शासन प्रणाली के लिए यह सबसे दुष्कर समस्या है क्योंकि इस अवस्था में शासन पद्धति का सुचारू रूप से चलना संभव नहीं होता है । सर्वशिक्षा अभियान के अंतर्गत समय-समय पर अनेक योजनाएँ बनाई गईं परंतु यह अभी पूर्ण रूप से सफल नहीं हो सकी है ।