Hindi, asked by Sreelasya194, 1 year ago

Essay in hindi on vidyarthiyon mein badhti anushasan hinta

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Answered by mchatterjee
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छात्रों के बीच अनुशासनहीनता के कारण: यह आम तौर पर कुछ अधिकारों और विशेषाधिकारों के कारण होता है जो छात्र अनुशासनहीनता के मार्ग का चयन करते हैं। अक्सर चरण में हमलों और प्रदर्शन

इस समस्या का असली कारण यह है कि इसे ध्यान में रखा जाए। लेकिन अकेले छात्रों को इसके लिए दोषी ठहराया जाना नहीं है। आज का छात्र निश्चित रूप से असंतुष्ट और असंतुष्ट युवा है।

विद्यार्थी का अनुशासनहीनता का मुख्य कारण झूठ है हमारी वर्तमान शैक्षणिक व्यवस्था। यह न तो हमारे छात्रों के चरित्र का निर्माण करता है और न ही उन्हें शिक्षा पूरी करने के बाद उनकी जिंदगी कमाने में सक्षम बनाता है। जैसे, युवाओं में पहल, आत्मविश्वास आदि जैसे गुणों की वृद्धि को बढ़ावा नहीं देता है।

विद्यार्थी आज एक दुर्भाग्यपूर्ण प्राणी है। कुछ उसके लिए प्रशंसा का एक काम है। माता-पिता उसके साथ नाखुश हैं क्योंकि वह अपनी पढ़ाई को गंभीरता से नहीं लेता और अवांछनीय गतिविधियों में अपना समय, धन और ऊर्जा बर्बाद करता है।

निष्कर्ष: इसलिए, छात्रों के बीच अनुशासनहीनता और अशांति की समस्या एक बड़ी समस्या का एक हिस्सा है, अर्थात हमारे देश की शिक्षा प्रणाली का पुनर्निर्माण सिस्टम को ओवरहॉल करने की जरूरत है और समय की जरूरतों और जीवन की भारतीय परिस्थितियों के अनुरूप बनाया गया है। हमें विद्यार्थियों की जरूरतों का ध्यान रखना चाहिए। औद्योगिक, तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा के लिए पर्याप्त प्रावधान की आवश्यकता है।
Answered by kaustubhsharma1644
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Here is your answer,

विद्यालयों में अनुशासनहीनता के विषय में विचार करने पर वर्तमान समय में अधिकांश छात्रों में अनुशासनहीनता दृष्टिगोचर होती है। इसका मुख्य कारण हमारा परिवेश है। आजकल छात्रों को अच्छी शिक्षा के साथ-साथ शिष्टाचार एवं नैतिक शिक्षा आदि की शिक्षा नहीं दी जाती है। इसके साथ-साथ दृश्य-श्रव्य अंतराजाल, दूरदर्शन फिल्म, दूरभाष यंत्र आदि में भी छात्रों की अनुशासनहीनता को ही प्रदर्शित किया जाता है।

अनुशासनहीनता को बढ़ावा देने में हमारे समाज के साथ-साथ पारिवारिक सदस्यों इष्ट मित्रों आदि का भी योगदान रहता है।परिवार के सदस्य एवं मित्रगण भी अनुशासनहीनता करने पर विरोध नहीं करते हैं जिससे अनुशासनहीनता को बढ़ावा मिलता है। हमारे परिवारीजन और मित्रगण स्वयं भी हमारे सामने अनुशासनहीनता कर हमारे मन मस्तिष्क में अनुशासनहीनता के प्रति रुझान पैदा करते हैं।

छात्रों में अनुशासनहीनता को म करने के लिए हमारी सरकार द्वारा भी लगातार प्रयास किए जा रहे हैं इसी क्रम में हमारे विद्यालयों में नैतिक शिक्षा आदि भी प्रदान की जाती है।हमारे विद्यालय के प्रधानाचार्य द्वारा भी प्रतिदिन अनुशासन में रहने की शिक्षा दी जाती है। विद्यालय के अध्यापकों द्वारा भी विद्यालय में अनुशासन बनाए रखने हेतु अनवरत अनुश्रवण किया जाता है।

छात्रों में अनुशासनहीनता को समाप्त करने के लिए हमारे परिवारीजनों, इष्ट मित्रों को मिलकर हमारे परिवार परिवेश को अनुशासित करना होगा।सभी छात्रों में नैतिक मूल्यों का ज्ञान कराना चाहिए, हमें निष्ठाचार का पाठ पढ़ाना चाहिए तथा स्वयं भी अनुशासित रहना चाहिए।

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