Hindi, asked by warrenanthony6858, 1 year ago

Essay in hindi swachh bharat swasth bharat in 200 words

Answers

Answered by ananyapandey48
8

Explanation:

चिल्ली मैं भी यह सब आंसर ढूंढने क्योंकि मुझे भी यह दिया गया है तो मैंने सोचा कि मैं भी premi.in पर सर्च किया गूगल पे हूं मैं देखा कि आपका यह क्वेश्चन तो मुझे अच्छा लगा मुझे करने और लोगों को भी कंफ्यूजन है तो मैं बहुत खुश हूं कि आपको भी कंफ्यूजन है कैसे लिखते हैं मुझे भी कंफ्यूजन है

Answered by swathirocks824
9

Answer:

विकास का मतलब मानव की केवल भौतिक आवश्यकताओं से नहीं बल्कि उसके जीवन की सामाजिक दशाओं में सुधार से सम्बन्धित होना चाहिए । अत: आर्थिक विकास में आर्थिक के अतिरिक्त सामाजिक, सांस्कृतिक एवं संस्थागत परिवर्तन शामिल होने चाहिए । विकास और स्वच्छता एक – दूसरे के विरोधी नहीं ये एक – दूसरे के पूरक हैं । एक संतुलित एवं साफ वातावरण के माध्यम से ही विकास के प्रयास रह सकते हैं । तभी मनुष्य जीवन के उच्च स्तर पर पहुँच सकता है ।

अगर आप स्वस्थ शरीर पाना चाहते है तो मन की पवित्रता के साथ – साथ शरीर की स्वच्छता अनिवार्य है। स्वच्छता आर्थिक, सामाजिक और नैतिक दृष्टि से भी अति आवश्यक है। किसी भी समुदाय या स्थान के समग्र विकास के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण है।

इस बात का स्पष्ट उल्लेख हमारे धर्मग्रथों में किया गया है। तभी तो यहाँ के अधिकांश पर्व ऐसे है जिनकी तैयारियों के लिए साफ़ – सफाई कुछ दिन पूर्व से ही शुरू हो जाती है । घरों की लिपाई – पुताई साफ – सफाई करने में पूरा कुनबा जुटा रहता है । इन तीज – त्यौहारों पर ऐसा प्रतीत होता है कि किसी ने सफाई अभियान का शंखनाद कर दिया हो, लेकिन बिडम्बना ये है कि यह स्वच्छता अभियान केवल अपनी और अपने घरों की साफ – सफाई तक ही सिमित रह जाता है।

वहीं सामाजिक, धार्मिक स्थलों या फिर कोई भी सार्वजनिक जगहों के कुछ खास ऐसे ठिकाने जहाँ कचड़े और उनमें पनप रहें कीटाणुओं (germs) की अधिकता से हमें जो शारीरिक, मानसिक तौर पर कष्ट होता है जो असुविधा होती है उस कष्ट को नजरअंदाज करना जैसे की हमारी आदत ही हो। इन जगहों पर फैली गंदगी व कूड़ा कचरा सफाई व्यवस्था की सच्चाई बयां करने के लिए काफी है। सड़को से लेकर कई अन्य स्थानों पर जगह – जगह पान की पीक, गंदगी व बदहाली साफ दिखती है ।

वास्तविकता तो यह है कि अपने घर में सफाई को लेकर हम जितने संजीदा रहते हैं, सार्वजनिक स्थलों पर इस स्वच्छता को लेकर उतने ही लापरवाह और गैरजिम्मेदाराना रुख अपना लेते है। असल में सार्वजनिक स्थलों पर गंदगी फैलाना मानों लोग अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते हो और बड़ी मात्रा में अस्वच्छता फैलाते है। असल में इस अस्वच्छता का सबसे बड़ा जिम्मेदार स्वच्छता के महत्व का ज्ञान न होना भी है । स्वच्छ भारत के लिए हमें अपने घर, गली, शहर, आदि सबको साफ करना होगा।

स्वच्छता के लिहाज से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का “स्वच्छ भारत अभियान” एक क्रांतिकारी कदम कहा जा सकता है जो किसी भी समुदाय या स्थान विशेष के समग्र विकास के लिए बहुत जरुरी भी है । मोदी जी खुद कहते है कि स्वच्छता को देशभक्ति की भावना से जोड़कर देखना चाहिए । जब गाँधीजी ने कभी स्वच्छता से समझौता नहीं किया और देश को आजादी दिलाई तब हम क्यों न स्वच्छ भारत के उनके सपने को साकार करें ।

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