essay of 150 words on ashiksha in hindi
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अशिक्षित मनुष्य सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक बदलावों को समझने में असमर्थ होता है। कुछ चालाक प्रवृति के लोग उनकी इस अज्ञानता का लाभ उठाकर उनका शोषण करते रहते हैं। साहूकार और ज़मीदार इन्हीं तरह के लोगों में से एक है। इस तरह उनकी जाति भी विकास नहीं कर पाती है और वे अपनी संस्कृति के गौरव को समझने में भी असमर्थ होते हैं। इन आंदोलनों का परिणाम यह हुआ कि देश के कुछ भागों में साक्षरता को अपनाया गया। जब देश की जनता जागृत होने लगी, तो उन्हें समझ में आया गुलामी उनके अस्तित्व को खोखला बना रही है। इसका परिणाम यह हुआ कि देश आज़ाद हो गया। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हमारे बड़े नेताओं ने शिक्षा के प्रसार में महत्वपूर्ण कदम उठाए। परन्तु आज भी देश के कई हिस्से हैं, जिनमें साक्षरता की दर अधिक नहीं है। यही बात हमारे लिए खेद का विषय है। जनता जितनी अधिक निरक्षर होगी, वे अपने देश का शासन चलाने के लिए सही व्यक्ति का चुनाव नहीं कर पाएगी। यदि देश का मुख्य प्रतिनिधि ही अयोग्य हुआ, तो वह देश को कैसे संभालेगा। हमें इस बात का भली प्रकार से ज्ञान हो जाना चाहिए कि अशिक्षा वह गहरी खाई है, जो देश के विकास को रोके हुए है। यदि हम चाहते हैं कि हमारा और देश का विकास हो, तो हमें साक्षरता को अपना होगा और अशिक्षा की जड़ों का उखाड़ फेंकना होगा।