Hindi, asked by PratyushRaman1547, 1 year ago

essay of about 250-300 words on the topic ka varsha ja b krishi sukhane

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Answered by harsh8109086
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वर्षा जब कृषि सुखाने। समय चूकि पुनि का पछिताने।

एक बार एक सन्त महात्मा को कुछ मनचले उद्दण्ड किस्म के लड़को ने रास्ते में जबरदस्ती घेरकर चिढाना शुरू किया। लडके लगे जिद करने कि या तो कह दो कि तुम एक ढोंगी एवं ठग हो या फिर कोई चमत्कार दिखाओ। महात्मा जी समझ गए कि ये नासमझ लडके देर तक जिद करेगें। अतः उन्होंने कह दिया कि वह ढोंगी एवम पाखंडी ठग हैं। लेकिन फिर भी लड़को ने उन्हें नहीं छोड़ा। अब वे सब मिलकर उनका कपड़ा खोल उन्हें निर्वस्त्र करने लगे। अभी महात्मा जी थोड़ा विचलित हुए। उन्होंने कहा कि ठीक है, ठहर जाओ मैं तुम सबको चमत्कार दिखाता हूँ। महात्माजी पद्मासन लगाकर बैठ गए। लगे श्वास खींचने। देर तक केवल श्वास खींचते ही रहे। उनका पेट फूल कर गुब्बारे से भी बड़ा हो गया। और वह बैठे बैठे धरती छोड़ कर ऊपर उठने लगे। जब धरती से चार-पांच हाथ ऊपर उठ गये। तब लडके डर गये। वे सब अमझ गए कि उन्होंने गलती से किसी पहुंचे हुए संत को अपमानित कर दिया है। उन्हें ऐसा लगा कि अब वह महात्मा अपने शाप से उन सबको जलाकर भष्म कर देगा। इधर महात्मा जी धरती से लगभग बीसों हाथ ऊपर उठ गये थे। फिर वह नीचे आना शुरू हुए। जब धरती पर आकर वह टिके तब श्वास छोड़ना शुरू किया। उनका पेट पिचक गया। फिर उन्होंने आँखें खोली। अब लडके लगे गिड़ गिडाने। लगे उनके पाँव पकड़ने। विनती करते हुए कहने लगे कि अनजाने में उनसे बहुत बड़ी गलती हो गई है। उन्हें क्षमा कर दें। महात्मा जी ने कहा कि ऐ लड़को! जब तुम किसी गरीब भीखमंगे को भीख देते हो तो क्या सोच कर भीख देते हो? लडके बोले कि उसे दरिद्र जानकर देते है। महात्मा जी बोले कि तुम्हारे पास भी यदि बुद्धि-विवेक होता तो क्या तुम लोग मुझे चिढाते? लडके बोले कि नहीं। महात्माजी बोले कि अर्थात तुम सब बुद्धि-विवेक के दरिद्र हो। भिखमंगे हो। इसलिए मैं तुम्हें भीख में क्षमा दे रहा हूँ।

विशेष-गुब्बारे की गर्म हवा जब ऊपर उठती है। तो वह अपने से हलके वजन को ऊपर उठा ले जाती है। विज्ञान पढ़ने वालो ने इसे आर्किमिडीज के सिद्धांत में अवश्य पढ़ा होगा। महात्मा जी का ऊपर उठना कोई जादू-टोना नहीं था।

जो भी हो, यदि कोई व्यक्ति ज्योतिष, यंत्र-मन्त्र-तन्त्र पर भरोसा या विशवास नहीं करता है, तो इसका तात्पर्य यह नहीं कि वह अपराधी है। बल्कि उसे इस विषय का ज्ञान नहीं है। उसने इसे नहीं पढ़ा है। इसके माहात्म्य को नहीं समझा है। इस दिशा में वह दरिद्र है। भिखमंगा है। इसलिए वह क्षमा की भिक्षा देने योग्य है। उस पर क्रोध करने या उससे घृणा करने या उससे शत्रुता करने से क्या लाभ?

मैं आज यह बात इसलिए कह रहा हूँ कि वर्त्तमान युग के आधुनिक विज्ञान की नित परिवर्तनशील सिद्धांत एवं मान्यताओं के द्रुतगामी एवं दिशाहीन अंधड़ के घनघोर वेग के सहारे अपने आप को किसी स्वप्निल दुनिया में ले जाने के भयावह स्वप्न संजोये तथाकथित अतिसभ्य एवं सुशिक्षित की चाटुकारितापूर्ण उपाधि से विभूषित होकर फूले न समाते बिना किसी ठोस अवलम्बन के अंतरिक्ष की तरफ बढ़ती हुई बेल की तरह धडाम से चारो खाने चित्त होकर धरासाई होने की वास्तविकता से पराङ्गमुख आभाषी स्वर्णिम भविष्य की कल्पना से सराबोर एक दूसरे से आगे निकल जाने का होड़ लगाये मानव प्राणी ज्योतिष, यंत्र-मन्त्र-तंत्र, कर्मकाण्ड एवम आयाम (प्राणायाम-व्यायाम) को एक नीरस, ज़टिल, जाहिल एवम असत्य मानकर इससे बहुत दूर चलता जा रहा है।

और जब तक चेत होता है, तब तक वह इतना दूर जा चुका होता है कि वापसी के सारे रास्ते बंद हो चुके होते हैं। और तब पछताने एवम हाथ मलने के अलावा और कोई सहारा नहीं रह जाता है।

अभी आप स्वयं सोचें, जब अभी सूक्ष्मदर्शी तथा दूरदर्शी आदि आधुनिक उपकरणों एवं वैज्ञानिक यंत्रो का आविष्कार नहीं हुआ था तो किस गणना के आधार पर ज्योतिषी वृन्द सूर्य आदि ग्रहों की गति-चाल, उनका ग्रहण एवम पूर्णिमा-अमावश्या आदि का सटीक निर्धारण करते थे? आज भी शल्य चिकित्सा जब अत्यंत उन्नत अवस्था को प्राप्त हुई है, तब भी उसमें नया शोधन-संशोधन सुश्रुत सिद्धांत पर ही किया जाता है। अंग प्रत्यारोपण का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है कि बाल गणेश के सिर को शिवशंकर द्वारा काट दिए जाने के बावजूद भी शल्य चिकित्सा के द्वारा हाथी के सिर का तत्काल बिना किसी आधुनिक प्रयोगशाला या चिकित्सालय के प्रत्यारोपित कर दिया गया। नास्तिक या गैर हिन्दू मतावलंबी इसे एक मनगढ़ंत झूठी कहानी कहा करते थे। कहते थे कि क्या दूसरे के धड पर दूसरे का सिर कभी लगाया जा सकता है? जिसे तब तक एक कपोल कल्पित घटना माना जाता रहा जब तक कि आधुनिक विज्ञान ने यह प्रयोग स्वयं आरम्भ नहीं किया।

मैं यह ब्लॉग आज इसलिए लिख रहा हूँ कि आज एक ऐसे महानुभाव से तेरह वर्ष बाद मुलाक़ात हुई है जिन्हें आज आधुनिक चिकित्सा विज्ञान एक भयावह राक्षस जैसा नज़र आ रहा है। संक्षेप में उनके बारे में इतना ही कहना पर्याप्त होगा कि सिर्फ आर्थिक स्थिति को छोड़ कर उनका सबकुछ नष्ट हो गया है। देश-विदेश के प्रमुख समस्त चिकिसालयो एवं चिकित्सा शास्त्रियों की शरण वह जा चुके हैं। धन-दौलत उनके पास कितना है, इसका अंदाजा उन्हें स्वयं ही नहीं है। थोड़ा अंदाजा इतने से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2005 में वह भारत सरकार को उन्नीस अरब रुपये तथा कनाडा सरकार को अट्ठासी लाख डालर केवल आयकर अदा कर चुके है। अभी आज वह विभिन्न देवालयों का भ्रमण कर रहे है। तथा मुझे माता वैष्णव देवी के रास्ते में अचानक मिल गये।

माताजी उन्हें चिंता मुक्त एवं सुखी करें। ईश्वर उन्हें शान्ति दें।



Answered by VarshaS553
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Answer:

वर्षा ऋतु हमारे देश में जुलाई माह से प्रारंभ होती है और सितंबर माह तक वर्षा होती है. गर्मियों की झुलसा देने वाली गर्मी के बाद सभी लोग बेसब्री से बारिश का इंतजार करते है. हमारे देश के किसान तो हर समय आसमान की तरफ टकटकी लगाए देखते रहते है.

वर्षा ऋतु किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है इस समय किसानों खरीफ की फसल बोते है और बारिश आते है फसल लहरा होते है चारों ओर खेतों में हरी भरी फसल लहराते देखकर मन प्रशंसा पूर्वक हर्षा उठता है

गर्मी के कारण सूखे हुए पेड़ पौधे भी नव अंकुरित हो उठते है, सूखी हुई नदियां, तालाब, बावड़िया, बांध पानी से लबालब भर जाते है धरती की प्यास बुझती है और भूजल स्तर ऊंचा उठ जाता है. सभी जीवो को बारिश से राहत की सांस मिलती है.

बारिश के आगमन पर मोर छम-छम करके नाचता है, कोयल मीठी राग सुनाती है, मेंढक टर्र-टर्र करके अपनी खुशी जाहिर करता है. वर्षा ऋतु बहुत ही मनोरम ऋतु होती है इस ऋतु में सभी का मन ऐसा होता है क्योंकि चारों तरफ हरियाली, ठंडी हवा और सुख शांति फैल जाती है.

मानसून के दिनों में आसमान में काले सफेद बादल पानी लेने के लिए दौड़ते नजर आते है, काली घटाओं में बिजली का चमकना बहुत अच्छा लगता है.

गर्मियों के कारण जो बच्चे घर से बाहर निकलना बंद कर देते हैं बारिश के मौसम में वे बाहर निकल कर खूब खेलते नाचते गाते है और बारिश का भरपूर आनंद उठाते है.

बारिश का मौसम पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक जीव को नया जीवन प्रदान करता है इसलिए मुझे वर्षा ऋतु बहुत पसंद है.

Answered by VarshaS553
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वर्षा ऋतु हमारे देश में जुलाई माह से प्रारंभ होती है और सितंबर माह तक वर्षा होती है. गर्मियों की झुलसा देने वाली गर्मी के बाद सभी लोग बेसब्री से बारिश का इंतजार करते है. हमारे देश के किसान तो हर समय आसमान की तरफ टकटकी लगाए देखते रहते है.

वर्षा ऋतु किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है इस समय किसानों खरीफ की फसल बोते है और बारिश आते है फसल लहरा होते है चारों ओर खेतों में हरी भरी फसल लहराते देखकर मन प्रशंसा पूर्वक हर्षा उठता है

गर्मी के कारण सूखे हुए पेड़ पौधे भी नव अंकुरित हो उठते है, सूखी हुई नदियां, तालाब, बावड़िया, बांध पानी से लबालब भर जाते है धरती की प्यास बुझती है और भूजल स्तर ऊंचा उठ जाता है. सभी जीवो को बारिश से राहत की सांस मिलती है.

बारिश के आगमन पर मोर छम-छम करके नाचता है, कोयल मीठी राग सुनाती है, मेंढक टर्र-टर्र करके अपनी खुशी जाहिर करता है. वर्षा ऋतु बहुत ही मनोरम ऋतु होती है इस ऋतु में सभी का मन ऐसा होता है क्योंकि चारों तरफ हरियाली, ठंडी हवा और सुख शांति फैल जाती है.

मानसून के दिनों में आसमान में काले सफेद बादल पानी लेने के लिए दौड़ते नजर आते है, काली घटाओं में बिजली का चमकना बहुत अच्छा लगता है.

गर्मियों के कारण जो बच्चे घर से बाहर निकलना बंद कर देते हैं बारिश के मौसम में वे बाहर निकल कर खूब खेलते नाचते गाते है और बारिश का भरपूर आनंद उठाते है.

बारिश का मौसम पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक जीव को नया जीवन प्रदान करता है इसलिए मुझे वर्षा ऋतु बहुत पसंद है.

Answered by VarshaS553
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वर्षा ऋतु हमारे देश में जुलाई माह से प्रारंभ होती है और सितंबर माह तक वर्षा होती है. गर्मियों की झुलसा देने वाली गर्मी के बाद सभी लोग बेसब्री से बारिश का इंतजार करते है. हमारे देश के किसान तो हर समय आसमान की तरफ टकटकी लगाए देखते रहते है.

वर्षा ऋतु किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है इस समय किसानों खरीफ की फसल बोते है और बारिश आते है फसल लहरा होते है चारों ओर खेतों में हरी भरी फसल लहराते देखकर मन प्रशंसा पूर्वक हर्षा उठता है

गर्मी के कारण सूखे हुए पेड़ पौधे भी नव अंकुरित हो उठते है, सूखी हुई नदियां, तालाब, बावड़िया, बांध पानी से लबालब भर जाते है धरती की प्यास बुझती है और भूजल स्तर ऊंचा उठ जाता है. सभी जीवो को बारिश से राहत की सांस मिलती है.

बारिश के आगमन पर मोर छम-छम करके नाचता है, कोयल मीठी राग सुनाती है, मेंढक टर्र-टर्र करके अपनी खुशी जाहिर करता है. वर्षा ऋतु बहुत ही मनोरम ऋतु होती है इस ऋतु में सभी का मन ऐसा होता है क्योंकि चारों तरफ हरियाली, ठंडी हवा और सुख शांति फैल जाती है.

मानसून के दिनों में आसमान में काले सफेद बादल पानी लेने के लिए दौड़ते नजर आते है, काली घटाओं में बिजली का चमकना बहुत अच्छा लगता है.

गर्मियों के कारण जो बच्चे घर से बाहर निकलना बंद कर देते हैं बारिश के मौसम में वे बाहर निकल कर खूब खेलते नाचते गाते है और बारिश का भरपूर आनंद उठाते है.

बारिश का मौसम पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक जीव को नया जीवन प्रदान करता है इसलिए मुझे वर्षा ऋतु बहुत पसंद है.

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