Hindi, asked by priyaskyrise, 4 months ago

essay of pariksha ka bukaar

Answers

Answered by aadhyashylesh11928
0

Answer:

HomeReader BlogOthers

परीक्षा का बुखार….

KAVITA

Just Another Weblog

72 Posts1055 Comments

आजकल इम्तहान का सीज़न चल रहा है सभी छात्र पढने में बिजी हैं .जब मैं इंटर में थी

तो वार्षिक उत्सव के अवसर पर मेरी टीचर ने मुझे ये कविता दी थी पढने के लिए ,वो

कविता आज भी मुझे यद् है .जो मैं लिख रही हूँ .आप भी इसका आनन्द लीजिये .

इतिहास परीक्षा थी उस दिन

चिंता से ह्रदय धडकता था ,

जब से जागा था ,सुबह तभी से

बायाँ नयन फड़कता था

—————————–

जो उत्तर मैंने याद किये

उसमें से आधे याद हुए ,

वो भी स्कूल पहुंचने तक

आधे ही बर्बाद हुए

—————————–

जो सीट दिखाई दी ख़ाली

मैं झट उस पे जा बैठा ,

था एक निरीक्षक कमरे में

आया झल्लाया ऐंठा.

—————————-

बोला,क्यों रे ,तेरा ध्यान किधर

तू क्यूँ ,कर के आया देरी ,

तू यहाँ कहाँ पर आ बैठा

उठ जा ये कुर्सी है मेरी.

———————————

मैं उचका एक उचक्के सा ,

मुझ में कुर्सी में मैच हुआ

टकरा टकरा के वहीं कहीं

एक कुर्सी द्वारा कैच हुआ .

———————————-

पर्चे पर मेरी नज़र पड़ी तो ,

सारा बदन पसीना था ,

फिर भी पर्चे से डरा नहीं ,

वो मेरा ही सीना था .

———————————-

बस ,कापीके बरगद पर

कलम कुल्हाड़ा दे मारा,

घंटे भर के अन्दर ,कर डाला

प्रश्नों का वारा न्यारा

———————————

अकबर का बेटा था बाबर

जो वायूयान से आया था .

उसने ही हिन्द महासागर

अमरीका से मंगवाया था .

———————————–

गौतम जो बुद्ध हुए ,जाकर

वो गाँधी जी के चेले थे .

दोनों बचपन में नेहरु के संग

आँख मिचोली खेले थे .

———————————

होटल का मालिक था अशोक

जो ताजमहल में रहता था ,

ओ ,अंग्रेज़ों भारत छोड़ो ,

लाल किले से कहता था .

——————————–

झांसा दे जातीं ,सबको

ऐसी थी झाँसी की रानी .

अक्सर अशोक के होटल में ,

खाया करती थी ,बिरयानी .

——————————–

ऐसे ही चुन चुन कर मैनें

प्रशनों के पापड़ ,बेल दिए .

उत्तर के ऊँचे पहाड़

टीचर की ओर ढकेलदिए

———————————

टीचर बेचारे ,ऊंचाई तक

क्या चढ़ पाते,उनके बसके बाहर

मेरे इतिहास का भूगोल हुआ

ऐसे में क्या होना था ,

————————–ऐसा किसी परीक्षार्थी के साथ न हो ,यही शुभकामना है

Answered by Anonymous
0

आजकल इम्तहान का सीज़न चल रहा है सभी छात्र पढने में बिजी हैं .जब मैं इंटर में थी

तो वार्षिक उत्सव के अवसर पर मेरी टीचर ने मुझे ये कविता दी थी पढने के लिए ,वो

कविता आज भी मुझे यद् है .जो मैं लिख रही हूँ .आप भी इसका आनन्द लीजिये .

इतिहास परीक्षा थी उस दिन

चिंता से ह्रदय धडकता था ,

जब से जागा था ,सुबह तभी से

बायाँ नयन फड़कता था

-----------------------------

जो उत्तर मैंने याद किये

उसमें से आधे याद हुए ,

वो भी स्कूल पहुंचने तक

आधे ही बर्बाद हुए

-----------------------------

जो सीट दिखाई दी ख़ाली

मैं झट उस पे जा बैठा ,

था एक निरीक्षक कमरे में

आया झल्लाया ऐंठा.

----------------------------

बोला,क्यों रे ,तेरा ध्यान किधर

तू क्यूँ ,कर के आया देरी ,

तू यहाँ कहाँ पर आ बैठा

उठ जा ये कुर्सी है मेरी.

---------------------------------

मैं उचका एक उचक्के सा ,

मुझ में कुर्सी में मैच हुआ

टकरा टकरा के वहीं कहीं

एक कुर्सी द्वारा कैच हुआ .

----------------------------------

पर्चे पर मेरी नज़र पड़ी तो ,

सारा बदन पसीना था ,

फिर भी पर्चे से डरा नहीं ,

वो मेरा ही सीना था .

----------------------------------

बस ,कापीके बरगद पर

कलम कुल्हाड़ा दे मारा,

घंटे भर के अन्दर ,कर डाला

प्रश्नों का वारा न्यारा

---------------------------------

अकबर का बेटा था बाबर

जो वायूयान से आया था .

उसने ही हिन्द महासागर

अमरीका से मंगवाया था .

-----------------------------------

गौतम जो बुद्ध हुए ,जाकर

वो गाँधी जी के चेले थे .

दोनों बचपन में नेहरु के संग

आँख मिचोली खेले थे .

---------------------------------

होटल का मालिक था अशोक

जो ताजमहल में रहता था ,

ओ ,अंग्रेज़ों भारत छोड़ो ,

लाल किले से कहता था .

--------------------------------

झांसा दे जातीं ,सबको

ऐसी थी झाँसी की रानी .

अक्सर अशोक के होटल में ,

खाया करती थी ,बिरयानी .

--------------------------------

ऐसे ही चुन चुन कर मैनें

प्रशनों के पापड़ ,बेल दिए .

उत्तर के ऊँचे पहाड़

टीचर की ओर ढकेलदिए

---------------------------------

टीचर बेचारे ,ऊंचाई तक

क्या चढ़ पाते,उनके बसके बाहर

मेरे इतिहास का भूगोल हुआ

ऐसे में क्या होना था ,

मेरा नंबर तो गोल हुआ ...

-----------------------------ऐसा किसी परीक्षार्थी के साथ न हो ,यही शुभकामना है .

All the best

Similar questions