Essay om the topic importance of literature in hindi
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साहित्य आत्माभिव्यक्ति अथवा आत्म प्रकाशन की एक सरल भंगिमा है । यह समाज की अभिव्यक्ति है जो कविता, कहानी, उपन्यास, निबंध, पत्र-पत्रिका आदि अनेक धाराओं में समाज के मध्य अवतरित है । साहित्य के माध्यम से समाज के सुख-दु:ख, पीड़ा, वेदना आदि सभी मनोभाव प्रतिबिंबित होते हैं ।
समाज की प्रगति का संपूर्ण लेखा-जोखा साहित्य में निहित होता है । साहित्य अर्थात् ‘सभी के हित में’ या दूसरे शब्दों में, साहित्य की संरचना संपूर्ण मानव-समाज के हित के लिए की जाती है । इस दृष्टि से साहित्य और समाज का अटूट संबंध है । साहित्य का सृजन मनुष्य के द्वारा होता है और मनुष्य समाज के निर्माण की कड़ी है ।
एक साहित्यकार के मनोभाव, उसके विचार, संवेदना संदेश तथा उसकी आकांक्षाएँ सभी उसके सामाजिक परिवेश की देन होती हैं । किसी भी साहित्य की उन्नति समाज की उन्नति है । उन्नत साहित्य और समाज दोनों ही एक-दूसरे के पूरक हैं ।
साहित्य एक ओर जहाँ समाज की मानसिक दशा व उसके विकास का मापदंड होता है वहीं दूसरी ओर समाज भी अपने विकास व अपनी संपूर्ण आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए साहित्य पर निर्भर है ।
एक साहित्यविहीन समाज को सभ्य समाज की संज्ञा नहीं दी जा सकती क्योंकि साहित्य ही समाज में रहने वाले मनुष्यों को पृथ्वी पर रहने वाले अन्य जीवों से विशिष्टता प्रदान करता है ।
यदि विश्व के इतिहास पर अपनी दृष्टि डालें तो हम पाते हैं कि समय के साथ विभिन्न राष्ट्रों व समाजों पर तत्कालीन साहित्य का प्रभाव अवश्य ही पड़ा है । महान लेखक रस्किन और इंग्लैड की समृद्धि के इतिहास को पृथक नहीं किया जा सकता है ।