Essay on 21st century important in Hindi
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२१वीं शताब्दी ऍनो डोमिनो या आम युग की वर्तमान शताब्दी हैं, ग्रेगोरी कालदर्शक के अनुसार। इसका प्रारम्भ जनवरी १, २००१ को हुआ और दिसम्बर ३१, २१०० पर अंत होगा। ग्रेगरी पंचांग के अनुसार ईसा की इक्कीसवीं शताब्दी १ जनवरी २००१ से ३१ दिसम्बर २१०० तक मानी जाती हैं। यह ३रीं सहस्त्राब्दी की पहली शताब्दी है। यह 2000s के रूप में विख्यात शताब्दी से भिन्न हैं जिसका प्रारम्भ जनवरी १, २००० को हुआ और दिसम्बर ३१, २०९९ पर अंत होगी।
करीब पच्चीस साल पहले हमारे तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने हमें याद दिलाना शुरु किया था कि भारत बहुत जल्दी इक्कीसवी में पहुंचने वाला है। हमें इक्कीसवीं सदी में जाना है। यह बात करते करते हम इक्कीसवीं सदी मे पहुंच गए और इस नई सदी के दस साल भी बीत गए। इक्कीसवीं सदी का भारत कहां है, कैसा है, कैसा बनने वाला है, कहां पहुँचने वाला है- यह एक विशद विषय है। यहां उसके कुछ पहलुओं पर विचार करेंगें।
निश्चित ही नई सदी में बहुत सारी चीजें काफी चमकदार दिख रहीं है। बीस साल या पचास साल पहले के मुकाबले भारत काफी आगे दिखाई दे रहा है। कई तरह की क्रांतियां हो रही है। कम्प्यूटर क्रांति चल रही है। मोबाईल क्रांति भी हो गई है- अब गरीब आदमी की जेब में भी एक मोबाईल मिलता है। आॅटोमोबाईल क्रांति चल रही है। एक जमाना था जब स्कूटर के लिए नंबर लगाना पड़ता था, वह ब्लेक में मिलता था। कारों के बस दो ही मॉडल थे – एम्बेसेडर और फिएट। अब किसी भी शोरुम में जाइए, मनपसंद मॉडल की मोटरसाईकल या कार उठा लाइए। नित नए मॉडल बाजार में आ रहे है। सड़कों पर कारें ही कारें दिखाई देती हैं। सड़कें फोरलेन-सिक्सलेन बन रही है। हाईवे, एक्सप्रेसवे की चिकनी सड़कों पर गाड़ियां हवा से बात करती हैं। ‘फोरलेन‘ शब्द तो बच्चे-बच्चेे की जुबान पर चढ़ गया है। इसी तरह शिक्षा में भी क्रांति आ गई है। पहले इंजीनियरिंग, मेडिकल, बी.एड. कालेज गिनती के हुआ करते थे। आज एक-एक शहर में दस-दस कॉलेज है और उनमें सीटें खाली रहती है। पहलें चुनिंदा कान्वेंट स्कूल हुआ करते थे, अब इंग्लिश मिडियम स्कूल गली-गली, मोहल्ले में खुल गए है।
हमारी राष्ट्रीय आय छः, सात, आठ प्रतिशत की वृद्धि दर से बढ़ती जा रही है। दुनिया में 2007-08 में जो मंदी का झटका आया , वह भी हमें ज्यादा प्रभावित नहीं कर पाया। इस बीच में हमने परमाणु बम भी बना लिए । हम दुनिया की महाशक्ति बनने का सपना देख रहे है। संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्य तो बन चुके है, स्थाई सदस्य बनने के लिए हम हाथ-पांव मार रहे है। ओबामाजी की मेहरबानी हो जाए, तो यह सपना पूरा होने की उम्मीद हम कर रहे हैदुनिया के सबसे ज्यादा भूखे लोग और कुपोषित बच्चे इस देश में निवास करते है। सबसे ज्यादा अशिक्षित, सबसे ज्यादा बेघर या कच्चे घरों में रहने वाले लोग, सबसे ज्यादा निमोनिया और मलेरिया से मरने वाले लोग भी इस देश में है। विडंबना यह है कि अमरीका के बाद दुनिया के सबसे ज्यादा धनी अरबपति भी इसी देश में है। मुंबई के मुकेश अंबानी के कई अरबों रुपयों से तैयार होने वाले महल ने तो पुराने राजा-महाराजाओं-नवाबों को अय्याशी में काफी पीछे छोड़ दिया है। यह सत्ताईस मंजिला घर है और एक मंजिल की ऊचाई औसत से दुगनी है। इसमें तीन हेलीपेड़ है, कई स्विमिंग पुल है, छः मंजिलों में 168 कारों की पार्किंग की जगह है। अंबानी के इस आलीशान महल और झोपडपट्टियों-गांवों में रहने वाले की कंगाली का गहरा संबंध है।