Essay on a at am nirbhar bharat or swataran bharat
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swatantra Bharat
bhartala swatantra bhetl he aaplya sarvanthi Khup Chan gosht aahe
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आज का दौर प्रतिस्पर्धा का दौर है, जिस कारण से हर क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा देखने को मिलती है, ऐसे में अगर कोई भी देश खुद के जरुरतो के लिए अपने देश पर आत्म निर्भर बनना पड़ता है, तभी वह देश विश्व मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकता है तो चलिए भारत के प्रधानमन्त्री के द्वारा भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में शुरू किया गया आत्म निर्भर भारत अभियान को प्रेरित करने वाले Aatm Nirbhar Bharat Abhiyan Naare Slogan जानते है.
मनुष्य को जीवन में दूसरों पर भरोसा न कर आत्म निर्भर और आत्म विश्वासी होना चाहिए । दूसरे शब्दों में आत्म-सहायता ही उसके जीवन का मूल सिद्धांत, मूल आदर्श एवं उसके उद्देश्य का मूल-तंत्र होना चाहिए । असंयत स्वभाव तथा मनुष्य का परिस्थितियों से घिरा होना, पूर्णरूपेण आत्मविश्वास के मार्ग को अवरूद्ध सा करता है ।
वह समाज में रहता है जहां पारस्परिक सहायता और सहयोग का प्रचलन है । वह एक हाथ से देता तथा दूसरे हाथ से लेता है । यह कथन एक सीमा तक उचित प्रतीत होता है । ऐसा गलत प्रमाणित तब होता है जब बदले में दिया कुछ नही जाता सिर्फ लिया भर जाता है और जब अधिकारों का उपभोग विश्व में बिना कृतज्ञता का निर्वाह किए, भिक्षावृत्ति तथा चोरी और लूट-खसोट में हो, लेकिन विनिमय न हो ।
फिर भी पूर्ण आत्म-निर्भरता असंभव सी है । जीवन में ऐसे सोपान आते हैं, जब आत्म विश्वास को जागृत किया जा सकता है । स्वभावतया हम दूसरों पर आर्थिक रूप से निर्भर होते हैं । हम जरूरत से ज्यादा दूसरों की सहायता, सहानुभूति, हमदर्दी, नेकी पर विश्वास करते हैं, लेकिन यह आदत हानिकारक है । इससे हमारी शक्ति और आत्म उद्योगी भावना का ह्रास होता है । यह आदत हममें निज मदद हीनता की भावना भर देती है ।
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