Essay on a friend in need is a friend indeed in hindi
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दो मित्र थे । उनमें बहुत घनिष्ठ मित्रता थी । एक का नाम सलीम था, दूसरे का नाम कलीम था । एक दिन दोनों मित्र बाजार से लौट रहे थे । रास्ते में एक जंगल पड़ता था । वे जंगल से होकर गुजर रहे थे । अचानक रास्ते में उन्हें एक सोने की कुल्हाड़ी पड़ी दिखाई दी । सलीम ने झपटकर वह कुल्हाड़ी उठा ली । वह बहुत भारी थी ।
”आहा! मेरा भाग्य कितना अच्छा है, मुझे इतना सोना मिल गया । इसे बेचकर तो मुझे बहुत धन प्राप्त होगा । मैं अमीर बन जाऊंगा ।” सलीम बोला ”यह क्या कह रहे हो मित्र? यह क्या सिर्फ तुम्हें मिली है?” कलीम आश्चर्य से बोला। ”तुम क्या कहना चाहते हो?” सलीम अप्रसन्नता से बोला ।
”हम दोनों मित्र हैं । एक साथ चल रहे हैं । दोनों को ही यह कुल्हाड़ी दिखाई दी, इसलिए इस पर हम दोनों का समान अधिकार है । यह न कहो कि यह ‘मुझे’ मिली है । वास्तव में यह ‘हमें’ मिली है ।” ”बकवास मत करो । यह सिर्फ मुझे मिली है । इसे मैंने उठाया है ।
तुम्हारा इस पर कोई अधिकार नहीं । मैं इसमें से तुम्हें जरा भी हिस्सा नहीं दूंगा ।” ”यह तो गलत बात है । तुम तो मित्रता भी नहीं निभा रहे ।” ”भाड़ में जाए ऐसी मित्रता! जिसमें हानी उठानी पड़े, ऐसी मित्रता मूर्ख लोग निभाते हैं । मैं मूर्ख नहीं हूं । चुपचाप चले चलो ।” ”मित्र, यह अच्छी बात नहीं ।”
”नहीं है, तो न सही । मैं तो तिल-भर भी हिस्सा नहीं देने वाला। आज से हमारी मित्रता भी खत्म समझो । अब मैं धनवान हूं । निर्धन व्यक्ति से मित्रता कैसी!” कलीम को उसके विचार सुनकर गहरा धक्का लगा । वह चुप हो गया । दोनों चुपचाप चलने लगे ।
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सलीम तो उस कुल्हाड़ी से प्राप्त होने वाले धन के उपयोग के बारे में सोच रहा था । वह नया बंगला खरीदेगा, गाड़ी खरीदेगा, नौकर-चाकरों की फौज रखेगा…और भी न जाने क्या-क्या… । अचानक पीछे से किसी ने आकर उसका कुल्हाड़ी वाला हाथ थाम लिया ।
सलीम घबराकर मुड़ा, कलीम भी रुक गया । ”चोर! मेरी कुल्हाड़ी लिए जाता है!” आगंतुक चीखकर बोला- ”अभी राजा के सिपाही आते ही होंगे । ठहर, अभी तेरा कचूमर निकलवाता हूं ।” तभी दूर से कुछ सिपाही आते दिखाई दिए । सलीम घबरा गया ।
”मित्र, अब तो हम बुरे फंसे ।” सलीम अपने मित्र से बोला- ”इस कुल्हाड़ी ने तो हम पर विपत्ति लाद दी है । अब हमारा क्या होगा?” ”तुम भी खूब हो, सलीम भाई!” कलीम ने हंसकर कहा- ”अभी तो तुमने मुझसे मित्रता तोड़ी है, फिर भी मुझे मित्र कह रहे हो । यह कुल्हाड़ी तो सिर्फ तुम्हें मिली है ।
इसमें मेरा क्या हिस्सा ।” ”मि…मित्र, मु…मुझे क्षमा कर दो ।” ”अभी तुमने कहा था कि यह कुल्हाड़ी ‘मुझे’ मिली है, ‘हमें’ नहीं, अब कहते हो कि ‘हम’ फंसे । अरे यह कहो कि ‘मैं’ फंसा । अब स्वयं भुगतो ।” सलीम को देखकर कलीम को दया आ गई ।
उसने कुल्हाड़ी वाले से कहा- ”भाई, मेरा मित्र निर्दोष है । तुम अपनी कुल्हाड़ी ले जाओ । इसे सिपाहियों के हवाले मत करो । कचहरी के चक्कर में तुम दोनों परेशान हो जाओगे ।” कुल्हाड़ी वाले की समझ में यह बात आ गई ।
”ठीक है, मैं तुम्हारी बात मान लेता हूं । मेरी कुल्हाड़ी मुझे वापस करो ।” सलीम ने कुल्हाड़ी उसे वापस दे दी । तभी सिपाही आ गए । ”क्या हो रहा है यहां? क्या तुम्हारी कुल्हाड़ी का चोर मिल गया?” ”दरोगाजी, मेरी कुल्हाड़ी इन सज्जनों को मिल गई थी ।” कुल्हाड़ी वाले ने विनम्रता से कहा- ”ये भालेमानस हैं ।
इन्होंने सहर्ष मेरी कुल्हाड़ी मुझे लौटा दी है ।” ”फिर तो हम जाते हैं ।” सिपाही चले गए । ”क्य समझे मित्र?” कलीम ने हंसकर कहा । ”मैं समझ गया । सच्चा मित्र में भी साथ नहीं छोड़ता । एक मैं था कि जरा-सा धन पाते ही मित्रता भूल गया था । मुझे क्षमा कर दो मित्र ।” उसके बाद वे दोनों फिर से घनिष्ठ मित्र बन गए ।
सीख:
बच्चो! यह कहानी हमें शिक्षा देती है । मित्र को अपने दुख का ही नहीं, सुख का भी भागी बनाना चाहिए, यही सच्ची मित्रता है । सच्चा मित्र संकट में भी साथ नहीं छोड़ता ।
Friendship is one of the greatest bonds anyone can ever wish for. Lucky are those who have friends they can trust. Friendship is a devoted relationship between two individuals. They both feel immense care and love for each other. Usually, a friendship is shared by two people who have similar interests and feelings.