essay on aa bail muje maar in Hindi
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ललन दिल्ली का रहने वाला था। वह अपनी माँ के साथ अकेला ही रहता था। उसका परिवार एवं रिश्तेदार दो लोगों तक ही सीमित थे। उसका न तो कोई अच्छा मित्र था और न ही बात करने के लिए कोई रिश्तेदार। ऐसे में वह अकेले रहते हुए माँ के साथ ही खुशी-खुशी जीवन व्यतीत कर रहा था। माँ-बेटे में यह तो नहीं कह सकते कि बहुत लगाव था और न ही हर समय झगड़ा रहता था। दोनों अपने-अपने कामों में लगे रहते और वक्त पड़ने पर ही बात करते थे।
ललन एक रात देरी से पहुँचा। उसकी आँखें लाल थीं। वह लड़खड़ा-सा रहा था। उसकी माँ को जब शक हुआ तो उसने ललन से आँखों के बारे में पूछा। यह सुन ललन पहले तो थोड़ा घबरा गया लेकिन फिर बोला कि आज काम ज्यादा था इसलिए थकान की वजह से आँखें लाल हो गई होंगीं। असल में ललन का आज पहली बार कोई मित्रा बना था जिसके आग्रह पर उसने दो पैग शराब के पी लिए थे। एक-दो सप्ताह के बीतने पर माँ का शक बढ़ने लगा क्योंकि दो सप्ताह में कम से कम पाँच-छः बार वह उसी हालत में घर लौटा था। माँ ने आपस में बहस होने के डर से कुछ न कहा लेकिन अगले दिन वह ललन का पीछा करते हुए उसके कार्यालय पहुँची।
ललन एक रात देरी से पहुँचा। उसकी आँखें लाल थीं। वह लड़खड़ा-सा रहा था। उसकी माँ को जब शक हुआ तो उसने ललन से आँखों के बारे में पूछा। यह सुन ललन पहले तो थोड़ा घबरा गया लेकिन फिर बोला कि आज काम ज्यादा था इसलिए थकान की वजह से आँखें लाल हो गई होंगीं। असल में ललन का आज पहली बार कोई मित्रा बना था जिसके आग्रह पर उसने दो पैग शराब के पी लिए थे। एक-दो सप्ताह के बीतने पर माँ का शक बढ़ने लगा क्योंकि दो सप्ताह में कम से कम पाँच-छः बार वह उसी हालत में घर लौटा था। माँ ने आपस में बहस होने के डर से कुछ न कहा लेकिन अगले दिन वह ललन का पीछा करते हुए उसके कार्यालय पहुँची।
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