essay on aatm santushti in hindi
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हम इस सांसारिक जगत में हैं तो इच्छाएं, उत्तरदायित्व और अपेक्षाएं होना अस्वाभाविक नहीं है। जब हमने संजोयी हुई इच्छाओं को परिस्थितियों से संघर्ष कर मूर्तरूप दे दिया हो तो मन मे एक सन्तोष का भाव स्वाभाविक है। वही भाव उत्तरदायित्व पूर्ण करने और अपेक्षाओं की पूर्ति पर आनंद देता है।
तो सार यही है कि परिश्रम और लगन से अपने लक्ष्यों की प्राप्ति करने पर आत्मसन्तुष्टि अवश्य प्राप्त होगी।
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