Hindi, asked by xxsomeoneshizukaxx40, 4 hours ago

essay on
agar me doctor hota in hindi

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Answered by vern0603
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Answer:

प्रत्येक व्यक्ति की अपनी - अपनी रुचि होती है | सभी व्यक्ति समान नहीं होते | सभी व्यक्ति अपनी - अपनी रुचि के अनुसार जीवन में कुछ करना चाहते हैं | मैं भी जीवन में कुछ करके दिखाना चाहती हूँ | मैं भी सोचती हूँ काश ! मैं डॉक्टर होती | यदि मैं डॉक्टर बन गई तो मैं जो कुछ करूँगी, उसकी रूपरेखा नीचे दे रही हूँ |

यदि मैं डॉक्टर बन जाती तो मेरा लक्ष्य होता जन - सेवा | मैं किसी ऐसे गाँव और क्षेत्र में अपना क्लिनिक खोलती जहाँ चिकित्सा की बहुत जरूरत होती | उस क्लिनिक में मैं सभी प्रकार के चिकित्सा के उपकरणों का प्रबंध करती | इससे गाँव के लोगों को इलाज के लिए गाँव से बाहर न जाना पड़ता | मेरे क्लिनिक से ही उनकी चिकित्सा संबंधी सारी आवश्यकताएँ पूरी हो जाती | डॉक्टरी का व्यवसाय मैं केवल धन कमाने के लिए नहीं करती | पर मैं यह भी जानती हूँ कि बिना धन के काम नहीं चल सकता | इसलिए मैं गाँव के धनवान व्यक्तियों से तो चिकित्सा के पूरे पैसे लेती और साथ ही सरकार से भी मदद माँगती पर मैं गाँव के गरीबों का इलाज मुफ्त में करती |

बहुत से रोग अज्ञानता के कारण होते हैं | रोगों का इलाज करना तो ठीक है, पर यह भी जरूरी है कि रोग क्यों होते हैं, इसकी जानकारी हो | इसलिए मैं रोगियों का इलाज तो करूँगी ही, साथ ही उन्हें समझाऊंगी भी | मैं उन्हें रोगों से बचने के तरीके बताऊँगी | ताकि रोगी उनका ध्यान रखेंगे तो वे बहुत -से रोगों से बच सकते हैं | अंग्रेज़ी में भी कहा है - Prevention is better than cure . इलाज से परहेज़ ज्यादा अच्छा है |

यदि मैं डॉक्टर बन जाती हूँ तो मैं अपना कार्य पूरी जिम्मेदारी के साथ करूँगी | चिकित्सा का काम व्यवसाय नहीं है | इसलिए केवल पैसा कमाना ही मेरा उद्देश्य नहीं होगा | मेरे जीवन का लक्ष्य ही है मानव- सेवा, समाज- सेवा, धन कमाना नहीं | मुझे विश्वास है कि मैं अवश्य डॉक्टर बनूँगी | मैं जो संकल्प किया है, उसे पूरा करके दिखाऊँगी | ईश्वर उनकी सहायता अवश्य करता है जो बहुत मेहनत करता है और अपना कार्य ईमानदारी से करता है |

मेरी ईश्वर से प्रार्थना है - है प्रभु मुझे शक्ति दो, मुझे बल दो | मैंने डॉक्टर बनने का जो निश्चय किया है, उसे पूरा कर सकूँ | इतना ही नहीं मुझे शक्ति दो कि मैं डॉक्टर बनकर जन - सेवा करने का जो संकल्प किया है उसे भी जीवन भर निभा सकूँ |

Answered by lovesk078
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Answer:

ईश्वर तो मनुष्य को जन्म देता है, लेकिन जैसे ही मनुष्य को कोई भी शारीरिक समस्याएँ होती है तो डॉक्टर उसे ठीक करने में उनकी सहायता करता है। दुनिया में कई तरह का पेशा है, जैसे शिक्षक, इंजीनियर, वकील इत्यादि।

सभी पेशेवरों की अपनी जिम्मेदारियां होती है। डॉक्टर की जिम्मेदारी है, लोगो के ज़िन्दगी को बचाना, उनकी शारीरिक, मानसिक परेशानियों को दूर करना और व्यवस्थित रूप से मरीज़ो का इलाज़ करना।

कहा जाता है डॉक्टर भगवान् का दूसरा रूप है। डॉक्टर के कंधो पर मनुष्य के सेहत की रक्षा करने का दायित्व होता है। डॉक्टर बनने के लिए व्यक्ति को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसके लिए रात -दिन पढ़ाई और हर पहलू पर इंटर्नशिप करने की ज़रूरत होती है|

इससे डॉक्टर मरीज़ो का सही दिशा में इलाज़ कर पाता है। डॉक्टर जन सेवा है और जो भी व्यक्ति डॉक्टर बनने के लिए पढ़ाई करता है, उसे जान सेवा की शपथ लेना पड़ता है| हर डॉक्टर को यह शपथ लेना पड़ता है कि वह आजीवन जन सेवा करेगा।

यही डॉक्टरों का परम कर्त्तव्य है, लेकिन आजकल कुछ अस्पतालों में डॉक्टर अपनी जेब गर्म करने के लिए अपने पेशे से खिलवाड़ कर बैठता है। यदि मैं डॉक्टर होता तो समाज सेवा में अपना पूरा मन लगाता।

Explanation:

मैं यदि डॉक्टर होता तो मरीज़ो के स्वास्थ्य और इलाज़ को प्राथमिकता देता। मैं अपने निजी क्लिनिक को साफ़ सुथरा रखता। अपने कमरे में ऐसे कुर्सियां और बेड का इंतज़ाम करता, जिससे मरीज़ो को किसी भी प्रकार की तकलीफ ना हो।

मैं मरीज़ो से नम्रतापूर्वक बातें करता और मरीज़ो की परेशानी को गहराई से समझता। जो भी ज़रूरत है मरीज़ो को उसी के अनुसार उन्हें ब्लड इत्यादि टेस्ट करने के लिए कहता। मैं मरीज़ो के हर कथन को ध्यानपूर्वक सुनता, ना कि आजकल के कुछ डॉक्टरों की तरह, जो थोड़ा बहुत सुनकर पर्चे पर दवाई लिखकर मरीज़ो को थमा देते है।

मैं मरीज़ो की सही तरीके से जांच करता और फिर उन्हें ज़रूरत की दवाई और प्रत्येक दिन उन्हें खाने में क्या सेवन करना चाहिए इसके बारे उनको अच्छे से समझा देता।

मरीज़ो की आपातकालीन स्थिति में मैं सर्वप्रथम उस मरीज़ को प्राथमिकता देता। चाहे कितनी ही देर रात को मुझे रोगियों के इमरजेंसी कॉल्स आये, मैं हमेशा उनके सेवा में हाज़िर हो जाता।

रोगी का परीक्षण करते हुए रिश्तेदारों का हस्तशेप मैं सहन नहीं करता। मैं रिश्तेदारों की भावनाओ को समझता हूँ, मगर रोगियों की जांच के समय, मैं कोई हस्तक्षेप नहीं चाहता क्योकि इससे कहीं ना कहीं जांच में बाधा पड़ती है।

में कार्यरत होने के बावजूद कभी रोगी को घर पर जाकर देखना पड़े तो मैं उसके लिए हमेशा तैयार रहूंगा। आजकल कुछ डॉक्टर रोगी की बीमारी को भली भाँती जानते हुए भी उसे बड़ी बीमारी घोषित कर देते है। ऐसा वे इसलिए करते है ताकि उन्हें अत्यधिक पैसा मिले।

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