essay on ankahee batein in hindi
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नई दिल्ली। बुधवार को देश की सर्वोच्च अदालत यानी की सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया कि अब देश के सभी सिनेमाघरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य होगा और सिनेमाघर में मौजूद सभी लोगों को राष्ट्रगान के सम्मान में खड़ा होना जरूरी होगा।
सिनेमाहॉलों में राष्ट्रगान बजाए जाने को लेकर सोशल मीडिया पर क्या बोले लोग, जानिए?
राष्ट्रगान केवल देश के लिए महज एक गीत या कविता नहीं है बल्कि ये हमारी आन-बान और शान का मानक भी है।
आईए विस्तार से जानते हैं राष्ट्रगान के अर्थ और महत्व के बारे में..
राष्ट्रगान( जन, गण, मन...) के रचनाकार महान कवि और लेखक गुरू रविंद्रनाथ टैगोर हैं।
टैगोर की कलम से लिखे राष्ट्रगान जनगणमन को यूनेस्को की ओर से विश्व का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रगान करार दिया गया है।
पहली बार राष्ट्रीय गान की संगीतबद्ध प्रस्तुति जर्मनी के हैम्बर्ग शहर में हुई।
24 जनवरी, 1950 को जन-गण-मन को राष्ट्रगान के तौर पर संविधान सभा ने मान्यता दे दी।
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आगे की बात तस्वीरों में...

बांग्ला भाषा में लिखा गया
भारत का राष्ट्रगान 'जन गण मन' मूलतः बांग्ला भाषा में लिखा गया था, जिसे भारत सरकार द्वारा 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रगान के रूप में अंगीकृत किया गया।

गायन की अवधि लगभग 52 सेकेण्ड
इसके गायन की अवधि लगभग 52 सेकेण्ड निर्धारित है और जब राष्ट्रगान गाया या बजाया जाता है तो श्रोताओं को सावधान की मुद्रा में खड़े होना आवश्यक है।
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