Essay on anushasan ka mahatva in Hindi
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अनुशासन (Anushasan) की सच्ची शिक्षा हम कुदरत से ले सकते हैं सूर्य और चन्द्रमा समय पर निकलते हैं और समय पर ही डूबते हैं समय पर ही ऋतुएं आती हैं। इसके इलावा पशु -पक्षियों के जीवन में भी अनुशासन देखा जा सकता है पंक्तियों में उड़ते हुए पक्षी और कतार में चलती चींटियां हर एक को अनुशासन में रहने का संदेश देती हैं।
विद्दार्थी जीवन में तो अनुशासन का विशेष महत्व समझा जाता है इसके बिना तो विद्दार्थी जीवन की कल्पना तक नहीं की जा सकती है। यदि विद्दार्थी अनुशासित नहीं होगा तो उसके जीवन का विकास अच्छे तरीके से नहीं हो सकता है जैसे समय का सही उपयोग करना , गुरुओं की आज्ञा का पालन करना और ध्यानपूर्वक पढ़ना आदि हैं। आज का विद्दार्थी अनुशासनहीनता का शिकार हो रहा वह सुख आराम का इच्छुक होता जा रहा है इसीलिए विद्दार्थी में अनुशासनहीनता खत्म करने के लिए शिक्षा में सुधार लाना चाहिए बल्कि शिक्षा की ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए के बच्चा शिक्षा को अपने शरीर का अंग समझे ना के बोझ।
अनुशासन (Anushasan) दो तरह का होता है पहला बाहरी अनुशासन जो व्यक्ति के उपर जबरदस्ती थोपा जाता है यह भय ,शक्ति और सजा पर आधारित होता है और दूसरा आंतरिक अनुशासन वो होता है जो व्यक्ति के अंदर से जागृत होता है बल्कि उस पर थोपा नहीं जाता इसमें नियमों का पालन करना बोझ नहीं समझा जाता।
इसीलिए समाज के कल्याण के लिए जिंदगी में अनुशासन का विशेष महत्व है अनुशासन से ही मनुष्य का पूर्ण विकास संभव है। इसीलिए इससे भागने की वजाय इसका पालन करना सीखें।
विद्दार्थी जीवन में तो अनुशासन का विशेष महत्व समझा जाता है इसके बिना तो विद्दार्थी जीवन की कल्पना तक नहीं की जा सकती है। यदि विद्दार्थी अनुशासित नहीं होगा तो उसके जीवन का विकास अच्छे तरीके से नहीं हो सकता है जैसे समय का सही उपयोग करना , गुरुओं की आज्ञा का पालन करना और ध्यानपूर्वक पढ़ना आदि हैं। आज का विद्दार्थी अनुशासनहीनता का शिकार हो रहा वह सुख आराम का इच्छुक होता जा रहा है इसीलिए विद्दार्थी में अनुशासनहीनता खत्म करने के लिए शिक्षा में सुधार लाना चाहिए बल्कि शिक्षा की ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए के बच्चा शिक्षा को अपने शरीर का अंग समझे ना के बोझ।
अनुशासन (Anushasan) दो तरह का होता है पहला बाहरी अनुशासन जो व्यक्ति के उपर जबरदस्ती थोपा जाता है यह भय ,शक्ति और सजा पर आधारित होता है और दूसरा आंतरिक अनुशासन वो होता है जो व्यक्ति के अंदर से जागृत होता है बल्कि उस पर थोपा नहीं जाता इसमें नियमों का पालन करना बोझ नहीं समझा जाता।
इसीलिए समाज के कल्याण के लिए जिंदगी में अनुशासन का विशेष महत्व है अनुशासन से ही मनुष्य का पूर्ण विकास संभव है। इसीलिए इससे भागने की वजाय इसका पालन करना सीखें।
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अनुशासन का महत्त्व
जीवन में अनुशासन बहुत आवश्यक है।
इस वातावरण में रहकर बच्चा अपना विकास करता है।
यदि अनुशासन नहीं होता, तो हमारा जीवन कैसा होता ?
अनुशासन समय का सही मूल्य बताता है।
समय के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना सिखाता है।
विद्यार्थियों में अनुशासनहीनता उन्हें आलसी, कामचोर और कमज़ोर बना देती है।
वे अनुशासन में न रहने के कारण अपने उद्दंड हो जाते हैं। इस लिए उनका विकास धीरे होता है। अनुशासन में रहकर साधारण से साधारण छात्र भी परिश्रमी, बुद्धिमान और योग्य बन जाता है। समय का मूल्य भी उसे समझ में आता है। अनुशासन में रहकर वह समय पर अपने कार्य को करता है।
"जिस विद्यार्थी या व्यक्ति ने अपने समय की कद्र की वह कभी परास्त नहीं होता है। "
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