Hindi, asked by nannumaru, 6 months ago

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Answered by dineshsahu8024
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हमारा प्रिय कवि : तुलसीदास

प्रस्तावना : भारत महानताओं का देश है। कोई क्षेत्र ऐसा नहीं, जहाँ हमारी कीर्ति की पताका न फहरायी हो। चाहे वह क्षेत्र वीरता का रहा हो या साहित्य का। यहाँ यदि महाराणा प्रताप, सुभाषचंद्र बोस तथा अब्दुल हमीद जैसे वीर पैदा हुए हैं। तो साहित्य के क्षेत्र में रवींद्रनाथ ठाकुर, प्रेमचंद, सूर, कबीर और तुलसी जैसे महान् लेखकों और कवियों ने जन्म लिया। साहित्यकारों में मुझे सबसे अधिक प्रेरणा महात्मा तुलसीदास से मिली है।

जीवन-वृत्त : कहा जाता है कि तुलसीदास को जन्म देते ही इनकी माता हुलसी की मृत्यु हो गयी थी। इनके पिता आत्माराम दुबे ने इन्हें घर से निकाल दिया। उन्होंने कहा कि ‘इसके नक्षत्र परिवार एवं गाँव वालों के लिए अमंगलकारी हैं। यह जहाँ भी रहेगा, नाश ही उपस्थित करेगा।’ घर की दासी ने इनका लालन-पालन किया। जन्म के समय वे रोये नहीं थे, अपितु उन्होंने अपने मुख से ‘राम’ शब्द का उच्चारण किया था। इस आधार पर इनका नाम ‘रामबोला’ रख दिया गया।

बड़ा होने पर इनका विवाह रत्नावली से हुआ। वे उसकी सुंदरता पर अत्यधिक मोहित थे। एक दिन रत्नावली अपने मायके चली गयी। इस पर वे उसके लिए बेचैन हो उठे और आँधी, वर्षा तथा रात्रि की परवाह न करते हुए रत्नावली के पास जा पहुँचे। रत्ना ने मधुर फटकार दी। मगर तुलसीदास के मन में उनके शब्द गढ़ गए।

सब कुछ त्यागकर वे घर से निकल पड़े। स्वामी नरहरिदास के संपर्क से इन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और उन्होंने ‘रामचरितमानस’ की रचना की। बनारस के पंडों ने इस ग्रंथ का घोर विरोध किया। उन्होंने तुलसीदास जी को जान से मार डालने के लिए गुंडे लगवाए। मगर वे सफल न हो सके। धीरे-धीरे तुलसीदास का यश फैलता चला गया। उनकी राम-कथा को सुनने के लिए लोग दूर-दूर से आते थे।

उपसंहार : तुलसीदास जी ने अपने जीवनकाल में अनेक ग्रंथों की रचना की। इनमें विनयपत्रिका, कवितावली, गीतावली तथा रामचरितमानस अत्यधिक प्रसिद्ध ग्रंथ हैं। तुलसीदास के महान् ग्रंथ रामचरितमानस को तो घर-घर में प्रतिष्ठा प्राप्त है। जब तक भारत में हिंदू-धर्म जीवित रहेगा, तुलसीदास का नाम अमर रहेगा।

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