essay on atankwad yek chunauthi in hindi
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आतंकवाद एक विश्वव्यापी समस्या बन गयी है जिसकी जड़ें कई देशों में फैलती आ
रही है. जहां तक हमारा देश का सवाल है, दुःख की बात यह है कि स्वतंत्रता के
पश्च्चात, भारत अपने पडोसी देशों कि वजह से एक प्रतिकूल वातावरण का सामना
कर रहा है. पाकिस्तान हमेशा से ही आंतकवादी संगतनों को आश्रय देता रहा है,
जो कश्मीर कि आजादी के नाम पर भारत पर निरंतर हमला कर रहे हैं. ये बात अलग
है कि पाकिस्तान इस बात को हमेशा नकारता रहा है. आशियाई महाद्वीप में अपना
वर्चस्व बनाए रखने केलिए चीन भारत के खिलाफ पाकिस्तान को मदद कर रहा हैं
तथा भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्य को चीन का एक भाग मानता आ रहा है. नेपाल
के खुले सीमाओं और बांग्लादेश से भी आतंकवादियों का गुस्पेट हो रहा है.
इतना ही नहीं, हमारे देश के उत्तर पूर्व राज्यों में उल्फा और बोडो
आतंकवादियों का खतरा निरंतर मंडरा रहा है. दक्षिण में तो श्रीलंका में चल
रही लिट्टे की आतंकवादी गट नाओं की वजह से शरणार्थियों की समस्या उत्पन्न
हो गयी है. अब मालेगांव बम्स्फोट में हिन्दू उग्रवादियों की जाँच एक और
चिंता का विषय बन गयी है. इस प्रकार चारों ओर प्रतिकूल वातावरण पैदा हो गयी
है और ऐसे वातावरण में ही आतंकवादी पनपते हैं. बम बनाने और अत्याधुनिक
शस्त्रक्रिया में ये आंतकवादी पूरी तरह प्रशिक्षित हैं. ये आतंकवादी संगटन
गुमराह युवकों को ललचाते हैं और अपने जाल में फसाते हैं. इन आतंकवादियों
के जाल में डॉक्टर, इंजिनियर और कंप्यूटर में प्रशिक्षित नवयुवक भी फ़सते आ
रहे हैं. ये आतंकवादी बड़े जोशीले होते हैं. रणभूमि में लड़नेवाली सेना से
भी ज्यादा चुनौती इन आतंकवादियों को सामना करने में साबित होता हैं
क्योंकि ये आतंकवादी आमने सामने वार नहीं करते. वे चुपके से पीछे से वार
करते हैं और अपनी जान गंवाने से नहीं डरते. आतंकवाद के खिलाफ इस जंग में कश्मीर का मुद्दा भारत के लिए अहम् है क्योंकि
कश्मीर की आज़ादी की आड़ में ये आतंकवादी हमला करते हैं और कश्मीर तथा
दुनिया की जनता को गुमराह करने की कोशिश करते हैं. इन आतंकवादियों को
बेनकाब करके अंतर्राष्ट्रीय स्टार पर भारत को आतंकवाद के खिलाफ निरंतर
मोहिम छेड़ना होगा और पाकिस्तान के सर्कार को आतंकवाद के डांचे को नष्ट
करने केलिए मजबूर कराना होगा. यह काम आसान नहीं हैं पर नामुमकिन भी नहीं.
हर आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के ऊपर केवल ऊँगली उठाकर हात थाम के बैटने
के बजाय हमें विश्वमंच में पकिसन के ऊपर कूटनीतिक दबाव बनाए रखना होगा.
हमारे सूचना तंत्र और सीमा सुरक्षा को मज़बूत करना होगा. हमारे कानून और
सुव्यवस्था पर सभी राज्यों को एक दुसरे से निःसंकोच सहकार्य करना होगा.
भारत के पास अब इस आतंकवाद का मुकाबला करने और उसे कुचल देने के सिवाय अन्य
कोई चारा नहीं हैं. जो आतंकवादी पकडे गए उनका न्यायिक जांच शीग्र गति से
होनी चाहिए. एक नियमबद्ध प्रणाली और दूरदर्शी भूमिका अपनाने से आतंकवाद के
जड़ को तोड़ने में हमारा देश कामयाब हो सकता हैं और आतंकवाद को काबू में ला
सकता हैं. आतंकवाद के विरुद्ध एक मानसिक युद्ध छेड़ना होगा और उनके मन
में डर पैदा करना होगा. आतंकवाद एक ज्वलंत समस्या है. अगर आतंकवाद को नहीं
रोखा गया, तो आतंकवाद पूरी मानवीय सभ्यता को तबाह कर देगा.
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