essay on bachey bachaoo in hindi
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बचपन बचाओ आंदोलनभारत में एक आन्दोलन हैं जो बच्चो के हित और अधिकारों के लिए कार्य करता हैं। वर्ष 1980 में "बचपन बचाओ आंदोलन" की शुरुआतकैलाश सत्यार्थीने की थी जो अब तक 80 हजार से अधिक मासूमों के जीवन को तबाह होने से बचा चुके हैं। बाल मजदूरी कुप्रथा भारत में सैकड़ों साल से चली आ रही है। कैलाश सत्यार्थी ने इन बच्चों को इस अभिशापसे मुक्ति दिलाना ही अपनी जिंदगी का मकसद बना लिया।[1]कैलाश सत्यार्थी के अनुसार बाल मज़दूरी महज एक बीमारी नहीं है, बल्कि कई बीमारियों की जड़ है। इसके कारण कई जिंदगियां तबाह होती हैं। सत्यार्थी जब रास्ते में आते-जाते बच्चों को काम करता देखते तो उन्हें बेचैनी होने लगती थी। तब उन्होने नौकरी छोड़ दी और 1980 में "बचपन बचाओ आंदोलन" की नींव रखी।[2]"बचपन बचाओ आंदोलन" आज भारत के 15 प्रदेशों के 200 से अधिक जिलों में सक्रिय है। इसमें लगभग 70000 स्वयंसेवक हैं जो लगातार मासूमों के जीवन में खुशियों के रंग भरने के लिए कार्यरत हैं। एक आकलन के मुताबिक साल 2013 में मानव तस्करी के 1199 मुकदमें दर्ज हुए थे जिनमें से 10 प्रतिशत मामले"बचपन बचाओ आंदोलन" के प्रयासों से दर्ज किए गए थे। इस आंदोलन में कैलाश के दो साथी शहीद हो चुके हैं।
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आखिर हमें बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के इस अभियान की जरूरत क्यों पड़ी जाहिर है इसके पीछे कन्या भ्रूण हत्या के कारण देश में तेजी से घटता लिंगानुपात है जिसके कारण अनेक सामाजिक समस्याएं समाज में उत्पन्न हो रही है आखिर कन्या भ्रूण हत्या क्यों की जाती है इसके पीछे छुपी मानसिकता क्या है इसके क्या खतरे हैं इसका समाज पर क्या प्रभाव पड़ रहा है तथा कैसे इस समस्या का निदान किया जा सकता|
मैं माताओं से पूछना चाहता हूं कि बेटी नहीं पैदा होगी तो बहू कहां से लाओगे हम जो चाहते हैं समाज भी वही चाहता है हम चाहते हैं कि बहु पढ़ी-लिखी मिले वीडियो को पढ़ाने के लिए हम तैयार नहीं होते हैं आखिर यह दोहरापन कब तक चलेगा यदि हम बेटी को पढ़ा नहीं सकते तो शिक्षित बहू की उम्मीद करना भी बेमानी है जिस धरती पर मानवता का संदेश दिया गया हो वहां बेटियों की हत्या बहुत ही दुख देती है भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के जो 22 जनवरी 2015 को हरियाणा के पानीपत से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत पर व्यक्त कर रहे थे यह अभियान केंद्र सरकार के महत्वकांक्षी कार्यक्रमों में से एक है|
मैं माताओं से पूछना चाहता हूं कि बेटी नहीं पैदा होगी तो बहू कहां से लाओगे हम जो चाहते हैं समाज भी वही चाहता है हम चाहते हैं कि बहु पढ़ी-लिखी मिले वीडियो को पढ़ाने के लिए हम तैयार नहीं होते हैं आखिर यह दोहरापन कब तक चलेगा यदि हम बेटी को पढ़ा नहीं सकते तो शिक्षित बहू की उम्मीद करना भी बेमानी है जिस धरती पर मानवता का संदेश दिया गया हो वहां बेटियों की हत्या बहुत ही दुख देती है भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के जो 22 जनवरी 2015 को हरियाणा के पानीपत से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत पर व्यक्त कर रहे थे यह अभियान केंद्र सरकार के महत्वकांक्षी कार्यक्रमों में से एक है|
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