Hindi, asked by arulkumaran2174, 10 months ago

Essay on badalta hua samaj

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Answered by prinsumanu1297
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Answer:

बचपन में माँ बाबूजी सिखाया करते थे, जरूरत पड़े तो डाँट – डपटकर या फिर पीट – पीट कर, कि कोई तुमको अपशब्द कहे , गाली दे या मारे – पीटे तो तुम उस पर, न तो मुँह चलाओगे, न ही हाथ उठाओगे. बस तुम चुपचाप घर आकर हमें बताओ या फिर उनके घर जाकर बड़ों को बताओ. बाकी जो करना है बड़े आपस में समझ लेंगे – समझा लेंगे.

आज माहौल बदल गया है. समाज में जीने के तरीके बदल गए हैं. अब सिखाया जाता है कि मार खाकर रोते – धोते घर न आया करो. जो करना है कर लो. पीट कर आओ – पिट कर मत आओ. बड़ों को बताकर तो बाद में जो होना है वह है – कि आओ हाथ मिलाओ, बेटा ऐसा नहीं करते, मार पीट अच्छी बात नहीं है. मिल जुल कर रहो खेलो मजे करो ठीक…मार पीट लड़ना झगड़ना अच्छी बात नहीं है. जो मार खा कर आया था, उसके मन में भड़ास तो रह ही गई .

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