Hindi, asked by essaybahartiasainik, 1 year ago

essay on bahartiya sainik

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Answered by hello33
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Hey guys,

“कंधों से मिलते हैं कंधे और कदमों से कदम मिलते हैं जब चलते हैं हम एसे तो दिल दुश्मन के हिलते हैं।“

एक ओर पाकिस्तान तो दूसरी ओर चीन। आंतकवाद, परमाणु हथियार, प्राकृतिक आपदाएँ। फिर भी देश तेजी से विकास कर रहा है। हम रात को चैन की नींद सो रहे है। कौन है वो लोग जिनके कारण देश सुरक्षित है।

ये सब संभव हो पाया है हमारी भारतिए सेना के कारण। हमारे देश के बहादुर सैनिकों सीमाओं पर प्रतिकूल परिस्थितियों में रहते हैं और वे सीमावर्ती इलाकों पर कड़ी निगरानी रखते हैं। भारतीय सेना एक सच्चे समर्पण और देशभक्ति की भावना के साथ काम करती है। देश में शांति ओर स्थिरता में उनका बहुत बड़ा हाथ है।

भारतिए सेना सिर्फ हमें बाहरी आक्रमण से ही नहीं बचाती बल्कि शांति के समय में कई सामाजिक सेवाँए भी करती है। प्राकृतिक आपदाओं जैसे उत्तराखंड की बाड़, कश्मीर में भूकंप, लद्दाख में मूसलधार बारिश के दौरान भारतीय सेना की भूमिका प्रशंसा के योग्य है।

अगर हमे कुछ सीखना है तो भारतीय सेना की तुलना में अधिक प्रेरणादायक कुछ भी नहीं है। हम अपनी सेना से बहुत कुछ सीख सकते हैं। भारतीय सेना अनुशासन का एक  बहुत बड़ा उदाहरण है। वे एक बहुत ही सख्त अनुसूची का पालन करते हैं। वे हमें किसी भी प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना सिखाते हैं। भारत में कितनी सम्सयाएँ हैं परन्तु फिर भी वे राष्ट्र की आलोचना नहीं करते। वे देश को अपनी जान से ज्यादा प्यार करते हैं। उनसे हमें देश के प्रति सम्मान और प्यार की सीख मिलती है।

भारतीय सेना एक रेजिमेंट प्रणाली है जिसके तीन प्रमुख अंग हैं- भूमि सेना, नौसेना और वायुसेना। तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर स्वयं भारत के राष्ट्रपति है जिनके हाथ में सीधा नियंत्रण है।

भारतीए सेना के इतिहास की बात करें तो अब तक वे चार युद्ध पाकिस्तान के साथ और एक चीन के साथ लड़ चुकी है। ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन मेघदूत और ऑपरेशन कैक्टस सेना द्वारा किए गए प्रमुख आपरेशनों में शामिल हैं। युद्ध के अलावा शांति के समय किए गए ऑपरेशन “ब्राससटैक्स” और “व्यायाम शूरवीर” भी सराहनिए योग्य हैं।  कई संयुक्त राष्ट्रों जैसे साइप्रस, लेबनान, कांगो, अंगोला, कंबोडिया, वियतनाम, नामीबिया,साल्वाडोर, लाइबेरिया, मोजाम्बिक और सोमालिया द्वारा चलाए गए शांति अभियानों में भी हमारी सेना ने सक्रिय भागीदारी निभाई है।

हमारे सैनिकों ने कभी आत्मसमर्पण नहीं किया। हमारी सेना का आदर्श वाक्य है – “करो या मरो” । अक्टूबर से नवंबर 1962 के भारत चीन युद्ध में और बाद में 1965 में सितंबर के भारत पाक युद्ध में,  केवल एक भारतीय सैनिक ने कई बार विभिन्न मोर्चों पर अनेकों दुश्मनों को मारा। 

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