Hindi, asked by ROSHANS4704, 1 year ago

Essay on Bal Shram in Hindi language

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Answered by prachi1612singh
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Answer: बाल श्रम से तात्पर्य ऐसे कार्यों से है। जो अवयस्क बच्चों से लिया जाता है। बाल श्रम भारत जैसे विकासषील देष के लिए एक राष्ट्रीय समस्या है। बाल श्रम के अंतर्गत वैसे सारे कार्य आते हैं जो बच्चों से स्वेच्छा अथवा जबरन कराए जाते हैं।

आज विश्व के अनेक राष्ट्रों ने बाल श्रम व उत्पीड़न से निबटने के लिए अनेक कानून बनाए हैं। हमारे देश में भी बाल श्रम को रोकने हेतू 1986 में एक अधिनियम पारित करवाया गया। इस अधिनियम के तहत 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से किसी भी प्रकार का औद्योगिक व अनावश्यक कार्य लेना कानूनन अपराध की श्रेणी में आता है। हमें छोटे-छोटे बच्चे होटलों और लोगों के घरों में काम करते हुए दिखाई देते हैं। ऐसे बच्चे गरीबी अथवा किसी अन्य कारणों से ऐसा करने को विवश हो जाते हैं। बड़े-बड़े शहरों में तो कल-कारखानों में चोरी-छुपे छोटे बच्चों से श्रम कराया जाता है। ऐसे में फ़ैक्टरी व कारख़ाना मालिक कम मेहनताना देकर अपना काम निकाल लेते हैं। इस प्रकार बच्चों का भविष्य तो प्रभावित होता ही है साथ ही उनके स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है।

पूरे विश्व में बाल श्रम को अपराध कि श्रेणी में रखा गया है और कड़े सजा के प्रावधान हैं। हमारे देश में दिन व दिन बढ़ती जनसंख्या और गरीबी के कारण और शिक्षा के अभाव में बच्चे बाल श्रम को प्रेरित होते हैं। अतः हम सभी युवाओं को यह प्रण लेना चाहिए कि हम बाल-श्रम को अपने देश से मिटाने में अपना सहयोग देंगे। केवल सरकार की पहल इसे नहीं मिटा सकती बल्कि हमारी जागरूकता इसे दूर कर सकती है। इस प्रकार निर्धन और बेसहारा बच्चों को जीने की नई राह मिलेगी। समाज के स्वयंसेवी संस्थाओ को अपने दायरा और बढ़ाना होगा जिससे हर प्रदेश के बच्चे इससे लाभान्वित हो। केवल कानून बना देने से इस पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता। लोगों का आपसी सहयोग और जागरूकता समाज के इस बीमारी को मिटा सकेगी।

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Answered by rinisen
1

Answer:

Explanation:

बाल श्रम से तात्पर्य ऐसे कार्यों से है। जो अवयस्क बच्चों से लिया जाता है। बाल श्रम भारत जैसे विकासषील देष के लिए एक राष्ट्रीय समस्या है। बाल श्रम के अंतर्गत वैसे सारे कार्य आते हैं जो बच्चों से स्वेच्छा अथवा जबरन कराए जाते हैं।

आज विश्व के अनेक राष्ट्रों ने बाल श्रम व उत्पीड़न से निबटने के लिए अनेक कानून बनाए हैं। हमारे देश में भी बाल श्रम को रोकने हेतू 1986 में एक अधिनियम पारित करवाया गया। इस अधिनियम के तहत 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से किसी भी प्रकार का औद्योगिक व अनावश्यक कार्य लेना कानूनन अपराध की श्रेणी में आता है। हमें छोटे-छोटे बच्चे होटलों और लोगों के घरों में काम करते हुए दिखाई देते हैं। ऐसे बच्चे गरीबी अथवा किसी अन्य कारणों से ऐसा करने को विवश हो जाते हैं। बड़े-बड़े शहरों में तो कल-कारखानों में चोरी-छुपे छोटे बच्चों से श्रम कराया जाता है। ऐसे में फ़ैक्टरी व कारख़ाना मालिक कम मेहनताना देकर अपना काम निकाल लेते हैं। इस प्रकार बच्चों का भविष्य तो प्रभावित होता ही है साथ ही उनके स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है।

पूरे विश्व में बाल श्रम को अपराध कि श्रेणी में रखा गया है और कड़े सजा के प्रावधान हैं। हमारे देश में दिन व दिन बढ़ती जनसंख्या और गरीबी के कारण और शिक्षा के अभाव में बच्चे बाल श्रम को प्रेरित होते हैं। अतः हम सभी युवाओं को यह प्रण लेना चाहिए कि हम बाल-श्रम को अपने देश से मिटाने में अपना सहयोग देंगे। केवल सरकार की पहल इसे नहीं मिटा सकती बल्कि हमारी जागरूकता इसे दूर कर सकती है। इस प्रकार निर्धन और बेसहारा बच्चों को जीने की नई राह मिलेगी। समाज के स्वयंसेवी संस्थाओ को अपने दायरा और बढ़ाना होगा जिससे हर प्रदेश के बच्चे इससे लाभान्वित हो। केवल कानून बना देने से इस पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता। लोगों का आपसी सहयोग और जागरूकता समाज के इस बीमारी को मिटा सकेगी।

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