Essay on berojagari in punjabi
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बेरोजगारी देश के सम्मुख एक प्रमुख समस्या है जो प्रगति के मार्ग को तेजी से अवरुद्ध करती है । यहाँ पर बेरोजगार युवक-युवतियों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है । स्वतंत्रता के पचास वर्षों बाद भी सभी को रोजगार देने के अपने लक्ष्य से हम मीलों दूर हैं ।
बेरोजगारी की बढ़ती समस्या निरंतर हमारी प्रगति, शांति और स्थिरता के लिए चुनौती बन रही है । हमारे देश में बेरोजगारी के अनेक कारण हैं । अशिक्षित बेरोजगार के साथ शिक्षित बेरोजगारों की संख्या भी निरंतर बढ़ रही है । देश के 90% किसान अपूर्ण या अर्द्ध बेरोजगार हैं जिनके लिए वर्ष भर कार्य नहीं होता है । वे केवल फसलों के समय ही व्यस्त रहते हैं ।
शेष समय में उनके करने के लिए खास कार्य नहीं होता है । यदि हम बेरोजगारी के कारणों का अवलोकन करें तो हम पाएँगे कि इसका सबसे बड़ा कारण देश की निरंतर बढ़ती जनसंख्या है । हमारे संसाधनों की तुलना में जनसंख्या वृद्धि की गति कहीं अधिक है जिसके फलस्वरूप देश का संतुलन बिगड़ता जा रहा है ।
इसका दूसरा प्रमुख कारण हमारी शिक्षा-व्यवस्था है । वर्षो से हमारी शिक्षा पद्धति में कोई विशेष परिवर्तन नहीं हुआ है । हमारी वर्तमान शिक्षा पद्धति का आधार प्रायोगिक नहीं है । यही कारण है कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् भी हमें नौकरी नहीं मिल पाती है ।
बेरोजगारी का तीसरा प्रमुख कारण हमारे लघु उद्योगों का नष्ट होना अथवा उनकी महत्ता का कम होना है । इसके फलस्वरूप देश के लाखों लोग अपने पैतृक व्यवसाय से विमुख होकर रोजगार की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं ।
आज आवश्यकता इस बात की है कि बेरोजगारी के मूलभूत कारणों की खोज के पश्चात् इसके निदान हेतु कुछ सार्थक उपाय किए जाएँ । इसके लिए सर्वप्रथम हमें अपने छात्र-छात्राओं तथा युवक-युवतियों की मानसिकता में परिवर्तन लाना होगा ।
यह तभी प्रभावी हो सकता है जब हम अपनी शिक्षा पद्धति में सकारात्मक परिवर्तन लाएँ । उन्हें आवश्यक व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करें जिससे वे शिक्षा का समुचित प्रयोग कर सकें । विद्यालयों में तकनीकी एवं कार्य पर आधारित शिक्षा दें जिससे उनकी शिक्षा का प्रयोग उद्योगों व फैक्ट्रियों में हो सके और वे आसानी से नौकरी पा सकें ।
बेरोजगारी की बढ़ती समस्या निरंतर हमारी प्रगति, शांति और स्थिरता के लिए चुनौती बन रही है । हमारे देश में बेरोजगारी के अनेक कारण हैं । अशिक्षित बेरोजगार के साथ शिक्षित बेरोजगारों की संख्या भी निरंतर बढ़ रही है । देश के 90% किसान अपूर्ण या अर्द्ध बेरोजगार हैं जिनके लिए वर्ष भर कार्य नहीं होता है । वे केवल फसलों के समय ही व्यस्त रहते हैं ।
शेष समय में उनके करने के लिए खास कार्य नहीं होता है । यदि हम बेरोजगारी के कारणों का अवलोकन करें तो हम पाएँगे कि इसका सबसे बड़ा कारण देश की निरंतर बढ़ती जनसंख्या है । हमारे संसाधनों की तुलना में जनसंख्या वृद्धि की गति कहीं अधिक है जिसके फलस्वरूप देश का संतुलन बिगड़ता जा रहा है ।
इसका दूसरा प्रमुख कारण हमारी शिक्षा-व्यवस्था है । वर्षो से हमारी शिक्षा पद्धति में कोई विशेष परिवर्तन नहीं हुआ है । हमारी वर्तमान शिक्षा पद्धति का आधार प्रायोगिक नहीं है । यही कारण है कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् भी हमें नौकरी नहीं मिल पाती है ।
बेरोजगारी का तीसरा प्रमुख कारण हमारे लघु उद्योगों का नष्ट होना अथवा उनकी महत्ता का कम होना है । इसके फलस्वरूप देश के लाखों लोग अपने पैतृक व्यवसाय से विमुख होकर रोजगार की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं ।
आज आवश्यकता इस बात की है कि बेरोजगारी के मूलभूत कारणों की खोज के पश्चात् इसके निदान हेतु कुछ सार्थक उपाय किए जाएँ । इसके लिए सर्वप्रथम हमें अपने छात्र-छात्राओं तथा युवक-युवतियों की मानसिकता में परिवर्तन लाना होगा ।
यह तभी प्रभावी हो सकता है जब हम अपनी शिक्षा पद्धति में सकारात्मक परिवर्तन लाएँ । उन्हें आवश्यक व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करें जिससे वे शिक्षा का समुचित प्रयोग कर सकें । विद्यालयों में तकनीकी एवं कार्य पर आधारित शिक्षा दें जिससे उनकी शिक्षा का प्रयोग उद्योगों व फैक्ट्रियों में हो सके और वे आसानी से नौकरी पा सकें ।
Anonymous:
please mera youtube channel subscribe krdo plz
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ਉਹ ਜੋ ਕੰਮ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਇਮਾਨਦਾਰੀ ਨਾਲ ਨੌਕਰੀ ਦੀ ਤਲਾਸ਼ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ ਪਰ ਕਿਸੇ ਕਾਰਨ ਕਰਕੇ ਉਹ ਨੌਕਰੀ ਨਹੀਂ ਲੈ ਰਹੇ ਜਿਸ ਨੂੰ ਉਹ ਬੇਰੁਜ਼ਗਾਰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ. ਇਸ ਵਿੱਚ ਉਹ ਸ਼ਾਮਲ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ ਜੋ ਸਵੈ-ਇੱਛਾ ਨਾਲ ਬੇਰੁਜ਼ਗਾਰ ਹਨ ਅਤੇ ਕੁਝ ਸਰੀਰਕ ਜਾਂ ਮਾਨਸਿਕ ਸਿਹਤ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ ਕਾਰਨ ਕੰਮ ਕਰਨ ਤੋਂ ਅਸਮਰੱਥ ਹਨ.
ਕਈ ਕਾਰਕ ਹਨ ਜੋ ਦੇਸ਼ ਵਿਚ ਬੇਰੁਜ਼ਗਾਰੀ ਦੀ ਸਮੱਸਿਆ ਦਾ ਕਾਰਨ ਬਣਦੇ ਹਨ. ਇਸ ਵਿੱਚ ਮੁੱਖ ਹੈ:
ਸਾਫਟ ਉਦਯੋਗਿਕ ਵਿਕਾਸ
ਆਬਾਦੀ ਵਿਚ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਵਿਕਾਸ
ਸਿਧਾਂਤਕ ਸਿੱਖਿਆ 'ਤੇ ਕੇਂਦ੍ਰਿਤ ਰਹਿਣਾ
ਕਾਟੇਜ ਉਦਯੋਗ ਵਿੱਚ ਗਿਰਾਵਟ
ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਮਜ਼ਦੂਰਾਂ ਲਈ ਬਦਲਵੇਂ ਰੁਜ਼ਗਾਰ ਦੇ ਮੌਕੇ ਦੀ ਕਮੀ
ਗੈਰ-ਤਕਨੀਕੀ ਤਰੱਕੀ
ਬੇਰੁਜ਼ਗਾਰੀ ਸਿਰਫ ਵਿਅਕਤੀਆਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਨਹੀਂ ਕਰਦੀ ਹੈ ਸਗੋਂ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਦੀ ਦਰ ਨੂੰ ਵੀ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕਰਦੀ ਹੈ. ਇਸਦਾ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਸਮਾਜਿਕ ਅਤੇ ਆਰਥਕ ਵਿਕਾਸ 'ਤੇ ਕੋਈ ਮਾੜਾ ਅਸਰ ਪਿਆ ਹੈ. ਇੱਥੇ ਬੇਰੁਜ਼ਗਾਰੀ ਦੇ ਕੁਝ ਨਤੀਜੇ ਹਨ:
ਅਪਰਾਧ ਦੀ ਦਰ ਵਾਧਾ
ਜੀਵਤ ਦੇ ਬੁਰੇ ਮਿਆਰ
ਹੁਨਰ ਅਤੇ ਹੁਨਰ ਦੀ ਘਾਟ
ਸਿਆਸੀ ਅਸਥਿਰਤਾ
ਮਾਨਸਿਕ ਸਿਹਤ ਦੇ ਮੁੱਦਿਆਂ
ਹੌਲੀ ਆਰਥਿਕ ਵਿਕਾਸ
ਹੈਰਾਨੀ ਦੀ ਗੱਲ ਹੈ ਕਿ ਸਮਾਜ ਵਿਚ ਨੈਗੇਟਿਵ ਨਤੀਜੇ ਆਉਣ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ, ਬੇਰੁਜ਼ਗਾਰੀ ਭਾਰਤ ਦੀਆਂ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਨਜ਼ਰਅੰਦਾਜ਼ੀਆਂ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ ਵਿਚੋਂ ਇਕ ਹੈ. ਸਮੱਸਿਆ ਨੂੰ ਕਾਬੂ ਕਰਨ ਲਈ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਕੁਝ ਕਦਮ ਚੁੱਕੇ ਹਨ; ਪਰ ਇਹ ਕਦਮ ਕਾਫ਼ੀ ਪ੍ਰਭਾਵੀ ਨਹੀਂ ਹਨ. ਵਿੱਚ ਭੇਜੋ ਸਰਕਾਰ ਕਾਫ਼ੀ ਵੱਡੀ ਸਮੱਸਿਆ ਨੂੰ ਕੰਟਰੋਲ ਕਰਨ ਲਈ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਤਿਆਰ ਕਰਨ ਦੀ ਹੈ ਨਾ ਹੈ, ਪਰ ਆਪਣੇ ਪ੍ਰਭਾਵ ਨੂੰ ਧਿਆਨ ਦੇਣ ਦੀ ਲੋੜ ਹੈ ਅਤੇ, ਜੇ ਜਰੂਰੀ ਹੈ, ਵਿਚ ਸੋਧ ਨੂੰ ਲੈ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ.
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