Essay on beti bachao beti padhao
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हम सभी जानते हैं कि हमारा भारत देश एक कृषि प्रधान देश है और पुरुष-प्रधान देश है। यहाँ सदियों से स्त्रियों के साथ ज्यादतियां होते आई है। जब ईश्वर होकर माता सीता इस कुप्रथा से नहीं बच पायी, फिर हम तो मामूली इंसान है, हमारी क्या औकात।
ये पुरुष-प्रधान समाज लड़कियों को जीने नहीं देना चाहता। मुझे समझ नही आता, मैं इन मर्दो की सोच पर हंसु या क्रोधित होऊं। ये जानते हुए भी कि उनका अस्तित्व भी एक महिला के कारण ही है, फिर भी ये पुरुष समाज केवल पुत्र की ही कामना करता है। और अपने इस पागल-पन में न जाने कितनी लड़कियों का जीवन नष्ट किया है।

‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान’ क्या है।
देश में लगातार घटती कन्या शिशु-दर को संतुलित करने के लिए इस योजना की शुरुआत की गयी। किसी भी देश के लिए मानवीय संसाधन के रुप में स्त्री और पुरुष दोनों एक समान रुप से महत्वपूर्ण होते है।
केवल लड़का पाने की इच्छा ने देश में ऐसी स्थिति उत्पन्न कर दी है, कि इस तरह के योजना को चलाने की जरुरत आन पड़ी। यह अत्यंत शर्मनाक है।