Essay on beti bachio, beti Parao
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हम पहले के जमसे से शुरुवात करेंगे. पहले सिर्फ लड़कों को पढ़ाया जाता था.उस्वक़्त लड़कियों को ज़्यादा महत्व नहीं दिया जाता था.उन्हें पड़ ने का कोई हक़ नहीं था.वह सिर्फ घर के काम करते थे. अब हम आज के ज़माने के बात करेंगे . आज के ज़माने में लड़कियां भी पढ़ाई की उतनीही हकदार है जितने की लड़के है.उन्हें भी पड़ने का पूरा हक़ है.आज भी ऐसे कुछ लोग है जो लड़कियों को पड़ ने से रोकते है.
लड़कियों को पड़ हाना बहुत ज़रूरी है.हम अपने देश की बेटियों को पड़ हाकर उनिकी रक्षा भी कर पाएंगे.वह गर शिक्षित होंगे तोह खुदके रक्षा कर पाएंगे. इस तरह से हम उन्हें पड़ा कर उन्हें बचा पाएंगे. तोह आज आइये हम सब प्रण लेते है की इस देश की साड़ी बेटियों को पड़ा कर उन्हें बचाएंगे.
बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ।
प्राचीन काल में हमारे देश की बेटी पर बहुत अत्याचार हुए सती प्रथा, विधवा, दहेज प्रथा आदि। जो धीरे-धीरे हमारे देश में समाप्त हो गए परंतु आज भी कई ऐसी बेटियां हैं जो शिक्षा से बहुत दूर है उन्हें घर मैं पैसे कमाने की मशीन समझा जाता है जब वह छोटी होती है तब उन्हें घर का काम करवाया जाता है और जब बड़ी होती है तब उनकी शादी कर दी जाती है वहां भी उनका काम यह तो दुकान में बैठना है यह झाड़ू लगाना। इन सभी बातों को ध्यान में रखकर बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ अभियान की शुरुआत की गई इसका मुख्य उद्देश्य बेटी को पुरुषों के बराबर खरा करना है उन्हें शिक्षित बनाना है। यह अभियान आज हमारे देश के चारों तरफ जंगल की आग की तरह फैला है। आज हमारे देश में इस अभियान के कारण कई महिलाएं शिक्षा प्राप्त कर रही है।
आज आसमान से जमीन तक सैन्य से मंत्री तक महिलाओं ने अपना जगह बना रखा है। अब कौन कहता है कि स्थितियां जन्म से कमजोर होती है वह तो पुरुषों से कई गुना ताकतवर है क्योंकि बल से बड़ा तो बुद्धि होता है।