Essay on भारतीय संस्कृति
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किसी भी देश के अपनी परम्परा,अपना इतिहास होता है। और उस देश की संस्कृति उस देश की आत्मा होती है। भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे पुरानी एवं समृद्ध संस्कृति मानी जाती है। इसे सभी संस्कृतियों की जननी कहा जाता है ।
विश्व में कई संस्कृति आई और मिट गई परतुं कुछ तोह बात है की बहुत कोशिशो के बाद भी भारतीय संस्कृति को आज तक कोई हिला नही पाया।
भारतीय संस्कृति की अपनी अनेक विशेषतायें है। जिनमे से कुछ ऐसे है:
प्राचीनता – यह संसार की प्राचीनतम संस्कृतियों में से है। मोहनजोदड़ो की खुदाई के बाद से यह मिस्र, मेसोपोटेमिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं के समकालीन समझी जाने लगी है।
निरन्तरता – हज़ारों वर्षों के बाद भी यह संस्कृति आज भी अपने मूल स्वरूप में जीवित है।
ग्रहणशीलता – भारतीय संस्कृति की सहिष्णुता एवं उदारता के कारण उसमें एक ग्रहणशीलता प्रवृत्ति को विकसित होने का अवसर मिला। वस्तुत: जिस संस्कृति में लोकतन्त्र एवं स्थायित्व के आधार व्यापक हों, उस संस्कृति में ग्रहणशीलता की प्रवृत्ति स्वाभाविक रूप से ही उत्पन्न हो जाती है।
अनेकता में एकता – भौगोलिक दृष्टि से भारत विविधताओं का देश है, फिर भी सांस्कृतिक रूप से एक इकाई के रूप में इसका अस्तित्व प्राचीनकाल से बना हुआ है।
इस प्रकार भारतीय संस्कृति हर भारतवासी के अंदर है और हमें इसे समेटने की जिम्मेदारी लेनी होगी ।