Hindi, asked by tany7, 1 year ago

essay on bharat eak parmanu shakti

Answers

Answered by arjunpulivarthi
24
भारत और परमाणु – शक्ति

अणु- परमाणु को अनन्त शक्ति का पुंज माना जाता है | भारतीय परम्परा के अनुसार इस सारी सृष्टि, इसके छोटे बड़े सभी प्राणियों तथा पदार्थो की रचना उस परमाणु से ही हुई है | परमाणु – शक्ति से अनेक ऐसे शस्त्रास्त्रो का निर्माण किया जा रहा है हो व्यापक संहार और विनाश कर पाने में समर्थ हुआ करते है | आज अमेरिका , रूस , फ्रांस , इंग्लैण्ड और चीन आदि देशो के पास ऐसी परमाणु- शक्ति के पर्याप्त भण्डार मौजूद है | पाकिस्तान भी चोरी – छिपे परमाणु बम बनाने में संलग्न रहा है और भारत के पोखरण विस्फोट के जवाब में विस्फोट करके उसने यह साबित कर दिया है की वह भी अब परमाणु – शक्ति – सम्पन्न देश बन गया है |

भारत में सन 1948 ई. में परमाणु – आयोग की स्थापना ड़ा. होमी जहाँगीर भाभा की अध्यक्षता में की गई थी | तभी मुम्बई के समीप ट्राम्बे में एक परमाणु – शक्ति केन्द्र की स्थापना भी की गई | यहाँ पर सन 1955 में पं. नेहरु ने इसका उद्घाटन करके इसे राष्ट्र को समर्पित किया था | एक परमाणु – विद्दुत गृह भी स्थापित किया गया जिससे उत्पादित बिजली का आज अनेक कार्यो के लिए प्रयोग किया जा रहा है | इसके बाद भारतीय वैज्ञानिकों ने 18 मई सन 1974 को राजस्थान में पोखरन नामक स्थान पर पहला सफल भूमिगत परमाणु- विस्फोट कर विश्व को दिखा दिया की भारतीय वैज्ञानिकों दुसरे उन्नत देशो के वैज्ञानिकों से पीछे नही है लगभल 60 वैज्ञानिक के दल ने जिसके नेता डा. सेठना और डा. राजा रामन्ना थे, इस विस्फोट में महान योगदान दिया | इस एतिहासिक परमाणु परिक्षण की सारे संसार में प्रतिकिया हुई, कई देशो ने तो अपनी नाराजगी भी दिखाई परन्तु भारत अपने लक्ष्य में आगे बढ़ता गया |

19 अप्रैल 1975 को भारत ने प्रथम भारतीय उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ नाम से अन्तरिक्ष में भेजा | सन 1978 में भारत को अपना तारापुर परमाणु विद्दुत- गृह चलाने के लिए अमेरिका से परिष्कृत युरेनियम प्राप्त होने लगा जिससे भारत में बिजली का उत्पादन नियमित रूप से होने लगा | ‘आर्यभट्ट’ की सफलता के बाद भारत ने रोहिणी-I रोहिणी –II को अन्तरिक्ष में भेजा | इसके बाद मार्च 1982 में इनसैट को अमेरिकी धरती से अन्तरिक्ष में भेजा गया | भारत ने 11 और 13 मई , 1998 को राजस्थान में ‘पोखरन’ नामक स्थान पर पाँच और परिक्षण करके सारे विश्व को चकित कर दिया | सभी बड़े देशो में इसके विरुद्ध प्रतिक्रिया भी हुई | यहाँ तक की कई देशो ने तो हमारी आर्थिक सहायता भी बन्द कर दी | परन्तु फिर भी हम अपने लक्ष्य पर अग्रसर है |


भारत का विचार है कि इस परमाणु – शक्ति का प्रयोग शांतिपूर्ण कार्यो जैसे बिजली का उत्पादन बढ़ाने , नहे खोदने , भूमि से धातु तथा गैस निकालने बन्दरगाहो की सफाई करने , प्राकृतिक साधनों की खोज करने, रेडियो तथा दूरदर्शन का प्रसारण करने, मानूसन का अध्ययन करने आदि कार्यो के लिए किया जाएगा |

युद्ध सामग्री बनाना भारत का बिल्कुल उद्देश्य नही है |
Answered by shahtanish2154
4

Answer:परमाणु शक्ति और भारत

तथा इन दोनों महाशक्तियों बीच छठे दशक से आठवें दशक तक शीतयुद्ध का एक अपूर्व सामरिक संबंध इस दुनिया ने झेला। यद्यपि 1945 के बाद इनमें से तथा इनके मित्र राष्ट्रों में से भी किसी ने भी परमाणु हथियारों का सामरिक उपयोग नहीं किया, किंतु विश्व के देशों का ध्रुवीकरण भी परमाणु शक्ति के चुंबक के कारण हुआ। दरअसल रूस द्वारा परमाणु शस्त्रों के उत्पादन ने ही अमरीका को इसके पुन: उपयोग से वर्जित रखा। यह दुनिया के इतिहास में पहला अनुभव है कि हथियारों की एक तकनीक एक-दूसरे के विरूद्ध काम में तो नहीं ली गई, किंतु देशों के आपसी संबंधों को तनावपूर्ण बनाए रखने में उनके पीछे बराबर खड़ी रही। 1980 तक ही लगभग 60,000 परमाणु एवं हाइड्रोजन बम तैयार कर लिए गए जो इस पूरी पृथ्वी को सैंकड़ों बार ध्वस्त कर सकते थे। 1980 के बाद सोवियत संघ के पूर्व राष्ट्रपति गोर्बाचोव और अमरीकी राष्ट्रपति रीगन के बीच निरस्त्रीकरण वार्ताओं के दौर शुरू हुए किंतु 20 वर्ष की इस अवधि में अमरीका, रूस, इंग्लैंड, फ्रांस, चीन और अब भारत तथा पाकिस्तान ने अनेक परीक्षण किए हैं एवं बहुत से अन्य देशों को परमाणु अस्त्रों की तकनीक या तैयार सामग्री भी निर्यात की गई है। चीन द्वारा परमाणु हथियार तैयार कर लेने के साथ ही उसके रूस और विशेष रूप से अमरीका के साथ के संबंधों में अधिक गंभीरता तथा आपस में सीधा न उलझने का व्यवहार पनपा है । हाल ही में पहले भारत और उसके बाद पाकिस्तान द्वारा परमाणु बमों के उत्पादन की ख़बर ने पहले भारत-पाक के आपसी संबंधों तथा इन दोनों ही देशों के वैश्विक संबंधों में अचानक परिवर्तन आया है। इस प्रकार परमाणु हथियार सैन्य संतुलन, यहाँ तक कि व्यापारिक संबंधों के भी नए स्विच-बोर्ड बन गए हैं।

भारत में परमाणु शक्ति का विकास:

भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण 18 मई, 1974 को राजस्थान के जैसलमेर जिले के पोकरण कस्बे के पास करके विश्व-हृदय में एक कंपन पैदा की थी, किंतु 24 वर्षों की चुप्पी के बाद 11 एवं 13 मई, 1998 को क्रमश: 3 व 2 परमाणु विस्फोट करके भारत विश्व में छठा परमाणु शक्ति-संपन्न राष्ट्र बन गया । विश्व में शांति का प्रबल समर्थक रहते हुए तथा पिछले 50 वर्षों में परमाणु अस्त्रों को सर्वथा नष्ट कर देने की बराबर अपील करते रहने के बावजूद भारत ने परमाणु विस्फोट परमाणु अस्त्रों का प्रयोग करने की मंशा से नहीं किया बल्कि अपने बिगड़ते जा रहे शक्ति-संतुलन को ठीक करने के लिए ही किया। एक दशक पूर्व भारत के प्रबल मित्र सोवियत रूस के बिखर जाने, शीत-युद्ध के समाप्त होने तथा रूस के कमज़ोर होते जाने के कारण भारत रूस द्वारा की गई सैन्य-संधि के मायने बदल गए, इस बीच भारत पर 1962 में एक बड़ा युद्ध थोप देने वाले चीन ने परमाणु हथियारों का विकास कर लिया। चीन और भारत का सीमा-विवाद भी सुलझ नहीं पाया तथा उसने अण्डमान द्वीप समूह से मात्र 30 कि.मी. दूरी पर म्यांमार (बर्मा) के द्वीप में तथा स्वयं म्यांमार में भारत की ओर निशाना किए परमाणु प्रक्षेपास्त्रों को स्थापित किया, भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर को लेकर संघर्ष जारी रहा तथा पिछले दो दशकों में आतंककारियों के माध्यम से सामग्री यहाँ तक कि परमाणु हथियारों से संबंधित सामग्री का निर्यात किया और ये तथ्य सामने आने लगे कि पाकिस्तान भी परमाणु हथियार बनाने के बहुत करीब है।

उदारीकरण गैटसी.टी.बी.टी. आदि के द्वारा भारत पर अंतरराष्ट्रीय दबाव भी बढ़ता गया और भारत पारमाणविक तकनीक से संपन्न होते हुए भी परमाणु हथियारों से रहित एक शक्तिहीन राष्ट्र की छवि ही देता रहा। इन सब परिस्थितियों के दबाव से मुक्त होने के लिए भारत ने ज्यों ही मई, 1998 में परमाणु विस्फोट किया तो पश्चिमी दुनिया विस्मित रह गई तथा भारत के मित्र देशों ने इस घटना का गर्व के साथ स्वागत किया । भारत ने समग्र परमाणु परीक्षण संधि (सी.टी.बी.टी.) पर हस्ताक्षर नहीं किए थे, उस पर हस्ताक्षर करने का भारी दबाव था। अतः वह इस संधि पर हस्ताक्षर करने से पूर्व स्वयं को परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित कर दक्षिण एशिया में अपने विरुद्ध तैयार होते जा रहे शक्ति-संतुलन को अपने पक्ष में करना चाहता था और उसने ऐसा ही किया।

Explanation:

Similar questions
Math, 1 year ago