Essay on bharat ke vikas me hindi ka yogdan
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प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में अपने देश के लिए विशिष्ट स्थान होता है| कहा भी गया है “जननी जन्मभूमि स्वर्गादपि गरीयसी|” मुझे गर्व है कि मैं भारतवासी हूँ| जहा का वैदिक धर्म, समुन्नत इतिहास, नैसर्गिक भूगोल और मानवीय मूल्य अभिमान करने योग्य है| कभी-कभी कुछ अवांछित चीजे या घटनाएँ हो जाती है जिससे देश की छवि बिगड़ जाती है| प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि वो अति सावधान रहकर अपने देश की छवि को बनाये रखे|
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