essay on bhrashtachar ek abhishap in hindi
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वर्तमान में ‘भ्रष्टाचार’ फैलने वाली बीमारी की तरह हो चुका है जो समाज में हर तरफ दिखाई देता है। भारत के वो महान नेता जिन्होंने अपना पूरा जीवन भ्रष्टाचार और सामाजिक बुराईयों को मिटाने में लगा दिया, लेकिन ये शर्म की बात है कि आज उनके दिखाये रास्तों की अनदेखी कर हम अपनी जिम्मेदारियों से भागते है। धीरे-धीरे इसकी पैठ राजनीति, व्यापार, सरकार और आमजनों के जीवन पर बढ़ती जा रही है। लोगों की लगातार पैसा, ताकत, पद और आलीशान जीवनशैली की भूख की वजह से ये घटने के बजाय दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा है।
पैसों की खातिर हमलोग अपनी वास्तविक जिम्मेदारी को भूल चुके है। हमलोग को ये समझना होगा कि पैसा ही सबकुछ नहीं होता साथ ही ये एक जगह टिकता भी नहीं है। हम इसे जीवनभर के लिये साथ नहीं रख सकते, ये केवल हमें लालच और भ्रष्टाचार देगा। हमें अपने जीवन में मूल्यों पर आधारित जीवन को महत्व देना चाहिये ना कि पैसों पर आधारित। ये सही है कि सामान्य जीवन जीने के लिये ढ़ेर सारे पैसों की आवश्कता होती है जबकि सिर्फ अपने स्वार्थ और लालच के लिये ये सही नहीं है।
पैसों की खातिर हमलोग अपनी वास्तविक जिम्मेदारी को भूल चुके है। हमलोग को ये समझना होगा कि पैसा ही सबकुछ नहीं होता साथ ही ये एक जगह टिकता भी नहीं है। हम इसे जीवनभर के लिये साथ नहीं रख सकते, ये केवल हमें लालच और भ्रष्टाचार देगा। हमें अपने जीवन में मूल्यों पर आधारित जीवन को महत्व देना चाहिये ना कि पैसों पर आधारित। ये सही है कि सामान्य जीवन जीने के लिये ढ़ेर सारे पैसों की आवश्कता होती है जबकि सिर्फ अपने स्वार्थ और लालच के लिये ये सही नहीं है।
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