Essay on bina sahakar nahi uddhar
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सहकार नही तो उद्धार नही
सहकारिता एक जनभागिता वाला आन्दोलन है जो जिसमें लोगों का एक समूह एक सुनियोजित तरीके से आगे बढ़ता और अपने वांछित लक्ष्य को पाने का प्रयत्न करता है। सहकार का अर्थ ही सभी लोगों को साथ लेकर चलना है।
सहकार का मुख्य उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों का उत्थान करना है। उनके लिये रोजगारोन्मुखी अवसर पैदा करना है। लोगों की बीच की असमानता का मिटाकर सभी वर्गों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ना है। भारत जैसे बड़े देश में जहाँ मानव श्रम एक बड़ी संख्या में उपलब्ध है वहाँ सहकार आंदोलन का महत्व और बढ़ जाता है।
अनेक सहकारिता आंदोलनों से समाज में रोजगारपरक प्रगति हुई है और अनेक तरह से रोजगारों का सृजन हुआ है। एक कहावत है कि अकेला चना भाड़ नही फोड़ सकता, इसी प्रकार समाज की प्रगति के लिये आवश्यक है कि सब लोग मिलजुलकर एक साथ आयें और सहकार के रूप में कार्य कर अपने लक्ष्यों का संधान करें।
अतः स्पष्ट है कि समाज के विकास और उत्थान के लिये सभी लोगों का एक साथ आना और मिलकर कार्य करना बेहद आवश्यक है। बिना सहकार्य के समाज का उद्धार नही हो सकता।