Hindi, asked by mdayaz44741, 9 months ago

Essay on carton in hindi

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Answered by mugdha10
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कार्टून……रेखाओं का ऐसा संयोजन है, जो देखने वाले के मन को गुदगुदा देता है, साथ ही समाज की विसंगतियों पर कटाक्ष भी करता है । अखबारों ओर पत्रिका का विशेष आकर्षण उनमें छपे कार्टून होते हैं । हमारे जीवन में इनका विशिष्ट महत्व इसलिए है कि ये हमारे जिंदगी से कहीं न कहीं जुड़े होते हैं ।

कार्टून हमारे जीवन की एकरसता ही नहीं तोड़ते, बल्कि कुछ ऐसे संदेश भी देते हैं, जो हमें सोचने के लिए बाध्य कर देते हैं । कार्टूनों में किया गया कटाक्ष और दिया गया संदेश अक्सर हम पर गहरा असर छोड़ जाता है ।

सूझबूझ से बनाया एक छोटा-सा पॉकेट कार्टून पूरे पृष्ठ के लेख से कहीं अधिक प्रभावकारी होता है । हास्य-व्यंग्य से भरपूर कार्टून अखबार में छपी विश्लेषणपूर्ण खबरों की तुलना में ज्यादा आसानी से समझ में आता है । इसीलिए वो खबरों और लेखों की अपेक्षा पाठकों का ध्यान ज्यादा आकर्षित करता है ।

एक सफल कार्टूनकार या व्यंग्य चित्रकार बनने के लिए पैनी दृष्टि और मनोविज्ञान की गहरी समझ होनी जरूरी है । व्यंग्य चित्रकार किसी भी मनोवैज्ञानिक से बड़ा मनोवैज्ञानिक होता है । सूक्ष्म से सूक्ष्म तथ्य भी उससे छिपा नहीं रह सकता । वह हर घटना को आम आदमी के नजरिए से देखता है, इसीलिए उसे आम आदमी का सच्चा हमदर्द और प्रतिनिधि भी कहा जाता है ।

आम आदमी किसी नेता-विशेष, मुद्दे या हालात को जिस नजरिए से देखता और महसूस करता है वह नजरिया या मानदंड ही व्यंग्य चित्रकार के प्रेरक सिद्धांत बनते हैं । मनुष्य की कमजोरियां, सीमाएं, विसंगतियां तथा आशंकाएं-कार्टूनिस्ट की कलम के माध्यम से सजीव चित्रित हो जाते हैं ।

व्यंग्य चित्रकार किसी को नहीं बख्शता । जिस प्रकार कानून की निगाह में सब बराबर होते हैं, उसी तरह कार्टूनिस्ट के आगे भी सभी नतमस्तक रहते हैं । वो सर्वोपरि होता है । कार्टून की रेखाओं में छिपे व्यंग्य या कटाक्ष के दंश से ही राजा और रंक अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए संघर्षरत होते हैं । ‘लोग क्या सोचेंगे’ या ‘दुनिया क्या कहेगी’ या ‘खौफ’ कार्टूनों के माध्यम से ही उन तक पहुंचता है ।

इसमें दो राय नहीं हैं कि कार्टून हर किसी को सुकून देते हैं और एक विवेचक का काम करते हैं । यही कारण है कि, समाज और हालात से क्षुब्ध आदमी भी उन्हें देख कर राहत महसूस करता है । उसे लगता है कि देर-सवेर हर अन्यायी की खबर ली जाएगी, उसके कारनामों का भांडा फूटेगा अर्थात् कार्टून समाज में एक प्रकार की पारदर्शिता भी लाते हैं ।

कार्टूनों के संबंध में सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि आम आदमी उनमें समाज और व्यवस्था के प्रति अपने आक्रोश की अभिव्यक्ति का संतोष प्राप्त करता है । उसके मन में समाज की विडंबनाओं, प्रवंचनाओं और विरोधाभासों पर प्रहार करने की अतृप्त चाह है, उसे वो कार्टून में साकार हुआ पाता है ।

सूचना-प्रौद्योगिकी की क्रांति के इस दिखावटी व्यवसाय के दौर में अगर कोई भिखारी कार्टून में यह कल्पना करते हुए दिखता है कि, ‘काश मेरे पास भी कंप्यूटर होता, तो में इंटरनेट के जरिए ही भीख मांगता, तो क्या गलत है !’

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