essay on chain chinta hua mobile in hindi
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वैज्ञानिक कहते हैं कि सोच विचार जब भी करें दिल से करें क्योंकि एक दिल ही है जो मनुष्य को कभी धोखा नहीं देता।
इस विचार को ध्यान में रखकर कार्य प्रणाली में आगे रहने के लिए हमें अपने दिल और दिमाग दोनों का सहारा लेना चाहिए। दोनों को जागृत रखना चाहिए।
दिल और दिमाग का एक दूसरे से परस्पर जुड़े हैं। दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे हैं। हमें सोचने की प्रेरणा दिल देता है और दिमाग दिल से प्रेरणा लेकर सोचता है।
हमारे सोचने के प्रक्रिया में दिल और दिमाग की अहम भूमिका होती है। हमारे मन में भावना दिल उत्पन्न करता है और दिमाग बुद्धि से सोच विचार करने में मदद करता है।
दिल और दिमाग की सोच में विजय दिल की होती है।
आजकल मोबाइल हमारे जीवन का एक अटूट अंग बन गया है। मोबाइल की घंटी बजने के लिए कोई समय नहीं है। वह दिन, में रात में, जब आप कहीं बाहर सैर पर गए हैं, जब आप घर में हैं, काम में व्यस्त हैं, सो रहे हैं या जाग रहे हैं, कभी भी घंटी बजा सकता है।
ऐसे तो उसकी घंटी सुनकर बड़ी खुशी होती है कि कोई हमारा मित्र है जो हमसे बात करना चाहता है। परन्तु कोई भी चीज़ एक सीमा तक ठीक लगती है। अगर हम किसी से बात नहीं करना चाहते हैं, या एकांत में रहना चाहते हैं तो वह हमारे चैन को भंग करता है।
मोबाइल में मेसेज देखने की हमें इतनी आदत हो जाती है कि हमारा ध्यान हमेशा उसकी ओर आकर्षित रहता है। हम इतनी उत्सुकता से नयी मेसेज का इंतज़ार करते रहते हैं कि हमारा किसी और काम में मन नहीं लगता। बार बार मेसेज देखने का मन करता है। अगर कोई मेसेज नहीं आती है तो हम उदास हो जाते हैं।
मोबाइल से फोटो खींचना, विडियो गेम खेलना, मित्रों से देर तक बातें करना आदि हमारे लिए अधिक आकर्षक हो जाते हैं और उनके बिना हम रह नहीं पाते हैं। जिससे समय का सही उपयोग नहीं कर पाते हैं। इतना ही नहीं, लोग सड़क पर, अपने वाहनों में भी मोबाइल पर बात करे बिना नहीं रह पाते हैं जिससे अन्य लोगों को असुविधा होती है। रिचार्ज पर अधिक धन खर्च होता है। इस प्रकार मोबाइल हमारे चैन को छीन लेता है।