essay on छुआछूत in hindi 600 words
Answers
Explanation:
ghjhttt5rxghjugggtrudijkejdovjg7uejjxxivkgkjgjjvmdofijrjfj7474uruchnfjfjkfjkxhjakdkkfofooppppwwiyryignjvjjdjdjjfkevhjdjdkfkkfkfhfufudyqyeitoyognfjfjeywt3ye837237r8urudufjfkgituwudhfurururrjrhsvxgagaqgeufufbxhdg hrrjfufjfjfdu fjfjfjrjf ggrwwwcwwwrt the best way to get the best way to the top cornerof mostof your own 5 the best way of getting a bit like a list, and the other side. I will be do you have a look at the moment. I have ht8 I am looking forward, disclose or use our messaging, I was just wondering if you are not logged on a daily, but it would like the way to the top. . the other side, I was just the same. if I have to pay a penny.
thank you itna hi aata tha
Answer:
भूमिका : भारत में सबसे बड़ा लोकतंत्र है और कई जातियों और धर्मों में विभाजित है। छुआछूत भारत के हिंदू समाज से जुडी हुई एक बहुत ही गंभीर समस्या है। छुआछूत हमारे देश के लिए एक ऐसी बीमारी है जो दूसरी समस्याओं को पैदा करती है। छुआछूत दीमक की तरह होती है जो हमारे देश को अंदर से खोखला कर रही है।
हमारे देश में अनेक समस्याएँ हैं लेकिन छुआछूत बहुत ही भयंकर और घातक सिद्ध होने वाली समस्या है। किसी विद्वान् ने कहा था कि छुआछूत इंसान और भगवान दोनों के प्रति एक पाप है। छुआछूत एक ऐसा कलंक है जिससे हमारा सिर शर्म से झुक जाता है। डॉ भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि मेरा कोई अपना देश ही नहीं है जिसे मैं अपना देश कहता हूँ उस देश में हमारे साथ जानवरों से भी बुरा व्यवहार किया जाता है।
छुआछूत का अर्थ : छुआछूत का अर्थ होता है- जो स्पर्श करने योग्य न हो। जब किसी व्यक्ति के समूह या समुदाय को अस्पर्शनीय माना जाता है और उसके हाथ की छुई हुई वस्तु को कोई नहीं खाता उसे छुआछूत कहते हैं। उन लोगों के साथ कोई भी मिलजुल कर नहीं रहता और न ही उनके साथ कोई खाना खाता है।
जिन लोगों से निचली जाति का काम करवाया जाता है उन्हें अछूत कहा जाता है।प्राचीनकाल में महाराजाओं के द्वारा किसी व्यक्ति के व्यवसाय को देखकर ही उसके धर्म की स्थापना की गई थी। उस समय पर हर किसी ने अपने धर्म को खुद चुना था।ब्राह्मण लोगों को शिक्षा देते थे, क्षत्रिय देश और समाज की रक्षा किया करते थे।
वैश्यों का काम व्यापार और वाणिज्य की देखभाल करना और शूद्रों का काम ऊपर की तीन जातियों की सेवा करना था। लेकिन कालांतर में ये विभाजन रूढ़ हो गया था। एक वेद में भी कहा गया है कि मैं एक शिल्पी हूँ। मेरे पिता वैश्य हैं और मेरी माँ उपले थापने का काम करती हैं। प्राचीनकाल में एक ही परिवार के लोग अलग-अलग काम करते थे फिर भी वे खुशी से रहते थे। उन लोगों में उंच-नीच का कोई भेदभाव नहीं था।
रामायण को दिखाकर इस भेदभाव को समाप्त करने की भी कोशिश की गई। उन्हें श्री राम के गुहराज, शबरी और भीलों के संग मेल-मिलाप की बातें बताई गयीं। सबसे पहले तो दयानंद जी ने छुआछूत को खत्म करने की जिम्मेदारी ली थी। एक तरफ तो उन्होंने मूल हिंदुओं को हिंदू बनाया था दूसरी तरफ उन्हें अछूत कहकर गले से लगाया था।
आर्य समाज में भी अछूतोद्धार शब्द का प्रयोग किया गया था। वे खुद जाकर हरिजन बस्ती में रहे थे जिसका अर्थ होता है भगवान का प्यारा व्यक्ति। हरिजन में रहने वाले लोगों के लिए भीम राव अंबेडकर ने बहुत ही उत्थान काम किया था उसे कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है।
अछूतों के साथ भेदभाव : भारत के दलितों के साथ एन.सी.डी.एच.आर.के अनुसार बहुत भेदभाव किया जाता है। अछूत लोगों के साथ कोई भी भोजन नहीं कर सकता।कोई भी किसी अलग जाति के सदस्य से शादी नहीं कर सकता। गांवों में चाय की दुकानों पर अछूत लोगों के लिए अलग बर्तन होते हैं।
अछूत लोग मंदिरों में नहीं जा सकते। अछूत लोगों को सार्वजनिक रास्ते पर चलना मना होता है। अछूत बच्चों को स्कूलों में अलग बैठाया जाता है। अछूतों के लिए होटलों में बैठने के लिए और खाने के लिए अलग बर्तनों की व्यवस्था होती है। अछूतों के लिए गांवों के कार्यक्रम या त्यौहारों में बैठने और खाने के लिए अलग व्यवस्था होती है।
छुआछूत के दुष्परिणाम : सारे जगत में छुआछूत के सामाजिक, राजनितिक, धार्मिक और सांस्कृतिक दुष्परिणाम बहुत ही प्रचलित हैं। आज के युग में हमारा देश आगे तो बढ़ रहा है पर फिर भी छुआछूत की समस्या की वजह से देश के एक बहुत बड़े भाग को सुख-सुविधाओं से अभी तक परिचित नहीं कराया गया है।
हमारा देश कई साल पहले आजाद हो चुका है लेकिन हरिजन वर्ग आज तक राजनितिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से आजाद नहीं हो पाया है। हम लोगों से समय यह मांग करता है कि छुआछूत को समाप्त कर दिया जाये। प्राचीनकाल में लोग यह मानते थे कि अगर अछूत लोग उन्हें छू लेते या फिर उनकी परछाई भी उन पर पड़ जाती थी तो वे अपवित्र हो जाते थे और दोबारा से पवित्र होने के लिए उन्हें गंगा जल से स्नान करना पड़ता था।
उपसंहार : आज के युग में भी छुआछूत की समस्या हमारे लोगों के बीच की दीवार बनी हुई है। आज के समय में भी कुछ लोग अपने-आप को दूसरों से श्रेष्ठ, उच्च और योग्य समझते हैं। हरिजन वर्ग के लोगों पर आज भी अत्याचार किया जाता है उनके साथ जानवरों से भी बुरा व्यवहार किया जाता है।
जब चुनाव होते हैं तो लोगों को अपने मत को स्वंय चुनने का अधिकार नहीं दिया जाता है। आज भी बंधुआ मजदूर के रूप में बहुत से लोग अमीरों के दास बने हुए हैं।हमारी सरकार अछूतों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए अनेक प्रयास कर रही है। जो लोग अछूत माने जाते हैं उन्हें भी अपनी तरफ से कुछ प्रयास करने चाहिए। जब तक वे शिक्षित नहीं हो जाते तब तक उनका सुधार होना असंभव है।
i hope it helps you
you can change it as per your need.......