essay on cow in hindi
Answers
गाय का उल्लेख हमारे वेदों में भी पाया जाता है। गाय को देव तुल्य स्थान प्राप्त है। कहते हैं कि गाय में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। गाय को पालने का चलन बहुत पुराना है। अगर घर में गाय का वास होता है उस घर के सारे वास्तु-दोष अपने आप खत्म हो जाते हैं। इतना ही नहीं, उस घर में आने वाली संकट भी गाय अपने ऊपर ले लेती है। ऐसी मान्यताएं प्रचलित है।
भारत में गाय को माता का दर्जा दिया गया है। गाय एक पालतु पशु है। और भी बहुत पालतु जानवर है, लेकिन उन सबमें गाय का सर्वोच्च स्थान है। प्राचीन काल से ही गौ माता को देवी सदृश समझा जाता है। हर मंगल कार्य में गाय के ही चीजों का प्रयोग होता है। यहां तक की गाय के उत्सर्जी पदार्थ (गोबर, मूत्र) का भी इस्तेमाल होता है। जिसे पंचगव्य(दूध, दही, घी, गोबर, मूत्र) की उपमा दी गयी है। इन तत्वों का औषधिय महत्व भी है। बहुत सारी दवाईयों के निर्माण में घी और गोमूत्र का इस्तेमाल किया जाता है।
गाय की शारीरिक संरचना में गाय के दो सींग, चार पैर, दो आंखे, दो कान, दो नथुने, चार थन, एक मुंह और एक बड़ी सी पूँछ होती है। गाय के खुर उन्हें चलने में मदद करते हैं। उनके खुर जुते का काम करते है। और चोट और झटकों आदि से बचाते है। गाय की प्रजातियां पूरे विश्व भर में पाईं जाती है। कुछ प्रजातियों में सींग बाहर दिखाई नहीं देते। दुग्ध उत्पादन में भारत का समुचे विश्व में पहला स्थान है। गाय का दूध बेहद लाभदायक और पौष्टिक होता है।
गाय की कई प्रजातियां भारत में पाईं जाती है। मुख्य नस्लों में ‘सहिवाल’ जोकि पंजाब, हरियाणा, दिल्ली उत्तर प्रदेश और बिहार के क्षेत्रों में मिलती हैं। ‘गिर’ दक्षिण काठियावाड़ में, ‘थारपारकर’ राजस्थान के जोधपुर, जैसलमेर और कच्छ के इलाकों में, ‘देवनी’ प्रजाति आंध्र प्रदेश और कनार्टक में, ‘नागौरी’ राजस्थान के नागौर जिले में, ‘सीरी’ सिक्किम और दार्जिलिंग के पर्वतीय प्रदेशों में, ‘नीमाड़ी’ मध्य-प्रदेश में, ‘मेवाती’ प्रजाति (हरियाणा), ‘हल्लीकर’ प्रजाति (कर्नाटक), ‘भगनारी’ प्रजाति (पंजाब), ‘कंगायम’ प्रजाति (तमिलनाडु), ‘मालवी’ प्रजाति (मध्यप्रदेश), ‘गावलाव’ प्रजाति (मध्यप्रदेश), ‘वेचूर’ प्रजाति (केरल), ‘कृष्णाबेली’ प्रजाति (महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश) में पाए जाते हैं।
⭐♥️ Please Mark Me As Brainliest ♥️⭐