Essay on desh ki raksha savyam ki suraksha in hindi
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I am not sure this question
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“कुछ बात हैं की हस्ती मिटती नहीं हमारी
सदियों रहा है दुश्मन दौरे जमाँ हमारा |”
इकबाल की ये पंक्तियाँ भारत के गौरवशाली अतीत का बखान करती है | जिस तरह माता और पुत्र का संबंध होता है | उसी प्रकार मनुष्य मात्र का अपने देश की सुरक्षा के प्रति संबंध रहता है | हम जिस देश में जन्म लेते हैं तथा जिस देश से हमारा भरण ,पोषण ,संवर्धन तथा क्षरण गतिमान होता हुआ हमें हमारे होने की गौरवान्वित अनुभूतियों का खज़ाना प्राप्त करवाता हैं । उसकी रक्षा में ही हमारी सुरक्षा निहित है |
ये देश हमारा है हम इस देश के है यही भावना हममें कूट -कूट कर भरी होनी चाहिए । देश केवल कुछ जनसंख्या की भरमार मात्र नहीं है अपितु वह एक संविधान के तहत सुनिश्चित नियमावली के अंतर्गत निर्धारित कर्तव्य और अधिकारों का एक ऐसा तंत्र है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति अपनी मूल स्वतंत्रता के अनुरूप एक दायरे में बंधकर जीवन व्यतीत कर सकता है । हमें अधिकारों की प्राप्ति हुई है उसकी रक्षा हेतु देश की रक्षा करना भी हमारा परम दायित्व है ।
प्रत्येक नागरिक का अस्तित्व देश के अस्तित्व से है । हमारी आस्थाएं, मान्यताएं, प्रथाएं, और रीति रिवाज सभी पहलू देश की सुरक्षा के बाद आते है । देश के अंतर्गत न केवल हमारी संस्कृति का संरक्षण होता है अपितु हमारे जीवन मूल्य तथा दैनिक आवश्यकताओं का अनुशासन पूर्वक निर्वहन भी होता है । हमारा जीवन शांति पूर्वक अबाध गति से विकास और हमारी निजी परंपराओं , प्रथाओं तथा धर्मों की विविधता को संजोए हुए सुरक्षित रूप से आगे बढ़ता रहे तदर्थ हमें उसकी सुरक्षा हेतु सतत तत्पर रहना होगा |
विडंबना यह है आज व्यक्ति आत्म केंद्रित हो गया है और अपने देश हित के विषय में सोचने से पहले स्वयं के लाभ के बारे में सोचता है । हम ये भूल जाते है कि हमारे देश की अस्मिता कायम एवं सुरक्षित रहेगी तभी हम भी सुरक्षित रह पायेंगे | देश की अस्मिता तभी कायम रहेगी जब सेना के साथ -साथ देशवासी भी देशरक्षा हेतु सजग ,जागरूक तथा एकजुट एवम् तत्पर रहेंगे ।