essay on dharm ekta ka madhyam hain
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सभी धर्म पूजा करने से पहले शरीर, मन और पूजा के स्थान को शुद्ध करने की बात पर जोर देते हैं। शुद्धता देवभक्ति का अंग है। इसलिए भगवान के करीब जाने के लिए सफाई सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। एक स्वच्छ शरीर में स्वच्छ मन होता है। सफाई से रहने वाले व्यक्ति के मन में अच्छे और सार्थक विचार उत्पन्न होते हैं। उसकी सोच सकारात्मक होती है। शुद्धता और निर्मलता धार्मिकता के लिए आवश्यक हैं। इसलिए स्वच्छता को देवभक्ति का पहला पग माना जाता है।
भारत ने दुनिया में सांप्रदायिक सद्भाव का आदर्श स्थापित करा है। भारत में अनेक धर्म और मत हैं। वे सब लम्बे समय से शांतिपूर्वक देश में प्रगति कर रहे हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि अंग्रेजी राज्य के समय भी धर्मों के बीच मतभेद नहीं था। स्वतंत्रता के बाद संकीर्ण धार्मिक और सांप्रदायिक विचार उत्पन्न हुए। जिसके कारण भारत और पाकिस्तान दो अलग देशों की रचना करी गयी। राष्ट्रीय नेताओं ने भारत को धर्म निरपेक्ष बनाने का पूरा प्रयत्न करा।
अनेकता में एकता भारत की विशेषता है। अनेक धर्म, अनेक भाषायें, अनेक जातियाँ होते हुए भी भारत एक है। सांप्रदायिक सद्भाव के कारण भारत की अखंडता बनी हुई है।
समय समय पर धर्म और संप्रदाय के नाम पर होने वाले झगड़े लोगों के मन में अविश्वास उत्पन्न करते हैं। इसके कारण जीवन और संपत्ति की हानि होती है और देश को बहुत क्षति पहुँचती है। देश के विकास पर प्रभाव पड़ता है। समाजिक, आर्थिक, राजनैतिक और वैज्ञानिक उन्नति के लिए सांप्रदायिक सद्भावना अत्यंत आवश्यक है। इसलिए देश की शांति भंग करने वाले ऐसे हानिकर कट्टरवाद विचारों का निर्मूलन करना चाहिए।