Essay on durga puja in hindi in 200 words
Answers
Answer:
aglasem
Home » फीचर » दुर्गा पूजा पर निबंध | Essay on Durga Puja
दुर्गा पूजा पर निबंध | Essay on Durga Puja
by Sakshi Verma October 16, 2020 Reading Time: 2 mins read
aglasem hindi
दुर्गा पूजा हिन्दू धर्म के मुख्य त्योहारों में से एक है। Durga Puja को दुर्गोत्सव या शरदोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। आमतौर पर दुर्गा पूजा सितम्बर या अक्टूबर माह में होती है जिसके लिए लोग तैयारियां महीनों पहले से ही शुरू हो जाती है। दुर्गा पूजा वैसे तो पूरे देश में मनाया जाता है हैं हालाँकि दुर्गा पूजा मुख्य रूप से बंगाल, असम, उड़ीसा, झारखण्ड इत्यादि जगहों पर बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। दुर्गा पूजा में लोग नौ दिन तक माँ दुर्गा की पूजा करते हैं और उनसे सुख-समृद्दि का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। त्यौहार के अंत में देवी दुर्गा की प्रतिमा को नदी या पानी के टैंक में विसर्जित कर दिया जाता है। बहुत से लोग पूरे नौ दिनों का उपवास भी रखते हैं। दुर्गा पूजा के दसवें दिन दशहरा/विजयादशमी का आयोजन किया जाता है। उम्मीदवार हमारे इस आर्टिकल से Durga Puja essay 400 words , दुर्गा पूजा पर शार्ट निबंध, दुर्गा पूजा पर 10 लाइन इत्यादि प्राप्त कर सकते हैं।
यह भी पढ़ें – नवरात्री पर निबंध
दुर्गा पूजा पर निबंध 400 वर्ड (Durga puja essay 400 words)
दुर्गा पूजा हिन्दुओं का महत्वपूर्ण त्यौहार माना जाता है। Durga puja बंगाल में बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध है क्योकि यह बंगालियों का प्रमुख त्यौहार होता है। दुर्गा पूजा की शुरुआत तब हुई जब भगवन राम ने रावण को मारने के लिए देवी दुर्गा से शक्ति प्राप्त करने के लिए पूजा की थी। दुर्गा पूजा का अवसर बहुत ही खुशियों से भरा होता है। खासकर विद्यार्थियों के लिए क्योंकि इस मौके पर उन्हें छुट्टियां मिलती है। इस अवसर पर घर में नए कपड़ों की खरीददारी की जाती है। कुछ बड़े स्थानों पर मेलों का भी आयोजन किया जाता है। बच्चों का दुर्गा पूजा के अवसर पर उत्साह दोगुना हो जाता है।
देवी दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए लोग पूरे नौ दिनों का उपवास रखकर पूजा करते हैं। हालाँकि कुछ लोग केवल पहले और आखरी दिन ही उपवास रखते हैं। Durga Puja Celebration पूरे दस दिनों तक चलता है। लेकिन माँ दुर्गा की मूर्ति को सातवें दिन से पूजा जाता है। अंतिम के तीन दिन पूजा का उत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। हर गली मोहल्ले में इसकी अलग ही झलक दिखती है। जगह-जगह तरह-तरह के महलनुमा विशाल पंडाल बनाये जाते हैं। दुर्गा पूजा उत्सव के दौरान मेला और मीना बाजार भी लगता है।