essay on earth's autobiography in Hindi
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Explanation:
हाँ मैं पृथ्वी बोल रही हूँ प्रकृति के समस्त ग्रहों में मेरा आकार काफी विशाल हैं. मेरे भूभाग पर मानव व जीव जन्तु बसते है जो मुझे धरती माता कहकर पुकारते हैं. मैं भी सभी सजीवों को अपने पुत्र के समतुल्य मानकर उनका भरण पोषण करती हूँ. मैं अपने इन बेटों को प्रसन्न चित देखकर खुश होती हूँ तथा हर संभव इनकी मदद करना चाहती हूँ.
मेरे समतल एवं उपजाऊ भूभाग का उपयोग ये लोग कृषि व पौधों को उगाने के लिए करते हैं. अन्न, सब्जियां एवं फल फूलों से ये अपने उदर की भूख को शांत करते हैं. करोड़ो प्रजातियों के जीव जन्तु एवं वृक्ष मेरी सतह पर मिलजुलकर रहते हैं.
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