essay on eid in 150 words in hindi
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ईद पर निबंध
ईद मुसलमानों का सबसे प्रमुख धार्मिक त्योहार है यह त्योहार भारत और दूसरे देशों में भी बड़ी धूम -धाम से मनाया जाता है । यह त्यौहार रमजान महीने के बाद मनाया जाता है। रमजान का महीना 30 दिनों का होता है ऐसे में सभी मुस्लमान भाई 30 दिनों तक रोजा रखते हैं। रमजान के महीने में 30 के बीच ना कुछ खाया जाता है ना कुछ पिया जाता है सूर्यास्त और सूर्यादय के बीच खाया -पिया जा सकता है। रमजान महीने के आखरी दिन जब आकाश में चन्द्रमा नज़र आता है तो उसके अगले दिन ईद मनाई जाती है। इस्लामिक कैलेंडर के दसवें महीने के पहले दिन को ईद का त्यौहार (Eid Festival) मनाया जाता है इस्लामिक कैलेंडर के महीने चांद को देखकर ही शुरू होते हैं।
ईद (Eid) का त्यौहार साल में दो वार आता है एक ईद होती है ईद उल फ़ित्र और दूसरी ईद को ईद उल जुहा कहा जाता है। ईद उल फ़ित्र में फ़ित्र शब्द फ़ारसी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है फितर अदा करना इसे ईद की नमाज पढने से पहले अदा किया जाता है। ईद उल फ़ित्र को ईद के नाम से जाना जाता है जबकि ईद उल जुहा को बकरीद के नाम से जाना जाता है। पैगम्बर हजरत मुहंमद ने बद्र के युद्ध में विजय हासिल की थी जिसकी ख़ुशी में यह त्योहार मनाया जाता है।
रमजान के दिनों में मुस्लमान भाई लोग उपवास रखते हैं रमजान महीने के आखरी दिन जब आसमान में चांद दिखाई दे तो उसके अगले ईद का त्यौहार मनाया जाता है इस त्यौहार की तैयारी कई दिनों पहले से ही हो जाती है बाज़ारों में रौनक बढ़ने लगती है लोग नए कपड़े ख़रीदते हैं ईद के दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं और घर -घर में कई प्रकार के व्यंजन तैयार किये जाते हैं और सुबह उठकर लोग मस्जिदों में जाकर नमाज अदा करते हैं ईश्वर का शुक्रिया अदा किया जाता है और एक दूसरे के गले लगते हैं और एक दूसरे को मुबारकबाद देते हैं। रात के समय मस्जिदों पर दीपमाला की जाती है।
ईद (Eid) का यह पवित्र त्यौहार हमें प्रेम और भाईचारे की भावना में रहना सिखाता है और ऐसी मान्यता है के आपसी प्रेम और भाईचारे को अपनाने वालों पर ख़ुदा की रहमत होती है।
Answer:
इस्लाम में ईद का दिन बहुत ही खुशी का दिन माना गया है। ईद के दिन बंदे न केवल अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं, बल्कि वे अपने लिए और अपने करीबी लोगों के लिए अल्लाह से दुआ भी करते हैं। एक इस्लामिक कैलेंडर में दो बार ईद मनाई जाती है। ईद उल फित्र और ईद उल अज़हा।
इस्लाम में ईद का दिन बहुत ही खुशी का दिन माना गया है। ईद के दिन बंदे न केवल अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं, बल्कि वे अपने लिए और अपने करीबी लोगों के लिए अल्लाह से दुआ भी करते हैं। एक इस्लामिक कैलेंडर में दो बार ईद मनाई जाती है। ईद उल फित्र और ईद उल अज़हा। ईद उल फित्र का दिन पवित्र रमज़ान माह के बाद आता है़ जब सभी लोग पूरे माह रमज़ान के रोज़े रखने के बाद अल्लाह से दुआ करते हैं। इसके बाद शव्वाल माह आता है और इस्लामिक कैलेंडर के आखरी साल में ज़ुल हज माह की 10 तारीख को ईद उल अज़हा मनाई जाती है। इस दिन हाजी हज़रात का हज पूरा होता है और पूरी दुनिया में लोग कुर्बानी देते हैं।
इस्लाम में ईद का दिन बहुत ही खुशी का दिन माना गया है। ईद के दिन बंदे न केवल अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं, बल्कि वे अपने लिए और अपने करीबी लोगों के लिए अल्लाह से दुआ भी करते हैं। एक इस्लामिक कैलेंडर में दो बार ईद मनाई जाती है। ईद उल फित्र और ईद उल अज़हा। ईद उल फित्र का दिन पवित्र रमज़ान माह के बाद आता है़ जब सभी लोग पूरे माह रमज़ान के रोज़े रखने के बाद अल्लाह से दुआ करते हैं। इसके बाद शव्वाल माह आता है और इस्लामिक कैलेंडर के आखरी साल में ज़ुल हज माह की 10 तारीख को ईद उल अज़हा मनाई जाती है। इस दिन हाजी हज़रात का हज पूरा होता है और पूरी दुनिया में लोग कुर्बानी देते हैं।
इस्लाम में ईद का दिन बहुत ही खुशी का दिन माना गया है। ईद के दिन बंदे न केवल अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं, बल्कि वे अपने लिए और अपने करीबी लोगों के लिए अल्लाह से दुआ भी करते हैं। एक इस्लामिक कैलेंडर में दो बार ईद मनाई जाती है। ईद उल फित्र और ईद उल अज़हा। ईद उल फित्र का दिन पवित्र रमज़ान माह के बाद आता है़ जब सभी लोग पूरे माह रमज़ान के रोज़े रखने के बाद अल्लाह से दुआ करते हैं। इसके बाद शव्वाल माह आता है और इस्लामिक कैलेंडर के आखरी साल में ज़ुल हज माह की 10 तारीख को ईद उल अज़हा मनाई जाती है। इस दिन हाजी हज़रात का हज पूरा होता है और पूरी दुनिया में लोग कुर्बानी देते हैं। शरीयत के मुताबिक कुर्बानी हर उस औरत और मर्द के लिए वाजिब है, जिसके पास 13 हजार रुपए या उसके बराबर सोना और चांदी या तीनों (रुपया, सोना और चांदी) मिलाकर भी 13 हजार रुपए के बराबर है। दोनों ही ईद का शरीयत के अनुसार बहुत महत्व है साथ ही ईद सामाजिक भाईचारा भी बढ़ाती है। पूरी दुनिया में मुसलमानों को दूसरे महज़ब के लोग खासतौर पर ईद की शुभकामनाएं देते हैं।
इस्लाम में ईद का दिन बहुत ही खुशी का दिन माना गया है। ईद के दिन बंदे न केवल अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं, बल्कि वे अपने लिए और अपने करीबी लोगों के लिए अल्लाह से दुआ भी करते हैं। एक इस्लामिक कैलेंडर में दो बार ईद मनाई जाती है। ईद उल फित्र और ईद उल अज़हा। ईद उल फित्र का दिन पवित्र रमज़ान माह के बाद आता है़ जब सभी लोग पूरे माह रमज़ान के रोज़े रखने के बाद अल्लाह से दुआ करते हैं। इसके बाद शव्वाल माह आता है और इस्लामिक कैलेंडर के आखरी साल में ज़ुल हज माह की 10 तारीख को ईद उल अज़हा मनाई जाती है। इस दिन हाजी हज़रात का हज पूरा होता है और पूरी दुनिया में लोग कुर्बानी देते हैं। शरीयत के मुताबिक कुर्बानी हर उस औरत और मर्द के लिए वाजिब है, जिसके पास 13 हजार रुपए या उसके बराबर सोना और चांदी या तीनों (रुपया, सोना और चांदी) मिलाकर भी 13 हजार रुपए के बराबर है। दोनों ही ईद का शरीयत के अनुसार बहुत महत्व है साथ ही ईद सामाजिक भाईचारा भी बढ़ाती है। पूरी दुनिया में मुसलमानों को दूसरे महज़ब के लोग खासतौर पर ईद की शुभकामनाएं देते हैं। ईद के दिन की एक विशेषता यह भी है कि शहर के लोग एक विशेष नमाज़ अदा करते हैं, जिसके लिए वे शहर में एक स्थान पर एकत्रित होते हैं, इसे ईदगाह कहा जाता है। इस नमाज़ के बाद सभी लोग गले मिलकर एक दूसरे को बधाई देते हैं। ईद की खुशियां बच्चों में खासतौर पर देखी जा सकती है।
इस्लामिक मान्यता के अनुसार पवित्र माह रमजान की समाप्ति के लगभग सत्तर दिनों बाद मनाया जाने वाला कुरबानी की ईद का यह त्योहार इस्लाम धर्म में विश्वास करने वाले लोगों का प्रमुख त्योहार है।