essay on 'ekta me shakti' in hind
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एकता में अटूट शक्ति है" का अर्थ है कि यदि हम एक टीम के रूप में कुछ कार्य करते हैं और एक दूसरे के साथ एकजुट रहते हैं तो हम जीवन में सफल होंगे और यदि हम एक दूसरे के खिलाफ होकर अकेले काम करने की कोशिश करते हैं तो हम उसमें असफल हो जायेंगे। "एकता में अटूट शक्ति है" वाक्यांश आमतौर पर कई स्थानों पर उपयोग किया जाता है।
Answer:
Hi what's up dude and dudes
वाक्यांश की उत्पत्ति - एकता में अटूट शक्ति है
ग्रीक कथाकार एशॉप द्वारा प्राचीन युग के दौरान इस वाक्यांश को खोजा गया था। कथाकार ने इसका अपनी कथा "द चार ऑक्सन एंड द लायन" में प्रत्यक्ष रूप से और "द बंडल ऑफ स्टिक्स" में अप्रत्यक्ष रूप से उल्लेख किया था।
ईसाईयों के धार्मिक नियमों की पुस्तक में भी ऐसे ही शब्द शामिल हैं जिनमें प्रमुख हैं "अगर एक घर को विभाजित कर दिया जाता है तो वह घर दोबारा खड़ा नहीं हो सकता" इसी पुस्तक के दूसरे वाक्यांश हैं " यीशु अपने विचारों को जानते थे और कहते थे " हर राज्य जिसमें फूट पड़ी है वह उजड़ गया है और हर एक नगर या घर जो विभाजित है वह खुद पर निर्भर नहीं रहता।
निष्कर्ष
एक दूसरे के साथ समन्वय में काम करने के महत्व को बल देने के लिए यह वाक्यांश आमतौर पर उपयोग किया जाता है। यह वाकई सच है कि एक व्यक्ति एक मुश्किल काम पूरा नहीं कर सकता है या उसे ऐसा करने में बहुत अधिक समय और ऊर्जा लग सकती है लेकिन अगर यह काम अधिक लोगों द्वारा सामूहिक रूप से किया जाता है तो यह आसानी से पूरा किया जा सकता है।
Explanation:
मिलजुल कर कार्य करने की शक्ति को ही संगठन या एकता कहते है | संगठन सब प्रकार की शक्तियों का मूल है | कोई भी व्यक्ति चाहे वह कितना भी समृद्ध हो , शक्तिशाली हो अथवा बुद्धिमान हो , अकेले अपनी आवश्यकताओ की पूर्ति नही कर सकता है | वह केवल दुसरो के सहयोग से ही अपनी आवश्यकताओ को पूरा कर सकता है | कोई भी परिवार, समाज तथा राष्ट्र अपनी उन्नति संगठित हुए बिना नही कर सकता है | बिना संगठन के कोई भी कार्य संभव नही है | यह हम भली – भांति जानते है कि सम्पूर्ण सृष्टि का निर्माण भी पाँच तत्वों के मेल से हुआ है |
संगठन में असीमित शक्ति होती है | संगठित होकर ही कोई भी समाज सुख – समृद्धि तथा सफलता को प्राप्त कर सकता है | ऐसे अनेक उदाहरण हमारे सम्मुख है जो इस बात के प्रमाण है | अकेले धागे को कोई भी आसानी से तोड़ सकता है परन्तु अनेक धागों के मेल से बनी रस्सी द्वारा बड़े-से-बड़े हाथी को आसानी से बाधा जा सकता है | अकेली पानी की बूंद का कोई महत्त्व नही होता यदि जब ये बूंदे मिलकर नदी का रूप धारण कर लेती है तो वह नदी अपनी प्रवाह के रास्ते में आने वाले बड़े-से-बड़े पेड़ो और शिलाओं (चट्टानों) को भी बहा ले जाती है | इतिहास साक्षी है कि जो देश , जातियाँ तथा कुटुम्ब जिनते अधिक संगठित रहे है उनका संसार में उतना ही अधिक बोलबाला रहा है |