English, asked by diabearchamalidi, 1 year ago

Essay on environment in hindi

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Answered by ItzzzzzzzzzMe
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पर्यावरण ऐसी भूमि , वायु, जल, पौधों, पशुओं, ठोस सामग्री , कचरे, सूरज की रोशनी , जंगलों और अन्य चीजों के रूप में सभी प्राकृतिक परिवेश का मतलब है। के रूप में बढ़ रही है, पौष्टिक और पृथ्वी पर सभी जीवित चीजों को विकसित करने में मदद करता है स्वस्थ वातावरण के रूप में अच्छी तरह से प्रकृति के संतुलन को बनाए रखता है। हालांकि, अब एक दिन, कुछ मानव निर्मित तकनीकी उन्नति कई मायनों में पर्यावरण खराब अंततः संतुलन या प्रकृति का संतुलन आ रही है। हम इस ग्रह पर भविष्य में खतरे में हमारे जीवन के साथ-साथ जीवन के अस्तित्व रख रहे हैं। हम गलत रास्ते में कुछ भी करते हैं प्रकृति के अनुशासन से बाहर है, यह पूरे माहौल का मतलब वायुमंडल, जलमंडल और स्थलमंडल आ रही है। प्राकृतिक वातावरण के अलावा, एक आदमी बना दिया है जो पर्यावरण प्रौद्योगिकी, काम के माहौल , सौंदर्यशास्त्र, परिवहन, आवास , सुविधाएं, शहरीकरण, आदि मैन मेड माहौल काफी हद है जो हम सभी के लिए एक साथ होना चाहिए करने के लिए प्राकृतिक वातावरण को प्रभावित करता है के साथ सौदों भी मौजूद है बचाओ।
Answered by Anonymous
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जब से मनुष्य के कदम इस पृथ्वी पर पड़े हैं। उसने अपने रहने के लिए पृथ्वी पर वनों को काटनाशुरु कर दिया है। उसने अपने आवास स्थान के लिए वनों का नाश ही किया है। अब एक मामूली झोंपड़ी में आराम नहीं मिला तो उसने पक्के घरों, बिल्डिंगों का निर्माण किया। मनुष्य की बढ़ती आबादी ने नदियों का ह्रास करना आरंभ कर दिया।ये वन ही हैं, जो हमारे पर्यावरण को बचाए हुए हैं। परन्तु मनुष्य द्वारा इनके अत्यधिक दोहन से जलीय, थलीय एवं वायुमंडलीय प्रदूषण बढ़ गयाहै। वनों के कटाव से भूमि के कटाव की समस्या औररेगिस्तान के प्रसार की समस्या सामने आई है। वनों के अत्यधिक कटाव ने जंगली जानवरों के अस्तित्व को संकट में डाला है।आज पर्यावरण में बढ़ते प्रदूषण के कारण नित नई बीमारियाँ अपना मुँह फाड़े मनुष्य को काल का ग्रास बनाने के लिए तैयार हैं। एक बीमारी से हमनिजात पाते नहीं कि नई बीमारी आ खड़ी होती है। दूसरी ओर इन प्राकृतिक आपदाओं ने कदम दर कदम नित नई समस्याएँ उत्पन्न कर दी हैं।बढ़ते प्रदूषण ने पर्यावरण में मौसम सम्बन्धी परेशानियाँ खड़ी कर दी हैं। पेड़ों की कमी का परिणाम यह हो रहा है कि वातावरण में कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है। पृथ्वी का तापमान अधिक हो गया है। मौसम और ऋतुओं पर भी असर देखने को मिल रहा है। गर्मी के मौसम में अत्यधिक गर्मी और ठंडी में ठंड अधिक पड़ने लगी है। किसी मौसम में अत्यधिक बरसात से बाढ़ की स्थिति बन जाती है और हज़ारों जानों-माल का नुकसान होता है। बारिश न होने की वजह से गाँव के गाँव सूखे की चपेट में आ जाते हैं। इससे हमारी प्राकृतिक व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो रही है। etc.
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