essay on following topics in hindi. 1)insaniyat..2)Lakshminath bezboruah..3)prem.......sab ka sab answer dijie....no spam
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इंसानियत
इंसानियत : इंसान का सबसे महत्वपूर्ण तत्व
या यूं कहें सबसे खास बात । जिसके कई
समानार्थी शब्द है। कोई इसे उदारता के
कसौटी पर रखता है तो कोई मनुष्यता के ।
इंसान का सबसे महत्वपूर्ण तत्व मानो गुम सा हो
गया है । इंसान में अब इंसानियत ही नहीं रहा
है। जिस चीज के लिए मनुष्य जाने जाते थे,
आज उसी चीज को इंसान नजरअंदाज करता
है।
भूमिका:
असमिया साहित्य में नई शैली (New style) our नये विचारों को कविता के रूप में प्रकट करने की कला में कुशल (Expert) तथा अपनी मातृभूमि से प्रेम की भावना का प्रचार-प्रसार करने वाले कवियों में सर्वप्र थम नाम लिया जाता है साहित्यरथी लक्ष्मीनाथ बेजबरुवा का ।
2. जन्म और शिक्षा:
साहित्यरथी लक्ष्मीनाथ बेजबरुवा का जन्म सन् 1864 ई. की कार्तिक पूर्णिमा के दिन ब्रह्मपुत्र पर नाव से यात्रा करते समय हुआ । आपके पिता का नाम दीनानाथ बेजबरुवा था । बचपन में लक्ष्मीनाथ को माता-पिता से भरपूर प्यार मिला ।
लक्ष्मीनाथ की शिक्षा-दीक्षा तेजपुर, लखीमपुर, गुवाहाटी और शिवसागर आदि भिन्न-भिन्न स्थानों पर हुई । प्रवेशिका उत्तीर्ण करने के बाद आपको कोलकाता के रिपन कॉलेज में प्रवेश मिला । इसके पश्चात् वे सिटी कॉलेज में शिक्षारत रहे और स्नातक (बी.ए.) की परीक्षा पास की । आपने एमए तथा कानून का अध्ययन भी किया किन्तु परीक्षा में शामिल न हो सके ।
3. कार्यकलाप:
कोलकाता में रहने के दौरान ही आपका विवाह प्रज्ञासुंदरी नामक कन्या से हुआ । अंग्रेजी सरकार ने उन्हें मुन्सिफ की प्रतिष्ठित नौकरी देने की सिफारिश की किन्तु उस सिफारिश को ठुकराकर उन्होंने स्वदेश की सेवा करने का फैसला किया ।
कुछ समय तक वे पारिवारिक व्यवसाय में लगे रहे, किन्तु शीघ्र ही उन्होंने अपना व्यवसाय छोड़कर काव्य-रचना आरम्भ कर दी । उनकी कविताओं में ‘कदम कली’, ‘बीन बरागी’, ‘असम संगीत’ आदि प्रमुख हैं जिनमें उन्होंने असम के प्रति अपनी भक्ति-भावना प्रकट की ।
इसके अतिरिक्त ‘धनबर आरु रतनी’, ‘रतनीर बेजार’ आदि कविताओं में सामाजिक जीवन की भावनात्मक झलक मिलती है । कविताओं के साथ-साथ उन्होंने चक्रध्वज सिंह, जयमती कुँवरी, बेलिमार आदि ऐतिहासिक (Historical) नाटक भी लिखे और भदरी, मुक्ति, लोभ आदि छोटी कहानियाँ भी लिखीं ।
उनके लेखों में भावर बुरबुरनि, शंकरदेव, शंकरदेव आरु माधवदेव, कृष्णकथा, तत्वकथा आदि प्रमुख हैं । वे ‘बाँही’ नामक साहित्यिक पत्रिका के सम्पादक (Editor) भी रहे । आपको असम साहित्य सभा का अध्यक्ष भी चुना गया । आपको बड़ौदा के महाराज का निमंत्रण भी मिला जहाँ आपने वैष्णव धर्म पर अपने विचार प्रकट कर सबको प्रभावित कर दिया ।
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