Hindi, asked by n5500186, 12 hours ago

Essay on Freedom Fighters in hindi

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Answered by tarunrahav
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Answer:

स्वतंत्रता सेनानी वे बहादुर और दुस्साहसी लोग थे जिन्होंने ब्रिटिश शासन से अपने देश को आजादी दिलाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने अंतहीन बलिदान दिया ताकि हम अपने देश में स्वतंत्र रूप से रह सकें और सुखी जीवन जी सकें। स्वतंत्रता सेनानी वे लोग थे जो इन ब्रिटिश लोगों का सामना करने और अपने देश के लिए स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए उनसे लड़ने का साहस रखते थे। उन्होंने भारत को एक स्वतंत्र और स्वतंत्र देश बनाने के लिए बहुत दर्द और पीड़ा झेली।

 स्वतंत्रता सेनानी वे लोग हैं जिनकी वजह से हम स्वतंत्रता दिवस मना पाते हैं। भले ही उनके पास लड़ने का कोई प्रशिक्षण नहीं था, फिर भी उन्होंने लोगों की रक्षा करने और अपने देश को अन्याय से मुक्त करने के लिए लड़ाई लड़ी। कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अन्य लोगों को अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया, उन्होंने कई स्वतंत्रता आंदोलनों का नेतृत्व किया। मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों की एक अंतहीन सूची है। महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, चंद्र शेखर, सुखदेव कुछ ऐसे प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी हैं जिन्होंने अपने देश के लिए लड़ते हुए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।

Explanation:

Answered by vndnsngh14
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Answer:

चंद्रशेखर आजाद जी का जन्म 23 जुलाई 1906 में मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले के भाबरा में हुआ था। 14 वर्ष की आयु में ही उन्होंने गांधीजी के असहयोग आंदोलन में भाग लिया। इस आंदोलन के दौरान चंद्रशेखर आजाद को गिरफ्तार कर लिया गया। जज के आगे उन्होंने अपना नाम आजाद, पिता का नाम स्वतंत्रता और जेल को उनका निवास बताया। इस पर उन्हें 15 कोड़ों की सजा सुनाई गई थी, हर कोने पड़ने पर उन्होंने वंदे मातरम और महात्मा गांधी जी की जय का उद्घोष किया।

इसके बाद चंद्रशेखर आजादी के आंदोलन में सोशलिस्ट आर्मी से भी जुड़े। राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में 1925 के काकोरी कांड में भी भाग लिया और पुलिस की आंखों में धूल झोंक कर वहां से भाग निकले।

1920 में लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए उन्होंने सांडर्स पर गोलीबारी भी की। 1930 मई में इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में उन्होंने समाजवादी क्रांति का आह्वान किया। उनका यह कहना था कि वह ब्रिटिश सरकार के आगे कभी घुटने नहीं टेकेगें। 27 फरवरी 1931 को इसी संकल्प को पूरा करने के लिए उन्होंने इलाहाबाद के इसी बाग में स्वम को गोली मार के अपने प्राण भारत माता के लिए त्याग दिये।

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