essay on freedom struggle of india in hindi for class 10
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आधुनिक भारत की यात्रा में राजनीतिक स्वतंत्रता आंदोलन का महत्वपूर्ण स्थान रहा है । यह आंदोलन मनुष्य स्वतंत्र है, इस व्यापक सिद्धांत पर आधारित था । इस आंदोलन के निमित्त राजनीतिक पराधीनता के साथ-साथ रियासतदारी, सामाजिक विषमता, आर्थिक शोषण का भी विरोध होने लगा था ।
स्वतंत्रता कीं भांति समता सिद्धांत का भी बहुत बड़ा महत्व है । इस दृष्टि से किसान, श्रमिक, महिला, दलित आदि वर्गों द्वारा चलाए गए आंदोलन और समता को महत्व देनेवाली समाजवादी विचारधारा का योगदान बहुमूल्य सिद्ध हुआ । इसका बोध किए बिना आधुनिक भारत की निर्मिति प्रक्रिया को समझा नहीं जा सकता ।भारतीय किसानों को अंग्रेजों की आर्थिक नीति के दुष्परिणाम भुगतने पड़ते थे । जमीनदारों, साहूकारों को अंग्रेज सरकार को संरक्षण प्राप्त था । वे किसानों पर अन्याय करते थे । किसानों ने इस अन्याय के विरोध में विद्रोह किए । नील का उत्पादन करने हेतु किसानो के साथ कड़ाई की जाती थी । इस कड़ाई के विरोध में बंगाल के किसानों ने कृषि संगठन स्थापित करके विद्रोह किए ।
‘नील दर्पण’ नाटक के माध्यम से लेखक दीनबंधु मित्र ने लोगों के सम्मुख नील का उत्पादन करनेवाले किसानों की दुर्दशा को प्रस्तुत किया । ई॰स॰ १८७५ में महाराष्ट्र के किसानों ने जमीनदारों और साहूकारों के अत्याचारों के विरोध में बहुत बड़ा विद्रोह किया ।
बाबा रामचंद्र के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश के किसानों ने ई॰स॰ १९१८ में ‘किसान सभा’ नामक संगठन की स्थापना की । केरल में मोपला किसानों ने व्यापक आंदोलन किया परंतु इसे अंग्रेज सरकार ने कुचल दिया । ई॰स॰ १९३६ में प्रा॰एन॰जी॰ संघ के नेतृत्व में ‘अखिल भारतीय किसान सभा’ की स्थापना हुई ।इस सभा के अध्यक्ष स्वामी सहजानंद सरस्वती थे । इस सभा ने राष्ट्रीय कांग्रेस को किसानों के अधिकारों का घोषणापत्र प्रस्तुत किया । ई॰स॰ १९३६ में महाराष्ट्र के फैजपुर में राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ । इस अधिवेशन में हजारों किसान उपस्थित हुए थे । राष्ट्रीय कांग्रेस ने इस अधिवेशन में किसान सभा के कार्यक्रम को स्वीकार किया ।
ई॰स॰ १९३८ में पूर्व खानदेश में अतिवृष्टि के कारण फसल नष्ट हो गई थी । फलस्वरूप किसानों की हालत खस्ता हो गई । साने गुरु जी ने लगान माफ करवाने के लिए स्थान-स्थान पर सभाएँ ली और जुलूस निकाले । उन्होंने कलेक्टर कचहरी पर भी जुलूस निकाला । ई॰स॰ १९४२ की क्रांति में किसान विशाल संख्या में सम्मिलित हुए ।
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