Essay on ग्रामीन जीवन
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Question ✔✔ भारतीय ग्रामीण जीवन पर निबंध
Answer ✔✔ भारत एक विशाल जनसंख्या वाला देश है जिसका एक बहुत बड़ा भाग आज भी गाँवों में निवास करता है । ये लोग आज भी अपनी आजीविका के लिए पूर्ण रूप से कृषि पर निर्भर हैं । वास्तविक रूप में यदि देखा जाए तो भारत की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार कृषि ही है ।
गाँवों में लोग प्राय: सादा जीवन व्यतीत करते हैं । भारतीय ग्राम्य जीवन की जब भी बात होती है तो तपती हुई धूप में खेती करता हुआ किसान, दूर-दूर तक फैले हुए खेत और उन पर लहलहाती हरी – भरी फसल घर का काम-काज सँभालती हुई औरतें तथा हाट (बाजार) व मेले के दृश्य स्वत: ही मन-मस्तिष्क पर उभर आते हैं ।
प्रदूषण से दूर स्वच्छ, सुगंधित व ताजी हवा गाँव की और अनायास ही खींचती है । सभी ग्रामवासियों का मिल-जुल कर एक परिवार की भाँति रहना तथा एक-दूसरे को यथासंभव सहयोग करने हेतु सदैव तत्पर रहना हमारे ग्रामीण जीवन की विशेषता है।
ग्रामीण जीवन में मनोरंजन हेतु अनुपम व अनूठे साधन उपलब्ध हैं । लोग तरह-तरह से अपना व दूसरों का मनोरंजन करते हैं । प्राय: दिन में कार्य करने के पश्चात् सायंकाल को लोग चौपाल अथवा किसी प्रांगण आदि पर एकत्र होते हैं जहाँ वे तरह-तरह की बातों से अपना मन बहलाते हैं ।
कुछ लोग धार्मिक कथाओं जैसे श्रीराम अथवा श्रीकृष्ण आदि के जीवन-चरित्र पर चर्चा करते हैं । प्राय: लोग मंडली बनाकर ढोल मजीरे आदि वाद्य यंत्रों के साथ बैठकर संगीत व नृत्य का आनंद उठाते हैं । गायन में लोकगीत व भजन आदि प्राय: सुनने को मिलते हैं ।
विभिन्न त्योहारों का पूर्ण आनंद व उल्लास ग्राम्य जीवन में भरपूर देखने को मिलता है । दशहरा, दीवाली तथा होली आदि त्योहार ग्रामवासी परस्पर मिल-जुल कर व बड़े ही पारंपरिक ढंग से मनाते हैं । ग्रामीण मेले का दृश्य तो अपने आप में अनूठा होता है । भारतीय संस्कृति का मूल रूप इन्हीं मेलों व गाँव के जीवन में पूर्ण रूप से देखा जा सकता है ।
ग्रामवासी प्राय: सीधे व सरल स्वभाव के होते हैं । उनमें छल-कपट व परस्पर द्वेष का भाव बहुत कम देखने को मिलता है । उनमें धार्मिक आस्था बहुत प्रबल होती है। बड़ों की आज्ञा मानना व उन्हें सम्मान देना यहाँ की संस्कृति में है ।
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भारत एक कृषि प्रधान देश है । यही की अधिकाश आबादी गाँवो में रहती है ।
भारत के ग्रामीण बडा सीधा-सादा और सरल जीवन बिताते हैं । वे आमतौर से कच्चे मकानों में रहते है, जिन पर खपरैल और फूँस की छतें होती है । उनमें प्रकाश्ना हवा आने-जाने के लिए खिडकियों और रोशनदान प्राय: नहीं होते । किसान खुल और शुद्ध वायु में सांस लेते हैं और सादा भोजन खाते हैं, जिससे उनका स्वास्थय ठीक रहता है और वे बलवान होते है । ग्रामीण जीवन का सबसे बड़ा अभिशाप वही व्याप्त निरक्षरता है । अनपढ़ होने के कारण वे चालाक लोगों के कहने में आसानी से आ जाते है और अपना नुकसान कर बैठते हैं । वे अनेक रूढियों के शिकार रहते हैं । उनके अन्धविश्वास का लाभ अनेक ओझा, सयाने और पण्डित उठाते है । उनमें बाल-विवाह की प्रथा व्यापक रूप से फैली हुई है, जिसके कारण अनेक सामाजिक बुराइयाँ पैदा होती हैं । गांवों के लोग प्राकृतिक वातावरण में रहने से रचरथ तो होते हैं, पर उनके पास धन नहीं होता । वे बलवान तो होते हैं, लेकिन उनमें सभ्यता और सहनशीलता की बडी कमी होती है । वे बड़ी सीधे, सरल और भोले-भाले होते है । चालाकी और मक्कारी उनमे नाममात्र को भी नहीं होती । वे ईश्वर की सता पर पूरा विश्वास करते है और उसके भय से पाप से दूर रहते हैं । अक्सर वे रूढ़िवादी और अधविश्वासी होते हैं ।
वे अपने रीति-रिवाजों और परम्पराओं पर जान छिड़कते हैं । उनमें जात-पात का विचार कूट-कूट कर भरा हुआ होता है । समग्र रूप में ग्रामीण बडे सज्जन होते हैं । उनमें शिक्षा का प्रसार करके उनकी सभी बुराइयों आसानी से दूर की जा सकती हैं और ऐसा होने पर ग्रामीण जीवन स्वर्ग के समान बन जायेगा ।
ग्रामीणों के बीच विवाह, जन्म, मृत्यु जैसे सामाजिक अवसरों पर अपनी सामर्थ्य से बढ़कर खर्च करने की प्रथा है । इसके फलस्वरूप वे कर्ज़ के बोझ से दबे रहते हैं । गांवों में छोटी-छोटी बातों को लेकर अक्सर लड़ाई-झगड़े होते हैं और जरा-जरा सी बात पर लाठियाँ निकल आती हैं कत्ल और खून जैसी वारदातें तो आम बाते हैं । भूमि सबंधी झगडों में लम्बी मुकदमेबाजी चलती है, जिसमें, उनकी गाढ़ी कमाई का एक बड़ा हिस्सा व्यर्थ से बरबाद हो जाता है । बहुत-से ग्रामीण शराब, गांजा, भांग, चरस जैसे नशीले पदार्थों के आदी हो जाते हैं ।
『h』『o』『p』『e』『s』 『i』『t』'『s』 『h』『e』『l』『p』『s』 『u』『h』