Hindi, asked by anmol8914, 10 months ago

essay on guru harkirsan ji in hindi​

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Answered by KhushmeetKaur6767
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Hllo frnd....

गुरु हरकिशन जी का जन्म 7 जुलाई 1656 और निधन 30 मार्च 1664 को हुआ था। मात्र पांच साल की आयु में ही उन्हें अपने पिता गुरु हर राय साहिब जी द्वारा गुरु की पदवी हासिल हुई थी। इन्हें सिख धर्म का आठवां गुरु माना जाता है। गुरु हरकिशन जी को बाला पीर भी कहा जाता था।

बड़े भाई से अनबन (Discord with Elder Brother)

राम राय जो गुरु हरकिशन के बड़े भाई थे उन्हें यह बात बिलकुल पसंद नहीं आई कि पिता ने छोटे भाई को गुरु बना दिया। वह राजा औरंगज़ेब के पास अपनी शिकायत लेकर पहुंच गए। इस बात पर औरंगज़ेब ने गुरु हरकिशन साहिब को कीरतपुर से बुलवा लिया।

चमत्कारी बाला पीर (Miracles of Bala Pir)

कई लोगों को इस बात पर संदेह था कि गुरु हरकिशन में गुरु बनने लायक कोई शक्ति है भी या नहीं। इन्हीं में से एक थे लाल चंद जिसने दिल्ली जाने से पहले गुरु हरकिशन साहिब को गीता का अर्थ बताने की चुनौती दी। इस बात पर गुरु हरकिशन ने कहा कि वह उनके बदले किसी और को यह कार्य बोलकर करने के लिए ले आए। तब लाल चंद एक बहरे और मूक शख्स छाजू राम को ले आए और गुरु हरकिशन के छाजू राम को हाथ लगाते ही वह शख्स गीता का अर्थ बताने लगा। इस बात पर सभी भौंचक्का रह गए और लाल चंद गुरु हरकिशन के पैरों में गिर गए।

दिल्ली पहुंचने के बाद वह काफी समय तक यहीं रहे तभी यहां एक महामारी फैल गई जिसका उपचार गुरु हरकिशन करने लगे। इसी दौरान उन्हें "बाला पीर" की उपाधी मिली। दूसरों के दुख-दर्द दूर करते-करते एक दिन स्वयं वह इस महामारी के शिकार हो गए और आठ साल की उम्र में ही उनका निधन हो गया। अपने निधन से पहले वह नहीं चाहते थे कि कोई शोक मनाए इसलिए उन्होंने लोगों को गुरुबाणी के भजन गाने को कहा। मृत्यु के समय उनके मुख से "बाबा बकाले" शब्द निकला था जिसका अर्थ निकाला गया कि उनका उत्तराधिकारी बकाला गांव में ढूंढा जाए।

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