History, asked by huzaifahmad990, 5 hours ago

Essay on
Guru Teg Bahadur life
In Hindi
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urgent ​

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Answered by gurpreet17singh83
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Answered by sugathealean2
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भारत का इतिहास ऐसे कई महापुरुषों की वीरता और कहानियों और बलिदानों के गाथा से भरा हुआ है। ऐसे महापुरुषों के यादों से हमें हमेशा इस देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा मिलती है। अपने धर्म की रक्षा के लिए बलिदान देना तो सब का फर्ज है लेकिन दूसरे की आस्था की रक्षा के लिए बलिदान देना केवल गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान की कहानी है।

गुरु तेग बहादुर जी एक मात्र मिसाल है जिन्होंने दूसरे की आस्था की रक्षा के लिए अपनी जान गवा दी। इस पोस्ट में गुरु तेग बहादुर जी से जुड़ी कुछ विशेष बातों पर प्रकाश डालेंगे।

सिखों के प्रथम गुरु गुरु नानक देव के बनाए गए मार्ग का अनुसरण करने वाले गुरु तेग बहादुर सिखों के नौवें गुरु थे। इन्होंने 115 ग्रंथों की रचना की है। जब कश्मीरी पंडितों और अन्य हिंदुओं को जबरदस्ती मुसलमान बनाया जा रहा था तब गुरु तेग बहादुर ने इसका विरोध किया। 1675 ईस्वी में मुगल शासक औरंगजेब के सामने इनका सर कटवा दिया गया क्योंकि इन्होंने इस्लाम स्वीकार नहीं किया।

गुरुद्वारा शीश गंज साहिब और गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब वह स्थान है जहां गुरु तेग बहादुर जी की हत्या की गई थी। यह स्थान उनकी याद दिलाते हैं। इन्होंने धर्म और मानवीय मूल्य, आदर्शों एवं संस्कृति के प्रति अपने प्राणों की आहुति दे दी।

गुरु तेग बहादुर जी का जन्म पंजाब में स्थित अमृतसर के गुरु हरगोविंद सिंह के पांचवें पुत्र के रूप में हुआ था। इनके बचपन का नाम त्यागमल था। 14 वर्ष की उम्र में ही इन्होंने मुगलों के विरुद्ध हो रहे युद्ध में अपने पिता के साथ अपनी वीरता का परिचय दिया था। इनके इस वीरता के रूप से प्रभावित होकर उनके पिता ने इनको तेग बहादुर नाम दिया।

गुरु तेग बहादुर जी ने धर्म के प्रचार के लिए कई स्थानों पर भ्रमण किया। यह प्रयाग, बनारस, पटना और असम आदि क्षेत्रों में गए। और वहां पर इन्होंने आर्थिक, धार्मिक और सामाजिक संबंधित कार्य किए। आध्यात्मिकता तथा धर्म का ज्ञान बांटा।

अंधविश्वास और रुढियों का आलोचना करके एक नए आदर्श स्थापित किया। इन्होंने कुआं खुदवा और धर्मशालाएं बनवाएं आदि परोपकारी कार्य किए। इंग्लिश शायरी यात्राओं के बीच 1666 में गुरु जी के यहां एक पुत्र का जन्म हुआ और यही पुत्र दसवां गुरु गुरु गोविंद सिंह के नाम से जाना गया।

निष्कर्ष

हमारे देश में विभिन्न धर्म और जाति के लोग रहते हैं और हर किसी को अपने धर्म के प्रति अपनी आस्था जुड़ी हुई है। हर कोई अपने धर्म को मानता है। अपने धर्म को मानना अच्छी बात है लेकिन अगर आप दूसरों को अपने धर्म को मानने के लिए जवाब दे रहे हैं तो यह बहुत ही गलत बात है। किसी से जबरदस्ती अपना धर्म नहीं बनवाना चाहिए। हर किसी को अपना धर्म मानने की स्वतंत्रता प्राप्त है।

और हमें किसी अन्य धर्म की निंदा भी नहीं करनी चाहिए। क्योंकि कोई भी धर्म हमें भेदभाव करना नहीं सिखाता है। धर्म हमें आपस में भाईचारा बनाए रखना ही सिखाता है चाहे वह किसी का भी धर्म हो।

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